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बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंगः आदिवासी वोटर्स बनेंगे खेवनहार

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां अनुसूचित जनजाति यानि आदिवासी मतदाता जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

Updated on: 28 May 2022, 12:04 PM

highlights

  • लोक सभा की कुल 543 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
  • गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं की जीत-हार में महत्ती भूमिका
  • कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बीच आदिवासी समुदाय को लुभाने की होड़

नई दिल्ली:

आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर आदिवासी मतदाताओं को साधने की रणनीति बनाने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है. इस बारे में पार्टी राष्ट्रीय मुख्यालय में महत्वपूर्ण बैठक में खासतौर पर चर्चा की गई है. भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ-साथ देश भर से आए जनजाति समाज के नेताओं, पदाधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ विचार-विमर्श कर आदिवासी समुदाय के बीच भाजपा की पैठ बढ़ाने की रणनीति तैयार की गई. बीजेपी आलाकमान के सामने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इस साल गुजरात औऱ हिमचाल प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं

गुजरात और हिमाचल में आदिवासी मतदाताओं की महती भूमिका
दरअसल इस साल के आखिरी महीनों में जिन दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां अनुसूचित जनजाति यानि आदिवासी मतदाता जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 27 सीटें और हिमाचल प्रदेश विधानसभा की कुल 68 सीटों में से 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड सहित देश के कई राज्यों में आदिवासी मतदाताओं का बोलबाला है तो वहीं राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे कई अन्य राज्यों में भी चुनावी राजनीति के लिहाज से आदिवासी समुदाय की आबादी काफी महत्वपूर्ण है.

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देश भर में 47 सीटें अनुसूचीत जनजाति के लिए
पूरे देश की बात की बात करें तो लोक सभा की कुल 543 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के बीच आदिवासी समुदाय को लुभाने की होड़ मची हुई है. आने वाले दिनों में, भाजपा आदिवासी समुदाय के गौरव को बढ़ाने वाले निर्णयों और आदिवासी समुदाय के लिए लाभकारी जनकल्याणकारी योजनाओं और सरकार की उपलब्धियों को लेकर आदिवासी समुदाय के बीच जाकर उन्हें बताती नजर आएगी. आदिवासी क्षेत्रों में चलाए जाने वाले इन विशेष अभियानों के जरिए भाजपा इस समुदाय को पार्टी के साथ जोड़ने का पुरजोर प्रयास करेगी.