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असम में हेमंत को CM बनाकर बीजेपी ने सिंधिया-पायलट को दिया ये संदेश

बीजेपी के बारे में यह आम धारणा है कि पार्टी में नए आए लोगों को संदेह की नजरों से देखा जाता है. असम में हेमंत को सीएम बनाकर पार्टी ने यह संदेश दे दिया है कि पार्टी को फायदा पहुंचाने वाले लोगों को महत्वपूर्ण पद देने में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.

Updated on: 11 May 2021, 03:57 PM

highlights

  • हेमंत को CM बनाकर BJP ने सचिन पायलट को संदेश दिया
  • एमपी में शिवराज के बाद सिंधिया को मिल सकती है कमान
  • दूसरे दलों से आने वाले नेताओं का भरोसा बढ़ेगा

नई दिल्ली:

बीजेपी (BJP) ने असम (Assam) की कमान अब सर्बानंद सोनोवाल (Sarbanand Sonowal) की जगह हेमंत बिश्व शर्मा (Himanta Biswa Sarma) के हाथों में सौंप दी है. हेमंत कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में एक माने जाते थे, लेकिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की वजह से साल 2016 में असम विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. हेमंत ने जब से भगवा संभाला पूरी तरह से भाजपाई हो गए हैं. और पार्टी ने इसी का इनाम देते हुए उन्हें इस बार असम का मुख्यमंत्री बनाया है. सर्वानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) को यह पद देकर बीजेपी ने केवल उनकी पुरानी इच्छा पूरी नहीं की, बल्कि अन्य दलों में भगदड़ मचाने का रास्ता खोल दिया है. 

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दूसरे दल से आए नेताओं से नहीं होगा भेदभाव

बीजेपी के बारे में यह आम धारणा है कि पार्टी में नए आए लोगों को संदेह की नजरों से देखा जाता है. बीजेपी की रीति-नीति में रचे-बसे लोगों को ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती हैं. सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) से लेकर सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) तक इसके कई उदाहरण भी हैं. लेकिन हेमंत को मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर बीजेपी ने एक झटके में इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की है. असम में हेमंत को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने यह संदेश दे दिया है कि पार्टी को फायदा पहुंचाने वाले लोगों को महत्वपूर्ण पद देने में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. 

हेमंत का उदाहरण देकर बीजेपी ने छवि सुधारी

हेमंत के उदाहरण को देखते हुए अब वो नेता जो बीजेपी में आना तो चाहते हैं, लेकिन वहां अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं, उनकी आशंका दूर हो जाएगी. हेमंत के उदाहरण से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का भी हौंसला बढ़ गया होगा. बता दें कि सिंधिया ने पिछले साल मार्च में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद से पार्टी की ओर से कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की प्रतीक्षा में हैं. लेकिन अब हेमंत के उदाहरण को देखते हुए उन्हें विश्वास हो गया होगा कि बीजेपी में उनकी मेहनत की कद्र की जाएगी. 

सिंधिया को बीजेपी ने दिया पूरा सम्मान

बता दें कि जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा था तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने की चर्चा जोर-शोर से चली थी. यह भी कहा गया था कि उनके समर्थकों को पार्टी संगठन में एडजस्ट किया जाएगा. सिंधिया अपने साथ करीब 25 विधायकों को लेकर आए थे जिसके चलते मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिल गया. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो सिंधिया समर्थकों को मंत्री पद मिला, लेकिन खुद महाराज अब भी प्रतीक्षा में हैं. हालांकि बीजेपी ने अपना वादा निभाते हुए उन्हें राज्यसभा जरूर पहुंचाया.

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सिंधिया को साबित करनी होगी उपयोगिता

असम में हेमंत को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने एमपी में सिंधिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी के लिए उन्हें धैर्य रखने के साथ अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी. बता दें कि सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं, लेकिन नवंबर में हुए विधानसभा के उपचुनावों में चंबल-ग्वालियर क्षेत्र में बीजेपी को वह कामयाबी नहीं दिला पाए जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी. सिंधिया के समर्थक गाहे-बगाहे उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन सरमा का फैसला यह संकेत है कि इसके लिए उन्हें पहले परफॉर्म करना होगा.

बीजेपी ने सचिन पायलट को भी संदेश दिया

असम में हेमंत को कमान सौंपकर बीजेपी ने राजस्थान राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को भी संदेश दिया है कि यदि वो बीजेपी में आते हैं, तो उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. हालांकि इसके लिए उन्हें पार्टी को फायदा पहुंचाना होगा. बता दें कि राजस्थान में पायलट मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने से असंतुष्ट हैं और कई बार इसे खुले तौर पर जता भी चुके हैं. पिछले साल उनकी नाराजगी के चलते गहलोत सरकार पर संकट के बादल भी मंडराने लगे थे, लेकिन पायलट अपनी ताकत दिखाने में नाकाम रहे थे.