J-K में रोहिंग्या शरणार्थी एक बड़ी साजिश, फिर भी प्रशांत भूषण चाहते हैं रिहाई
म्यांमार (Myanmar) में नस्ली भेदभाव और हिंसा शुरू होने के काफी पहले से रोहिंग्या को जम्मू में लाकर बसाने का सिलसिला शुरू हो गया था.
highlights
- पाकिस्तान समेत कई देशों ने फंडिंग कर जम्मू-कश्मीर में भेजे रोहिंग्या
- पिछले दिनों यूएनएचआरसी के बाहर से गिरफ्तार किए गए थे 88 रोहिंग्या
- प्रशांत भूषण ने इनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका
नई दिल्ली:
रोहिंग्या (Rohingya) शरणार्थियों को लेकर देश के खुफिया विभाग ने एक बड़ा अलर्ट जारी किया है. जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में रोहिंग्या शरणार्थियों के पहुंचने की जांच-पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार म्यांमार (Myanmar) में नस्ली भेदभाव और हिंसा शुरू होने के काफी पहले से रोहिंग्या को जम्मू में लाकर बसाने का सिलसिला शुरू हो गया था. इनमें दो दर्जन से अधिक रोहिंग्या परिवार ऐसे मिले हैं, जो 1999 में फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की सरकार के दौरान ही जम्मू आकर बस गए थे. हालांकि म्यांमार से रोहिंग्या का बड़े पैमाने पर पलायन 2015 में शुरू हुआ था. इस बीच उच्चतम न्यायालय में प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की ओर से एक याचिका दायर की गई है. इसमें जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया गया है. साथ ही उन्हें प्रत्यर्पित करने के आदेश को लागू करने से केंद्र को रोकने को कहा गया है. इन रोहिंग्या को बीते दिनों यूएनएचआरसी के बाहर से गिरफ्तार किया गया था.
रोहिंग्या के आने की वजह नस्लीय हिंसा नहीं
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब यह साबित हो गया है कि जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों के पहुंचने के पीछे म्यांमार में नस्ली हिंसा असली वजह नहीं है. उन्हें एक बड़ी साजिश के तहत लंबे समय से म्यांमार से जम्मू में लाकर बसाया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि 1999-2000 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. ऐसे में सामान्य लोग वहां जाने से डरते थे. वहीं रोहिंग्या परिवार हजारों किलोमीटर की यात्रा कर वहां बसने लगे थे. इसके पीछे की साजिश की जांच की जा रही है. उनके अनुसार रोहिंग्या को लाकर बसाने में लगे जम्मू-कश्मीर के एक एनजीओ को बड़े पैमाने पर पाकिस्तान, यूएई और सऊदी अरब से फंड मिलने के संकेत मिले हैं.
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रोहिंग्या शरणार्थियों ने आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा लिए
सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी के अनुसार पूछताछ के दौरान बहुत सारे रोहिंग्या ने खुद ही 1999 से ही जम्मू में रहने की बात स्वीकार की है. जांच बढ़ने के साथ-साथ उनकी संख्या बढ़ने की आशंका है. इतने लंबे समय से रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा लिया था. पिछले दिनों रोहिंग्या शरणार्थियों के खिलाफ शुरू हुई जांच के बाद इसका पता चला.
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प्रशांत भूषण ने रिहाई के लिए दायर की याचिका
शीर्ष अदालत में लंबित एक मामले में हस्तक्षेप करने की अर्जी दायर कर गृह मंत्रालय को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह अनौपचारिक शिविरों में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के मार्फत तीव्र गति से शरणार्थी पहचान पत्र जारी करे. रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्ला ने वकील प्रशांत भूषण के मार्फत दायर अर्जी में कहा कि यह याचिका जनहित में दायर की गई है, ताकि भारत में रह रहे शरणार्थियों को प्रत्यर्पित किए जाने से बचाया जा सके.
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