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यूपी के छोटे दलों पर ओवैसी की नज़र, सपा के लिए खड़ी होंगी मुश्किलें

में ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से हाथ भी मिला लिया है. दोनों के मिलने के बाद यूपी का सियासी पारा चढ़ गया है.

Updated on: 17 Dec 2020, 12:34 PM

नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब पश्चिम बंगाल औऱ उत्तर प्रदेश के आसन्न विधानसभा चुनाव में उतरने की ठान चुके हैं. उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ही संकेत दे दिए थे कि वह किसी भी राज्य के छोटे दलों के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौती पेश करेंगे. इस कड़ी में ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से हाथ भी मिला लिया है. दोनों के मिलने के बाद यूपी का सियासी पारा चढ़ गया है. ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है उनके यहां चुनाव लड़ने से मुस्लिमों का बड़ा खेमा समाजवादी पार्टी से छिटक कर ओवैसी के पाले में जा सकता है. इससे समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी. 

बिहार का फॉर्मूला दोहराएंगे
गौरतलब है कि असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में आधा दर्जन छोटे राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था. ओवैसी ने इसी के परचम तले चुनाव लड़ा था. इस फ्रंट ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस मोर्चे के संयोजक पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव थे. इन दलों में रालोसपा, एआईएमआईएम, बहुजन समाज पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक और जनतांत्रिक पार्टी सोशलिस्ट शामिल थे. इन सभी 6 पार्टियों में 3 बिहार केंद्रित पार्टियां थी, लेकिन 3 पार्टियां ऐसी थीं जिनका उत्तर प्रदेश में भी अपना वजूद है.

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बसपा से मिलन के कयास
सुहेलदेव से हाथ मिलाने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या बिहार गठबंधन में शामिल बसपा भी यूपी के चुनाव में एआईएमआईएम के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. हालांकि गठबंधन की तलाश शिवपाल यादव के साथ भी जारी है. यूपी में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद आप के साथ गठबंधन पर भी ओवैसी कहते हैं कि रास्ते सबके लिये खुले हैं. इसके अलावा अपना दल के कृष्णा पटेल गुट को भी ये महागठबंधन अपने साथ लाना चाहता है.

भागीदारी संकल्प मोर्चा के तहत लड़ेंगे चुनाव 
भागीदारी संकल्प मोर्चा में राजभर की एसबीएसपी के अलावा यूपी के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, बाबू राम पाल की राष्ट्रीय उदय पार्टी, अनिल सिंह चौहान की जनता क्रांति पार्टी और प्रेमचंद प्रजापति की राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी शामिल हैं. इसके साथ ओवैसी ने कहा कि हम अब राजभर के मोर्चा का हिस्सा हैं. 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' का गठन पहले ही किया गया था, एआईएमआईएम उनके साथ रहेगी.

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सपा के लिए मुश्किलें
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से सपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि यहां पर सपा को हर पार्टियों की अपेक्षा मुस्लिम मतदाताओं का करीब 50 से 60 प्रतिशत वोट मिलता रहा है, ऐसे में ओवैसी जातीय समीकरण के साथ मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं, चाहे कांग्रेस हो या बसपा अब आम आदमी पार्टी भी मुस्लिम वोटों को लुभाने के लिए भाजपा पर हमला करते हैं, अगर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ तो सीधा नुकसान सपा को होगा, ऐसे में सपा को अपना मुस्लिम वोट बैंक बचाने के लिए रणनीति पर बदलाव करना होगा, भाजपा को बस थोड़ा बहुत राजभर वोटों का नुकसान हो सकता है, लेकिन ओवैसी की मौजूदगी से विपक्ष के वोटों में बिखराव से उसकी भरपाई हो जाएगी,

वोटों का ध्रुवीकरण तय
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि एआईएमआईएम ओवैसी की पार्टी सपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि वो सपा के वोट बैंक पर डायरेक्ट सेंधमारी कर सकती है. अगर ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उतरी तो धुव्रीकरण होगा जिसका लाभ भाजपा को होगा. उदाहरण बिहार का विधानसभा चुनाव और हैदराबाद नगर-निगम चुनाव है. यही नहीं, यूपी का इतिहास देखा जाए तो जब-जब सपा ने अपने को मुस्लिम वोटों का हितैषी बन चुनाव लड़ा है तब-तब भाजपा को फायदा मिला है. चाहे 2017 का चुनाव हो, चाहे 1991 का चुनाव रहा हो. 

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हिंदू वोट होगा एकजुट
ऐसे में धुव्रीकरण होता है, जिसमें हिन्दुओं के एकजुट होने की संभावना रहती है. जिसका भाजपा प्रचार करती रही है. इससे ओवैसी सपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. इसके लिए सपा को रणनीति बदलनी होगी. भाजपा को फायदा दिख रहा है. ओवैसी एक प्रखर वक्ता हैं. मुस्लिमों के लिए खुलकर बात रखतें है. जबसे भाजपा सत्ता में आयी है तब से सपा मुस्लिमों को लुभाने में पीछे रही है. बैकफुट में इसलिए भी है कि उनके बड़े नेता आजम खान जेल में हैं. ओवैसी की पार्टी से सपा को ज्यादा खतरा है.

एआईएमआईएम बीटीम का ठप्पा हटाने लड़ेगी
एमआईएमआईएम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि विपक्षी दल सिर्फ हम पर भाजपा का 'बी' टीम होने का सिर्फ आरोप लगाते हैं. बिहार चुनाव में हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया. हमें इग्नोर किया गया है. फिर रोना क्यों रो रहे हैं. अगर हम भाजपा की 'बी' टीम होते तो तेलांगाना में भाजपा की हुकुमत होती. इसे हम खारिज करते हैं. आप यहां से चुनाव लड़ रहे हैं वह किसकी टीम है. हम यहां पांच सालों से तैयारी कर रहे हैं. मुस्लिमों को लुभाने का काम यहां पर सपा बसपा ने किया है. हम संगठन तेजी से खड़ा कर रहे हैं. 25 प्रतिशत यूपी की विधानसभा चुनाव लड़ेगें. भाजपा को रोकने के लिए सभी को एक प्लेटफार्म में आना चाहिए. मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर सपा-बसपा अगर मुस्लिम प्रत्याशी नहीं देती है तो हम भाजपा को हरा देंगे, क्योंकि सपा, बसपा और सपा कांग्रेस एक होकर भी भाजपा को नहीं रोक सके हैं.