काशी और मथुरा के बाद अब लखनऊ में भी मस्जिद विवाद, जानें क्या है पूजा स्थल कानून

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा स्थल कानून 1991 की धारा दो, तीन और चार को रद्द करने की मांग की गई है.

भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा स्थल कानून 1991 की धारा दो, तीन और चार को रद्द करने की मांग की गई है.

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Sunil Chaurasia
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काशी-मथुरा के बाद लखनऊ में भी मस्जिद विवाद, जानें पूजा स्थल कानून

काशी-मथुरा के बाद लखनऊ में भी मस्जिद विवाद, जानें पूजा स्थल कानून( Photo Credit : न्यूज नेशन)

साल 1991 में रामजन्मभूमि आंदोलन चरम पर था. उस दौरान अयोध्या के साथ ही तमाम मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे थे. ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने साल 1991 में एक कानून बनाकर इस विवाद को शांत करने की कोशिश की थी. यह कानून था पूजा स्थल कानून, 1991. इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरी आस्था के पूजा स्थल के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सकता. अयोध्या विवाद को इस कानून से बाहर रखा गया था. यदि कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है.

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कानून की धाराओं को रद्द करने की मांग
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में दाखिल की थी. इस याचिका में पूजा स्थल कानून 1991 की धारा दो, तीन और चार को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका के अनुसार, इन धाराओं के कारण भारत पर हमला करने वाले क्रूर शासकों द्वारा गैरकानूनी रूप से स्थापित किए गए पूजा स्थलों को कानूनी मान्यता मिलती है. साथ ही याचिका में कानून बनाने की केंद्र सरकार के अधिकार पर भी सवाल उठाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कानून की वैधानिकता पर विचार करने की बात कही है.

काशी-मथुरा के मंदिरों के लिए बेहद अहम
यह कानून लागू होने के बाद अयोध्या विवाद के अलावा देश के अन्य पूजा स्थलों के विवादों की अदालती कार्रवाई पर असर पड़ा था. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल कानून की वैधानिकता पर विचार करता है तो इसका असर काशी मथुरा के मंदिर विवादों पर भी पड़ेगा और इन मंदिरों के लिए भी अयोध्या मामले की तरह कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है. ऐसा माना जाता है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद जिस जमीन के ऊपर बनाई गई है, उसके नीचे ही कृष्ण जन्मभूमि है. दावा किया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कराया था. इसी तरह काशी के विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भी विवाद जारी है.

HIGHLIGHTS

  • पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की सरकार ने 1991 में बनाया था कानून
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