आखिर हवाई यात्रा ही सबसे सुरक्षित सफर क्यों? बीते वर्षों में इतनी आई दुर्घटनाओं में कमी

Air Travel: दुनियाभर में हर साल हवाई हादसे होते हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली जाती है. बावजूद इसके आज भी हवाई सफर को आज भी सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है. आंकड़ों से जानते हैं हवाई सफर सबसे सुरक्षित सफर क्यों है.

Air Travel: दुनियाभर में हर साल हवाई हादसे होते हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली जाती है. बावजूद इसके आज भी हवाई सफर को आज भी सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है. आंकड़ों से जानते हैं हवाई सफर सबसे सुरक्षित सफर क्यों है.

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Anurag Dixit
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आखिर हवाई यात्रा ही सबसे सुरक्षित सफर क्यों? Photograph: (Social Media)

Air Travel: अहमदाबाद विमान हादसे में सिर्फ 275 निर्दोष नागरिकों की जान ही नहीं गई बल्कि हवाई सफर को लेकर ढेरों सवाल भी खड़े हुए. इस दर्दनाक हादसे ने हवाई सफर को लेकर हर किसी के जेहन में खौफ पैदा कर दिया. तब से लेकर अब तक अलग अलग एयरलाइन्स में गड़बड़ी की कई और खबरें आ चुकी हैं. एयरलाइन्स की गंभीरता पर सवाल है.

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पहले से दुनिया भर में सवालों से घिरी बोईंग कंपनी भी एक बार फिर निशाने पर है. बेशक इस हादसे की न सिर्फ तय वक़्त में जाँच हो बल्कि जवाबदेही भी तय हो. लेकिन ये भी समझना बेहद जरुरी है कि दुनिया भर में हवाई यात्रा को ही आखिर सबसे सुरक्षित सफर क्यों कहा जाता है और भारत में हवाई सफर के मोर्चे पर चुनौतियां कहाँ हैं ?

हर साल 500 करोड़ लोग करते हैं हवाई सफर

इससे पहले नज़र कुछ जरुरी आंकड़ों पर. पूरी दुनिया की आबादी करीब 8 अरब है जबकि पूरी दुनिया में सालभर में हवाई सफर करते हैं करीब 5 अरब मुसाफिर. यानि आधी से ज्यादा. ये आंकड़ा अपने आप में चौकाने वाला है, खासकर तब जबकि वर्ल्ड बैंक के मुताबिक दुनिया भर में 3.5 अरब लोग गरीबी के दायरे में माने जाते हैं. यानि करीब 44 फीसदी आबादी. UNDP के मुताबिक करीब सवा अरब आबादी तो रोजाना करीब दो डॉलर तक़रीबन 170-180 रूपये से अपनी गुजर बसर करती है.

भारत में हर साल 40-45 करोड़ लोग करते हैं एयर ट्रैवल

भारत के लिहाज से भी हवाई सफर का आंकड़ा हैरान करने वाला है. हमारे यहां भी औसतन सालाना 27 से 28 लाख फ्लाइट मूवमेंट्स होता है, जिसमे 40-45 करोड़ यात्री सफर करते हैं. मतलब हर एक मिनट में पांच फ्लाइट और हज़ार मुसाफिर आसमान में. 17 नवंबर 2024 को एक ही दिन में 5 लाख मुसाफिरों ने हवाई सफर किया था, जो अपने आप में रिकॉर्ड था. भारत US और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा डोमेस्टिक एविएशन मार्किट है. बीते 5 साल में इंटरनेशनल फ्लाइट्स में भारतीय हिस्सेदारी 36 फीसदी से बढ़कर 47 फीसदी हो चुकी है.

साउथ एशिया के एयरलाइन ट्रैफिक का करीब 70 फीसदी हिस्सा अकेले भारत का है. 3 साल में 1700 नए एयरक्राफ्ट का आर्डर दिया जा चुका है. बीते दस सालों में ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या 74 से बढ़कर 157 हो चुकी है. लगभग दुगनी. 2047 तक इसके बढ़कर 350-400 होने का अनुमान है. हवाई मोर्चे पर ये उसी भारत की तस्वीर है जहां करीब 80 करोड़ आबादी को मुफ्त राशन की जरूरत है! जाहिर है जब एविएशन सेक्टर बेहतर करेगा तो असर रोजगार पर भी पड़ेगा.

गर्व कराती खबर ये भी कि दुनिया भर में महिला पायलट्स की हिस्सेदारी महज़ 5 फीसदी है लेकिन भारत में तीन गुना ज्यादा 15 फीसदी! आकड़ों के मुताबिक भारत में एविएशन सेक्टर से साल 2015 में करीब दो लाख लोगों को नौकरी मिलती थी जबकि 2022 में ढाई लाख. हालाँकि 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एविएशन सेक्टर 75 लाख लोगों को रोजगार दे रहा है और जीडीपी में डेढ़ फीसदी का योगदान.

8.80 लाख में औसतन एक फ्लाइट होती है क्रैश

अब बात हवाई सफर में सुरक्षा की. IATA (आइटा) एनुअल सेफ्टी रिपोर्ट बताती है कि साल 2024 में दुनिया भर में 8 लाख 80 हज़ार फ्लाइट्स में औसतन एक में कोई एक्सीडेंट होता है.  साल 2023 में 10 लाख फ्लाइट्स में से औसतन 1.09 फ्लाइट में हादसे हुए थे. 5 साल का औसत 10 लाख फ्लाइट पर 1.13 एक्सीडेंट का है. 2011 से 2015 में औसतन साढ़े चार लाख फ्लाइट्स में एक हादसा होता था.

अब 1.40 करोड़ यात्रियों में जारी है एक की जान

एमआईटी रिपोर्ट के मुताबिक 70 के दौर में विमान हादसे के चलते 3.5 लाख यात्रिओं में एक की मौत होती थी. आज से 15 साल पहले 80 लाख यात्रियों में एक जान जाती थी. जबकि बीते 5 सालों में 1 करोड़ 40 लाख मुसाफिरों में 1 की जान जाती है. यानी लगभग 10 साल में विमान हादसों की संख्या लगभग आधी हुई जबकि फ्लाइट्स और मुसाफिरों की संख्या कई गुना बढ़ी. तकनीक का बेहतर इस्तेमाल जैसी इसकी कई वजह हैं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपे आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 से 2004 के बीच 4196 लोगों की जान विमान हादसों में गयी थी जबकि 2020 से 2024 के बीच ये आंकड़ा सिमटकर 787 रह गया. 2023 में ऑन बोर्ड फैटलिटीज़ यानी प्लेन के अंदर ही मौत के 72 मामले थे जबकि 2024 में 244. इसके मुकाबले दुनियाभर में सड़क हादसों में सालाना 12 लाख लोगों की जान गई. विमान हादसे में जान गंवाने वालों के मुकाबले करीब 5 हज़ार गुना ज्यादा मौतें सड़क हादसों में.

भारत में आई हवाई दुर्घटनाओं में कमी

भारत के लिहाज़ से भी देखें तो 2009-11 में देश में 21 एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट हुए. 2012 में 5 हादसे हुए जबकि 2018 में 8, 2019  में 10, 2020 में 7 और 2021 में 9 एयरक्राफ्ट और हेलीकाप्टर हादसे हुए. स्टैटिस्का के मुताबिक 2022 में भारत में per million departures में एक्सीडेंट दर 0.87 थी, जो 2023 में जीरो थी. तीन साल पहले मार्च 2022 में राज्य सभा में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत का विमान हादसों का औसत दुनिया के मुकाबले काफी बेहतर है.

50 साल में हवाई दुर्घटनाओं में आई 40 प्रतिशत की कमी

अप्रैल 2025 में आई बोइंग रिपोर्ट बताती है कि 1975 से 2024 तक 50 सालों में एक्सीडेंट रेट में 40 फीसदी की कमी आई हैं. फेटल एक्सीडेंट रेट में 65 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. उधर यूरो न्यूज़ के मुताबिक 80% प्लेन क्रैश की वजह ह्यूमन एरर होती है. 53% मामलों में पायलट की गलती होती है. 21 फीसदी मामलों की वजह मकेनिकल फेलियर होती है. एयरबस की रिपोर्ट कहती है कि विमान सुरक्षा के लिहाज़ से टेक ऑफ और लैंडिंग सबसे खतरनाक होता है. अहमदाबाद हादसा भी टेक ऑफ के वक़्त ही हुआ था.

इस मोर्चे पर गंभीरता से सोचे जाने की जरूरत है क्योंकि इसी साल मार्च में राज्य सभा में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट ने नागरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किये थे. रिपोर्ट में बताया कि एविएशन सेफ्टी के लिए जिम्मेदार DGCA में 53 फीसदी से ज्यादा पोस्ट खाली पड़े हैं. एविएशन सिक्योरिटी में अहम् भूमिका निभाने वाले BCAS में 35% पद खाली पड़े हैं जबकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया में 17 फीसदी पोस्ट unfilled हैं. चिंता की बात सिर्फ यही नहीं है. 2025 की सेफेस्ट एयरलाइन्स की टॉप 10 रैंकिंग में भारत की एक भी एयरलाइन्स नहीं है.

जाहिर है एविएशन सेक्टर में भारत ने बीते सालों में काफी कुछ हासिल किया है लेकिन सुरक्षा के मोर्चे पर सवाल भी कई हैं. भरोसा है अहमदाबाद हादसे से सबक लिया जायेगा. खामियां दूर की जाएँगी और जवाबदेही तय होगी. ताकि आगे किसी निर्दोष को जान न गंवानी पड़े. आगे किसी का परिवार सुना न हो जाये.

इस मुद्दे पर डिटेल्ड वीडियो - 'Quality Analysis' में आप न्यू नेशन के यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते हैं. इसका मकसद है गैर जरूरी बहस के शोर में आप उन जरूरी मुद्दों को समझ सकें, जिससे आपकी और आपके अपनों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ता है. उन जरूरी मुद्दों पर बात करेंगे, जो आपके काम आएंगें - Competitive exams की तैयारी से लेकर चौराहे की चकल्लस तक में. आपको ये लेख कैसा लगा? आप जरूर बताइएगा. अगर पसंद आया तो किन मुद्दों पर आप चाहते हैं कि हम आंकड़ों के साथ आपके बीच आएं? आपके फीडबैक का इंतजार रहेगा.

(लेखक- अनुराग दीक्षित)

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