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शहीद दिवस क्यों मनाती हैं TMC प्रमुख ममता बनर्जी? 21 जुलाई को क्या हुआ

कोलकाता के एस्प्लांदे रोड पर तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस रैली का आयोजन करती है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी इस वार्षिक कार्यक्रम को क्यों मनाती है?

Updated on: 21 Jul 2022, 12:07 PM

highlights

  • तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को शहीद दिवस रैली का आयोजन करती है
  • कोरोना महामारी के चलते बीते दो साल रैली का आयोजन नहीं हो पाया
  • 21 जुलाई, 1993 को हुई एक दर्दनाक घटना की याद में कार्यक्रम होता है

नई दिल्ली:

अपनी स्थापना के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस (Martyrdom Day) के रूप में मनाती आ रही है. पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ( CM Mamata Banerjee) इस अवसर पर एक बड़ी रैली को संबोधित करती हैं. इस साल शहीद दिवस पर तृणमूल कांग्रेस बड़ा आयोजन कर रही है. क्योंकि कोरोना महामारी ( Coronavirus) सुरक्षा उपायों के चलते बीते दो साल रैली का आयोजन नहीं हो पाया था. साल 2020 और 2021 में पार्टी ने सांकेतिक तौर पर शहीद दिवस को मनाया था. 

कोलकाता के एस्प्लांदे रोड पर तृणमूल कांग्रेस हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस रैली का आयोजन करती है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी इस वार्षिक कार्यक्रम को क्यों मनाती है? इसके अलावा आखिर 21 जुलाई को क्या हुआ था और इसे शहीद दिवस क्यों कहते हैं?

21 जुलाई, 1993 की दर्दनाक याद

शहीद दिवस का कार्यक्रम 21 जुलाई, 1993 को हुई एक दर्दनाक घटना की याद दिलाती है. उस दिन ममता बनर्जी के नेतृत्व में युवा कांग्रेस द्वारा आयोजित एक विरोध रैली के दौरान पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से 13 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गोली मार दी गई थी. गोलीबारी में उन सबकी मौत हो गई थी. इस दर्दनाक घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस हर साल उन 13 शहीद कार्यकर्ताओं की याद में रैली का आयोजन करती है. ममता बनर्जी और उनकी पार्टी हर साल इस दिन शहीद दिवस मनाती हैं.

ममता बनर्जी की राजनीति में अहम मोड़

उस समय पश्चिम बंगाल में माकपा के नेता ज्योति बसु मुख्यमंत्री थे. ममता बनर्जी छात्र राजनीति के जरिए कांग्रेस की नेता बनी थीं. तब वह पश्चिम बंगाल युवा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. माना जाता है कि इस घटना ने ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ममता बनर्जी ने उस दिन चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए फोटो वोटर कार्ड को लागू करने की मांग लेकर एक रैली का नेतृत्व किया था. ममता बनर्जी की मौजदूगी वाली जगह से एक किलोमीटर दूर रैली पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. 

फायरिंग में 13 लोगों की गई जान

इस गोलीबारी से रैली में पहुंचे कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी. जान गंवाने वाले कार्यकर्ताओं में रंजीत दास, प्रदीप रॉय, अब्दुल खालिक, केशब बैरागी, बंदना दास, श्रीकांत बर्मा, दिलीप दास, रतन मंडल, मुरारी चक्रवर्ती, कल्याण बंद्योपाध्याय, विश्वनाथ रॉय, असीम दास और इनु मिया के नाम शामिल हैं.
ममता बनर्जी ने इस घटना के बाद आक्रामक राजनीति को और तेज कर दिया था. गोलीबारी की घटना के बाद पूरे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए लोगों की सहानुभूति उमड़ पड़ी. 

चार साल बाद बना तृणमूल कांग्रेस

साल 1997 में कांग्रेस के नेता प्रणब मुखर्जी, सोमेन मित्रा और प्रियरंजन दासमुंशी के साथ ममता बनर्जी का विवाद हो गया. कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर हुए विवाद के बाद ममता बनर्जी ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया. पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक तेजी से उभरती हुई ममता बनर्जी ने गोलीबारी की इस घटना के चार साल बाद अपनी खुद की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गठन किया. उनके नेतृत्व में यह पार्टी साल 2011 में पूर्ण बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल की सत्ता में आई. पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं. 

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सुशांतो चट्टोपाध्याय न्यायिक आयोग

इसके बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए सुशांतो चट्टोपाध्याय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन भी किया था. तृणमूल कांग्रेस हर साल शहीद दिवस पर अपने राजनीतिक कार्यक्रमों की घोषणाएं करती हैं. शहीदों को श्रद्धांजलि देती है. इसके अलावा कोलकाता में पार्टी की ताकत का प्रदर्शन भी करती है. इस बार भी लाखों समर्थकों-प्रशंसकों को तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता में जुटने कहा है.