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बदला गया पोर्ट ब्लेयर का नाम (Image: News Nation)
Port Blair New Name: मोदी सरकार ने आज यानी शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लिया. केंद्र सरकार ने धोषणा की कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम अब श्री विजयपुरम होगा. गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसको लेकर जानकारी अहम जानकारी दी. बता दें कि पोर्ट ब्लेयर का नाम आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था. आइए जानते हैं कि आर्चीबाल्ड ब्लेयर कौन थे.
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क्यों बदला पोर्ट ब्लेयर का नाम?
गृहमंत्री अमित शाह ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने के पीछे देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाना बताया. उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है.’ साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ क्यों रखा गया.
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क्यों रखा गया ‘श्री विजयपुरम’ नाम?
अमित शाह ने आगे लिखा, ‘‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है. इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है. चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है.’
देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
— Amit Shah (@AmitShah) September 13, 2024
‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को…
उन्होेंने बताया, ‘यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है.’ बता दें कि पोर्ट ब्लेयर का नया नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इस जगह की भूमिका को रेखांकित करता है.
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कौन थे आर्चीबाल्ड ब्लेयर?
हालांकि पोर्ट ब्लेयर का पुराना नाम ब्रिटिश नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था. आर्चीबाल्ड ने 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश नौसेना में सर्विस दी थी. तब ये जगह एक मछली पकड़ने वाले गांव के रूप में जानी जाती थी. उनको अंडमान द्वीपसमूह के सर्वेक्षण करने के लिए जाना जाता है. यही वजह है कि उनके नाम पर ही इस द्वीप का नाम रखा गया था. आर्चीबाल्ड का जन्म 1752 में हुआ था और उनकी मुत्यु 1815 में हुई थी.
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