कब और कैसे इंसानों के पालतू बने थे गधे? Genetic Analysis से हुआ खुलासा
पालतू गधों पर हुई स्टडी में खुलासा हुआ है कि लगभग 5,000 ईसा पूर्व पूर्वी अफ्रीका में गधे को पहली बार पालतू बनाया गया था. इसके बाद तेजी के साथ यूरेशिया में गधे फैल गए और जिनेटिक रूप से अलग थलग रहे.
highlights
- लगभग 5,000 ईसा पूर्व पूर्वी अफ्रीका में गधे को पालतू बनाया गया
- आधुनिक और प्राचीन गधों के जिनेटिक विश्लेषण से हुए कई खुलासे
- गधों के विकास के बारे में अभी तक इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी
नई दिल्ली:
मानवों ने गधों को कैसे पालतू ( Domestication of Donkeys) बनाया था और प्राचीन और आधुनिक गधों में कितना अंतर है. गधे के वैज्ञानिक नाम इकस एनिसस (Equus Asinus) के इतिहास और मानव विकास के साथ संबंधों पर एक साइंस पत्रिका ने बीते दिनों शोधकर्त्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की स्टडी के हवाले से इसके जवाबों को प्रकाशित किया है. आधुनिक और प्राचीन गधों का जिनेटिक विश्लेषण से पता चला है कि मानव समाज का एक हिस्सा रहे दूसरे जानवरों के उलट गधों को इतिहास में केवल एक बार पालतू बनाया गया था.
5,000 ईसा पूर्व पहली बार पालतू बना गधा
पालतू गधों पर हुई स्टडी में खुलासा हुआ है कि लगभग 5,000 ईसा पूर्व पूर्वी अफ्रीका में गधे को पहली बार पालतू बनाया गया था. इसके बाद तेजी के साथ यूरेशिया में गधे फैल गए और जिनेटिक रूप से अलग थलग रहे. इसके पीछे सहारा के फिर वन से रेगिस्तान में बदलने को माना जा रहा है. एक अलग उप-जनसंख्या बन तेजी से फैलने और जिनेटिक अलगाव ने गधों की हमारे समाज में बोझ ढोने वाले पशु की अहम भूमिका में ढलने में मदद की. हालांकि, औद्योगिक विकास के साथ ही मानव समाज से धीरे धीरे ये प्रजाति बाहर हो गई है.
पालतू गधों पर नहीं थी इतनी ज्यादा जानकारी
इंसानों को तरह तरह की जमीनों और वातावरण में वस्तुओं की ढुलाई में सहायता देने वाले पालतू गधों के विकास के बारे में अभी तक इतनी ज्यादा जानकारी नहीं थी. मानवों ने अपने विकास के इतिहास के साथ ही जिनोमिक सीक्वेंसिंग क्षमताओं को भीकई गुना तक हासिल कर लिया है. इसके जरिए प्रकृति से जुड़ी कई नई और गोपनीय जानकारियां भी सामने आती रहती है. स्टडी के निष्कर्षों में घोड़े, कुत्तों, चमगादड़, और वैक्टीरिया के बारे में भी जानने की कोशिश की गई है.
मध्य एशिया, अफ्रीका, अरब और यूरोप से सैंपल
स्टडी से जुड़े शोधकर्ताओं और स्टडी के निष्कर्ष के लेखकों ने मध्य एशिया, अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप और यूरोप से 207 आधुनिक गधों की जिनोम सीक्वेंसिंग की. उन्होंने मध्य एशिया और यूरोप में फैले फॉसिल्स से 31 प्राचीन गधे और 15 जंगली पशु घोड़े के परिवार के नमूने लिए लिए. सीक्वेंसिंग डेटा से पता चला कि आधुनिक गधे उन प्राचीन गधों के ही वंशज हैं, जिनका नमूना स्टडी के लिए चुना गया था. आंतरिक और अंतर- प्रजनन के जरिए ही उन्होंने अपना आकार और ताकत बढ़ाया था.
अज्ञात जिनेटिक वंशावली के बारे में भी चर्चा
जंगली गधों, पालतू गधों और खच्चरों ने दुनिया के बहुत से हिस्सों में सभ्यता के विकास में मानवों को अहम योगदान दिया है. खासकर कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों और कठिन इलाके वाले देशों में आज भी मेहनत के काम के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है. शोधकर्त्ताओं ने करीब 200 ईसवी पूर्व में लेवेंट क्षेत्र में पहले अज्ञात जिनेटिक वंशावली के बारे में भी लिखा है. इसने गधों के अफ्रीका से एशिया की ओर जिनेटिक प्रवाह में योगदान दिया. फिर ये जिनेटिक सीक्वेंसेज यूरोप, एशिया, और लेवेंट से वापस होकर पश्चिमी अफ्रीका की गधों की आबादी में शामिल हो गईं.
प्राचीन रोमन विला में गधों का प्रजनन केंद्र
कुछ वर्षों पहले तक हमारी बहुत सी पॉप संस्कृतियों का हिस्सा रहे गधों के बारे में पुरातत्व और फॉसिल खोजों में स्पष्ट रूप से भूमिका दर्ज की गई है. स्टडी में इस्तेमाल किए गए 9 प्राचीन गधों के जिनोम्स फ्रांस के एक पुरातत्व स्थल से लिए गए. वहां 200-500 ईस्वी में एक रोमन विला हुआ करता था. इतिहासकारों को ऐसा लगता है कि विला में गधों का एक प्रजनन केंद्र था. जिनेटिक डेटा से संकेत मिलता है कि रोमन लोगों ने अफ्रीकी और यूरोपियन गधों का अंतर-प्रजनन करके विशाल गधे तैयार कर लिए. वे इस प्रजाति के आम गधों के मुकाबले की औसत ऊंचाई 130 सेंटीमीटर से 25 सेंटीमीटर ऊंचे थे.
आपदा प्रबंधन में गधों का इस्तेमाल
जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली संकट की परिस्थितियों में अकसर गधों को इंसानों की सहायता का साधन समझा जाता है. कम और मध्यम आय वाले देशों में औद्योगिक उपकरणों की पहुंच से दूर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने के लिए आज भी गधों का इस्तेमाल किया जाता है. सूखे यानी अकाल के दिनों में भी सीमित कृषि उत्पादन और ग्रामीण समुदायों के आर्थिक प्रबंधन में गधे भारी बोझ ढोकर अपना योगदान देते हैं. क्योंकि विपरीत मौसम के साथ इनका अनुकूलन बेहद ज्यादा होता है.
ये भी पढ़ें - Begusarai Firing : अमेरिकी शूटआउट से तुलना बेमतलब, क्या है पूरा मामला
गधों पर होना चाहिए और ज्यादा अध्ययन
रिपोर्ट में स्टडी से जुड़े शोधकर्त्ताओं के हवाले से कहा गया है कि दुनिया भर में आधुनिक गधों की विविधता को चिन्हित करने के प्रयास जारी रहने चाहिए. इन प्रयासों से पिछली आबादियों की ऐतिहासिक विरासत को आधुनिक दुनिया में सुधारा जा सकता है. इसके अलावा ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति में रेगिस्तान अनुकूलन के जिनेटिक आधार का भी खुलासा किया जा सकता है. भविष्य में गधों के प्रजनन में यह स्टडी बेशकीमती संदर्भ ( References) साबित हो सकता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें