logo-image

ज्ञानवापी मामला: वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने फैसले में क्या-क्या कहा?

ज्ञानवापी विवादित ढांचे को लेकर वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वास ने फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. अब शृंगार गौरी मंदिर में पूजा को लेकर पांच हिंदू महिलाओं की याचिका पर अगली सुनवाई 22 सितंबर, 2022 को होगी.

Updated on: 12 Sep 2022, 05:04 PM

highlights

  • वाराणसी जिला जज ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना
  • हिंदू महिलाओं की याचिका पर अगली सुनवाई 22 सितंबर, 2022 को
  • कोर्ट ने कहा- इसमें प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 लागू नहीं होता है

नई दिल्ली:

वाराणसी जिला अदालत (Varanasi district Court) ने ज्ञानवापी और शृंगार गौरी मंदिर (Gyanvapi Mosque Shringar Gauri Temple case ) को लेकर चल रहे विवाद में सोमवार को बड़ा फैसला दिया है. ज्ञानवापी विवादित ढांचे को लेकर वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वास ने फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. अब शृंगार गौरी मंदिर में पूजा को लेकर पांच हिंदू महिलाओं की याचिका पर अगली सुनवाई 22 सितंबर, 2022 को होगी. आइए, जानते हैं कि देश भर की निगाहों में रहे कोर्ट के फैसले में क्या है?

फैसले से पहले कैसे थे हालात

कोर्ट के फैसले को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट था. यह स्थिति फिलहाल जारी है. फैसला सुनाए जाने के समय अदालत कक्ष में वादी और प्रतिवादी मौजूद थे. हिंदू पक्ष की तरफ से वकील हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ने दलीलें पेश की थीं. स्कंद पुराण से लेकर आधुनिक इतिहास के दस्तावेजों तक से बतौर सबूत कई उद्धरण दिए गए थे. अदालत परिसर में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. वहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र और ज्ञानवापी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया.

क्या है वाराणसी कोर्ट का फैसला

फैसले के बाद पक्ष के वकील विष्णु जैन ने इसके बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने शृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली हिंदू महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लायक माना है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. वहीं, वाराणसी जिला अदालत ने मुस्लिम पक्ष यानी ‘अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी’ की याचिका खारिज कर दी. इसका मतलब मुस्लिम पक्ष के तमाम दावों को खारिज कर दिया गया है. अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू होने पर पहले चार दिन मुस्लिम पक्ष और बाद में वादी हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गई थीं.

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं

हिंदू पक्ष के दूसरे वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 लागू नहीं होता है. मुस्लिम पक्ष की दलील थी कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत इस मामले में कोई फैसला लेने की मनाही है. इस कानून के मुताबिक देश की आजादी यानी 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था, वो आगे उसी रूप में रहेगा. हालांकि, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या के मामले को इस कानून से अलग रखा गया था.

ये भी पढ़ें - ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस: फैसले के बाद कोर्ट के बाहर गूंजा-'हर हर महादेव'

26 पेज में है कोर्ट का फैसला

दरअसल, इस मामले में वाराणसी कोर्ट को आज यही फैसला करना था कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनने योग्य है या फिर नहीं है. कोर्ट का फैसला 26 पेज में है. जिला जज ने लगभगग 10 मिनट में आदेश का निष्कर्ष पढ़कर सुनाया. फैसले में मुस्लिम पक्ष के आवेदन रूल 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज किया. इसमें मुख्य रूप से उठाये गए तीन बिंदुओं प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद को सुनवाई के योग्य माना.