South Korea deploy 'Star Wars': साउथ कोरिया ने नॉर्थ कोरिया को करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है, वो नॉर्थ कोरिया की तरफ से लगातार की जा रहीं उकसावे वाली कार्रवाईयों से तंग आ चुका है. नॉर्थ कोरिया की तरफ से कभी साउथ कोरिया में कचरे वाला बलून भेजा जाता है, तो भी ड्रोन के जरिए घुसपैठ की कोशिश होती है. जनवरी से लेकर अब तक कई बार नॉर्थ कोरिया के ड्रोन नो फ्लाई जोन में देखे गए, जिसके बाद तनाव काफी बढ़ गया. कोरियाई प्रायद्वीप में जिस तरह से तानाशाह किम जोंग-उन के एक्शन बढ़ रहे हैं. उनसे निपटने के लिए साउथ कोरिया ने भी अब बड़ी तैयारी कर ली है. उसने सीमा पर 'स्टार वॉर्स' को तैनात करने योजना बनाई. आइए जानते हैं कि ये 'स्टार वॉर्स' क्या है और वो कैसे किम के ड्रोनों को हवा में ही मोम की तरह पिघला देगा.
साउथ कोरिया का लेजर वेपन
'स्टार वॉर्स' साउथ कोरिया का सबसे खतरनाक लेजर वेपन है, जिसे उत्तर कोरियाई ड्रोन को आसमान में ही उड़ाने के लिए साउथ कोरिया तैनात करने जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो ये दुनिया के पहले लेजर वेपन की तैनाती होगी. उत्तर कोरिया के पास भारी मात्रा में परमाणु और रासायनिक हथियारों के भंडार है, जिससे वो दक्षिण कोरिया को धमकाते रहता है. ऐसे में दक्षिण कोरिया ने अपने इस लेजर वेपन को गेम चेंजर बताया है. साउथ कोरिया के रक्षा अधिग्रहण कार्यक्रम प्रशासन यानी DAPA ने कहा है कि 'हमारा देश लेजर हथियारों को तैनात करने और संचालित करने वाला दुनिया का पहला देश बन रहा है. उत्तर कोरिया के ड्रोन उकसावे का जवाब देने के लिए सेना की क्षमताओं को काफी मजबूत किया जा रहा है.'
ड्रोन को कैसे मार गिराएगा 'स्टार वॉर्स'
साउथ कोरिया ने दावा किया है कि लेजर हथियार फाइबर ऑप्टिक केबल का इस्तेमाल करके बनाई गई प्रकाश की किरणों से ड्रोन को मार गिराएगा. साउथ कोरिया के लेजर हथियार से फायर की गई प्रत्येक गोली लगभग 10 से 20 सेकंड तक चलेगी. इन लेजर को देखने के लिए आपको आंखों पर उपकरण लगाना होगा. ये लेजर 700 सेंटिग्रेड से अधिक का तापमान बनाएगा, जो ड्रोन के इलेक्टिरकल घटकों जैसे सर्किट बोर्ड और बैटरी को नुकसान पहुंचाएंगे, जिसकी वजह से ड्रोन निष्क्रिय हो जाएगा. सबसे बड़ी बात ये है कि ये लेजर सिस्टम से एक फायर करने की कीमत महज 107 दक्षिण कोरियाई रुपये होगी. मतलब 107 रुपये में नॉर्थ कोरिया का एक ड्रोन तबाह हो जाएगा.
स्टार वॉर्स को तैनात करने का फैसला क्यों?
साउथ कोरिया ने लेजर वेपन स्टार वॉर्स को तैनात करने का फैसला यूं ही नहीं किया है. दरअसल दिसंबर 2023 में पांच उत्तर कोरियाई ड्रोन दक्षिण कोरियाई क्षेत्र में घुस आए थे. नॉर्थ कोरिया के ड्रोन को मार गिराने के लिए साउथ कोरिया को लड़ाकू जेट और हमलावर हेलीकॉप्टरों को उड़ाना पड़ा था. उसके बाद से ही साउथ कोरिया इस मिशन में लग गया. केवल ड्रोन ही नहीं बल्कि नॉर्थ कोरिया को जवाब देने के लिए साउथ कोरिया न्यूक्लियर हथियारों के बारे में भी विचार कर रहा है.
स. कोरिया में न्यूक्लियर वेपंस की उठी मांग
साउथ कोरिया की जनता वहां की सरकार पर न्यूक्लियर हथियार जुटाने पर जोर दे रही है. दक्षिण कोरिया में एक सर्वे किया गया, जिसमें 71 फीसदी लोगों ने अपने देश में न्यूक्लियर वेपन की वापसी चाहते हैं. भले ही इसके लिए उन्हें अपना हथियार विकसित करना पड़े.
दरअसल 1992 में साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया में परमाणु हथियार नहीं डेवलप करने पर डील हुई थी. दोनों देशों में ये तय हुआ था कि दोनों देश परमाणु परीक्षण नहीं करेंगे. 1992 से अब तक साउथ कोरिया तो उस डील का पालन करता रहा. साउथ कोरिया ने किसी भी तरह का न्यूक्लियर टेस्ट नहीं किया. न ही उसने कभी परमाणु बम इकट्ठा करने पर जोर दिया, लेकिन नॉर्थ कोरिया ने करार का उल्लंघन किया.
नॉर्थ कोरिया ने अब तक 6 परमाणु परीक्षण किया है. नॉर्थ कोरिया के पास करीब 60 परमाणु हथियार हैं. ऐसा कहा जाता है कि नॉर्थ कोरिया के पास इतनी सामाग्री है कि वो हर साल करीब 6 परमाणु बम बना सकता है. मतलब नॉर्थ कोरिया लगातार परमाणु बम बनाने में जुटा है. खबर तो यहां तक है कि नॉर्थ कोरिया 7वीं बार न्यूक्लियर टेस्ट करने वाला है. मतलब हथियारों की जो सनक किम जोंग-उन को लगी है, वो शांत होती हुई दिखाई नहीं दे रही है. किम की इसी सनक ने अब साउथ कोरिया को सोचने पर मजबूर कर दिया है और अब साउथ कोरिया लेजन वेपन से लेकर परमाणु हथियारों पर भी जोर दे रहा है.
Source : News Nation Bureau