देश में अश्लीलता क्या है? परिभाषा, पैमाना, दायरा, कानून और सजा- सबकुछ
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक स्वीकार्य, नैतिकता और शालीनता के मानदंडों के लिहाज से अप्रिय, अपमानजनक या घृणित की श्रेणी में आने वाला सबकुछ अश्लीलता (Obscenity) के दायरे में आता है.
highlights
- 2020 में मिलिंद सोमन और पूनम पांडे पर ऐसे मामले में कार्रवाई
- अश्लीलता की परिभाषा, दायरे और कानून को लेकर बहस तेज हुई
- रणवीर सिंह मामले में मंशा और प्रभाव को आधार बनाने की संभावना
नई दिल्ली:
देश भर में एक बार फिर अश्लीलता (Obscenity) के पैमाने और उससे जुड़े कानून को लेकर चर्चा तेज हो गई है. बीते दिनों बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह (Ranveer Singh) के एक न्यूड फोटोशूट और फिर उस पर देश के कई राज्यों में एफआईआर दर्ज होने के बाद से यह मुद्दा सुर्खियों में शामिल है. देश में रणवीर से पहले भी कई कलाकारों को न्यूड फोटोशूट करवाने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि अपने देश में अश्लीलता का पैमाना और उससे जुड़ा कानून क्या है?
न्यूड फोटोशूट पर पहले भी कार्रवाई
इससे पहले साल 2020 में बॉलीवड एक्टर और मॉडल मिलिंद सोमन और पूनम पांडे पर इस तरह के मामले में कार्रवाई हो चुकी है. न्यूड फोटोग्राफी को लेकर कुछ लोगों कहना है कि यह कला को रचनात्मक ढंग से पेश करने का तरीका है. वहीं कुछ लोग इसे कला के नाम पर नग्नता परोसना और अश्लीलता करार देते हैं. कानून के अलावा इसे सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर भी गलत ठहराते हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक के बाद इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने जाने से अश्लीलता की परिभाषा, उसके दायरे और कानून को लेकर बहस और तेज हो गई है.
अश्लीलता की परिभाषा और दायरा
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के मुताबिक स्वीकार्य नैतिकता और शालीनता के मानदंडों के लिहाज से अप्रिय, अपमानजनक या घृणित की श्रेणी में आने वाला सबकुछ अश्लीलता के दायरे में आता है. हालांकि कानून में इसे स्पष्ट तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है और इसका दायरा भी नहीं बताया गया है. आईपीसी धारा 292 और IT एक्ट 67 में उन सामग्री को अश्लील बताया गया है जो कामुक (Sensuas) हो या कामुकता (Sexuality) पैदा करता हो. या फिर इसे देखने, पढ़ने और सुनने से कामुकता पैदा होती हो. कानून में कामुक और कामुकता किसे माना जाए इसको लेकर स्पष्ट नहीं किया गया है. इसकी व्याख्या करने का अधिकार कोर्ट पर छोड़ दिया गया है.
भारत में अश्लीलता से जुड़े कानून
भारत में कानूनी नजरिए से अश्लीलता एक अपराध है. इसके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293 और 294 के तहत सजा का प्रावधान है. कानूनी जानकारों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति ऐसी अभद्र सामग्री, किताब या अन्य आत्तिनजनक सामान बेचे या सर्कुलेट करे जिससे दूसरों को नैतिक रूप से परेशानी हो तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को दो साल की सजा और दो हजार रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर दूसरी बार वह ऐसे ही मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे पांच साल की जेल और पांच हजार रुपये जुर्माना देना होगा.
अश्लीलता को लेकर कई और धाराएं
आईपीसी 294- अश्लील कृत्यों और गीतों के लिए तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही अर्थदंड यानी जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसे साल 1925 में आईपीसी में शामिल किया गया था.
IPC 509- अश्लीलता के मामलों से जुड़ी एक धारा 509 भी है. अगर कोई व्यक्ति महिला की शील या लज्जा भंग करने वाली चीज दिखाता या बोलता है तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसमें तीन साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है.
आईटी एक्ट 67(A)- अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम यानी सोशल मीडिया के जरिए कामुक या कामुकता को बढ़ावा देने वाला कंटेट को प्रकाशित या प्रसारित करता है तो उसके खिलाफ IT एक्ट 67(A) के तहत कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में दोषी पाए जाने पर पांच साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माना देने का प्रावधान है. दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ा सकता है.
रणवीर सिंह का पूरा कानूनी मामला
अमेरिकी पत्रिका 'पेपर' के कवर पेज के लिए बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह ने न्यूड फोटोशूट कराया है. इसकी कुछ तस्वीरें रणवीर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 4 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. रणवीर की इन फोटोज को 22 लाख से ज्यादा लोगों ने पंसद किया है. कुछ लोगों ने इन्हें अश्लील भी बताया है. इस मामले में मुंबई में आईपीसी की धारा 292, 293 और 509 के साथ IT एक्ट की धारा 67(A) के तहत केस दर्ज किया गया है. इसके अलावा बिहार और मध्य प्रदेश में रणवीर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की खबर है.
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सजा और बचाव की क्या उम्मीद है
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे मामलों में सख्त होता दिखाई दिया है. साथ ही यह भी सच है कि जिस तरह से सामुदायिक मानदंडों में बदलाव होते हैं, उसी तरह से अश्लीलता की परिभाषा भी बदलती रहती है. आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अगर रणवीर सिंह दोषी पाए जाते हैं तो तीन महीने से सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. वहीं भारतीय संविधान की धारा 19, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ उसमें अपवादों का भी जिक्र है, इस बहस का हिस्सा बन सकता है. रणवीर सिंह के मामले में उनकी मंशा के साथ उनके काम के प्रभाव को आधार बनाने की संभावना है.
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