Parliament Monsoon Session No Confidence Motion: कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी गुट I.N.D.I.A ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पेश किया है. ये प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) ने पेश किया, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Om Birla) ने स्वीकार कर लिया है. ये अविश्वास प्रस्ताव महज एक औपचारिकता माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा में संख्या बल के लिहाज से मोदी सरकार के पास बहुमत से कहीं ज्यादा बड़ा आंकड़ा मौजूद है.
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
अब ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और इसमें नंबर गेम की अहमियत किस तरह होती है, जिससे सरकार तक गिर जाती है. संविधान के किस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश होता है और इसके तहत वोटिंग की क्या प्रक्रिया है. इस रिपोर्ट में हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देंगे.
लोकसभा में ही पेश हो सकता है अविश्वास प्रस्ताव
अविश्वास प्रस्ताव उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें विपक्षी दल सरकार के पास पर्याप्त संख्या में बहुमत नहीं होने की चुनौती दे सकते हैं. इसके लिए एक पूरी प्रक्रिया है, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस लोकसभा स्पीकर को देने के बाद उसे मंजूरी मिलने समेत कई चरण हैं. सबसे आखिर में इस प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जाती है, जिसमें यदि सत्ता पक्ष के समर्थन में बहुमत के बराबर वोट नहीं पड़ते हैं तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है. खास बात ये है कि अविश्वास प्रस्ताव केवल संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में ही पेश हो सकता है.
किस नियम के तहत लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव
भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई जिक्र नहीं है. ये व्यवस्था संसदीय कार्य प्रणाली के नियमों के तहत ली गई है. संविधान में जिक्र नहीं होने के बावजूद लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन प्रणाली के नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने की इजाजत लोकसभा के सांसदों को दी गई है. कोई भी सांसद इस नियम का उपयोग उस स्थिति में कर सकता है, जब उसे सरकार के अल्पमत में होने का शक हो. हालांकि इसके लिए प्रस्ताव पेश करने पर सांसद को साथ में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन भी पेश करना पड़ता है.
नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन प्रणाली के नियम 198 (1) से नियम 198 (5) तक के तहत पूरी की जाती है. नियम 198 (1) (क) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद को पहले स्पीकर के जरिये सदन की अनुमति लेनी पड़ती है.
सदन की अनुमति के लिए नियम 198 (1) (ख) के मुताबिक, प्रस्ताव की जानकारी सुबह 10 बजे से पहले लोकसभा के महासचिव को देनी पड़ती है.
नियम 198 (2) के तहत प्रस्ताव के साथ सांसद को 50 सांसदों के समर्थन वाले हस्ताक्षर दिखाने होते हैं.
नियम 198 (3) के तहत लोकसभा स्पीकर से प्रस्ताव को अनुमति मिलने के बाद उस पर चर्चा का दिन तय होता है. चर्चा प्रस्ताव पेश होने के 10 दिन के अंदर करानी होती है.
नियम 198 (4) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर वोटिंग कराते हैं और उस आधार पर फैसला होता है.
अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग से जुड़ी खास बातें
वोटिंग के दौरान लोकसभा के सभी सदस्य अपना वोट प्रस्ताव के पक्ष में या विपक्ष में डाल सकते हैं. यदि वोटिंग के दौरान आधे से ज्यादा सदस्यों का वोट प्रस्ताव के पक्ष में होता है तो सरकार को अल्पमत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद सरकार को इस्तीफा देना होता है. यदि इसके उल्टा होता है तो अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो जाता है.
HIGHLIGHTS
- क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
- अविश्वास प्रस्ताव में होती है वोटिंग
- सिर्फ निचले सदन में लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव
Source : News Nation Bureau