क्या है कोल्हान रीजन, चंपई सोरेन को कहा जाता है जहां का ‘टाइगर’, उनके आने से BJP को क्या होंगे फायदे?
Jharkhand Politics News: चंपई को झारखंड की राजनीति में ‘कोल्हान टाइगर’ नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं कि कोल्हान रीजन क्या है, जहां चंपई सोरेन का अच्छा खासा दबदबा है और उनके पार्टी में आने से बीजेपी को क्या फायदे होंगे.
Jharkhand Politics: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बड़े नेता चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है. चंपई सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी का ‘कमल’ थामेंगे. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी है. चंपई को झारखंड की राजनीति में ‘कोल्हान टाइगर’ नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं कि कोल्हान रीजन क्या है, जहां चंपई सोरेन का अच्छा खासा दबदबा है और उनके पार्टी में आने से बीजेपी को क्या फायदे होंगे.
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चंपई ने क्यों छोड़ी जेएमएम?
झारखंड में जेएमएम के राजनीतिक उत्थान में चंपई सोरेने की बड़ी भूमिका रही है. उनको शिबू सोरेन का सबसे विश्वस्त और करीबी माना जाता है. वे जेएमएम के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. यही वजह है कि जब कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को अरेस्ट किया गया था, तो उनके बाद बाद चंपई सोरेन का प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था. वो 2 फरवरी 2024 को झारखंड के 7वें सीएम बने थे. हालांकि हेमंत सोरेन के जेल से रिहा होने के बाद उनको सीएम पद छोड़ना पड़ा था. यही वजह है कि उन्होंने जेएमएम छोड़ने का फैसला किया.
सीएम कुर्सी से हटने के बाद चंपई सोरेन ने कहा था कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनको घोर अपमान का सामना करना पड़ा और इसी वजह से उनको अलग रास्ता चुनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इस तरह से चंपई सोरेन ने जेएमएम के साथ अपनी कई दशकों के राजनीतिक सफर का अंत करने के फैसले के बारे में ऐलान किया था. इसके बाद उनके बीजेपी ज्वॉइन करने की कयास लगाने वाली खबरें मीडिया की सुर्खियों में छा गई. आखिर अब असम सीएम के एक्स पोस्ट के साथ ही इस बात पर मुहर लगती हुई दिख रही है. खबरे हैं कि BJP और चंपई सोरेन के बीच कोल्हन रीजन में राजनीतिक सहयोग मजबूत करने को लेकर बात बनी है.
ऐसे में आइए जानते हैं कि कोल्हान रीजन क्या है, उसका राजनीतिक महत्व क्या है और चंपई सोरेन के आने से बीजेपी इस रीजन में जेएमएम पर कैसे बीस पड़ेगी. वहीं इस मामले में झामुमो नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बीजेपी पर उनकी पार्टी के नेताओं को लुभाने का आरोप लगा रहे हैं.
Former Chief Minister of Jharkhand and a distinguished Adivasi leader of our country, @ChampaiSoren Ji met Hon’ble Union Home Minister @AmitShah Ji a short while ago. He will officially join the @BJP4India on 30th August in Ranchi. pic.twitter.com/OOAhpgrvmu
झारखंड में कोल्हान रीजन चुनावी गणित के लिहाज से काफी अहम माना जाता है. कोल्हन मंडल में तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं. इन तीनों जिलों में 14 विधानसभा सीटें हैं, जिन पर चंपई सोरेन का काफी प्रभाव है. यही वजह है कि चंपई सोरेन को लेकर इतनी आतुर दिख रही है. चंपई सोरेन के आने बीजेपी प्रदेश में जेएमएम पर भारी पड़ेगी, क्योंकि–
कोल्हान रीजन में चंपई सोरेन का काफी दबदबा है, वो कद्दावर आदिवासी नेता हैं. उनके जाने से जेएमएम के सामने रीजन में एक बड़े नेता की कमी खलेगी.
वहीं, चंपई सोरेन के बीजेपी में आने से पार्टी को बड़ा फायदा होगा. उसे कोल्हान रीजन में चंपई सोरेन के वोटबैंक मिलने से बढ़त मिल सकती है.
कहा तो यहां तक जा रहा है कि चंपई सोरेन के आने से इस क्षेत्र की राजनीति काफी हद तक बीजेपी के पक्ष में झुक जाएगी.
चंपई सोरेन को पाले में कर बीजेपी की एक मजबूत आदिवासी नेता की तलाश पूरी होगी, जिससे पार्टी कोल्हान रीजन की 14 सीटों पर मजबूत पकड़ कर सकती है.
झारखंड में बीजेपी की स्थिति
झारखंड में 2020 में हुए चुनाव में बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं. वहीं जेएमएम 30 सीटें मिली थीं, इनमें से उसने 11 सीटें अकेले कोल्हान रीजन में जीती थीं. ऐसे में आप समझ ही सकते हैं कि चंपई सोरेन के बीजेपी में आने से इस क्षेत्र की राजनीति उसके पक्ष में झुक जाएगी.