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Identity Theft: क्या है आइडेंटिटी थेफ्ट, 15 साल तक मर्डर आरोपी ने काटी मौज, पूरा कांड जान होंगे हैरान!

Identity Theft: तरुण जिनराम अपनी पत्नी की हत्या का आरोपी है, बावजूद इसके उसने 15 साल तक अपने दोस्त की पहचान चुराकर मौज काटी. जानें- आइडेंटिटी थेफ्ट क्या है और इससे कैसे बचें.

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Ajay Bhartia
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Identity Theft News

आइडेंटिटी थेफ्ट (सांकेतिक तस्वीर: Social Media)

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Identity Theft: आइडेंटिटी थेफ्ट यानी पहचान की चोरी के कई मामले आपने सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पूरा कांड जान कर आप हैरान होंगे. वह शख्स अपनी पत्नी की हत्या का आरोपी है, बावजूद इसके उसने 15 साल तक अपने दोस्त की पहचान चुराकर मौज काटी. हालांकि अब वो शख्स पकड़ गया है और उसे जेल भेज दिया गया है. लेकिन अब सवाल ये है कि आइडेंटिटी थेफ्ट क्या है और इससे कैसे बचें.

15 साल तक तरुण ने काटी मौज

एक इंग्लिश वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, दोषी शख्स का नाम तरुण जिनराज है. उसने अपने दोस्त प्रवीण भटेले की पहचान चुराई थी. इसके बाद उसने पुणे, बेंगलुरु और भोपाल में बड़ी-बड़ी कंपनियों में अपने दोस्त के नाम पर नौकरी की. इसी मामले में भोपाल के एक सेशन कोर्ट ने तरुण जिनराज को सात साल सश्रण कारावास की सजा सुनाई है. अब जेल भेज दिया गया है. 

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तरुण ने दोस्त के नाम पर की शादी

तरुण जिनराज के इस कांड ने हर किसी को हैरान कर दिया है. नौकरी करने के अलावा तरुण जिनराज 15 साल तक अपने दोस्त के नाम पर पूरी मौज काटी. उनसे  प्रवीण भटेले के डॉक्यूमेंट से नौकरिया बदलीं, विदेश यात्रा की, दूसरी शादी भी की और बच्चे भी पैदा किए. इस दौरान उसने किसी को भनक तक नहीं लगने दी कि वो प्रवीण भटेले नहीं तरुण जिनराज है. 

तरुण ने कैसे चुराई दोस्त की पहचान?

पुलिस के अनुसार, 2003 में अपनी पत्नी की कथित हत्या के बाद तरुण भोपाल आया था. तब उसने अपने दोस्त प्रवीण भटेले से मदद मांगी और झूठ बोला कि उसकी नौकरी चली गई है. प्रवीण भटेले भोपाल में जूडो ट्रेनिंग सेंटर चलाता था और उसका ऑफिस जवाहर चौक में था. दोस्त तरुण को मुश्किल में देखकर प्रवीण उसकी मदद को तैयार हो गया. 

प्रवीण ने प्रोफिट में हिस्सेदारी के आधार पर तरुण के साथ अपने काम में शामिल कर लिया. प्रवीण ने तरुण से कहा कि वह उसका खाने-पीने और रहने का खर्चा उठाएगा, लेकिन उसे सैलरी नहीं दे सकता है. मुश्किल में फंसे तरुण ने प्रवीण की बात पर तुरंत सहमति जता दी, लेकिन उसे क्या पता था कि तरुण के दिमाग में कितनी खतरनाक साजिश चल रही है. उसे पता नहीं था कि तरुण धोखाधड़ी के ऐसे जंजाल में उसे फंसाने वाला है, जिसका अंजाम बड़ी बुरा होता है. 

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प्रवीण के साथ काम करने के दौरान तरुण ने मौका पाकर एक दिन उसके आधार कार्ड, पासपोर्ट, पैनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मार्कशीट और डिग्रियों तक की प्रतिया स्कैन करके खुद को ईमेल कर लीं. इसके बाद उसने अपनी असली पहचान यानी तरुण जिनराम को पूरी तरह से छिपा लिया और डॉक्यूमेंट्स मिलने के बाद सब जगह खुद को प्रवीण भटेले के रूप में बताने लगा.

कैसे हुआ खुलासा?

असली प्रवीण भटेले को ये बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसका दोस्त तरुण जिनराम उसके नाम पर ठगी कर रहा है, लेकिन जब 2018 में उसने एक खबर पढ़ी, जिसमें बताया गया था कि प्रवीण भटेले नाम के शख्स को धोखाधड़ी के लिए अरेस्ट किया गया है. इसके बाद प्रवीण भटेले ने उसकी पहचान चोरी होने को लेकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. पिछले महीने कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 7 साल कारावास की सजा सुनाई और 11,000 रुपये का जुर्माना लगाया.

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क्या है आइडेंटिटी थेफ्ट? (What is identity theft)

आइडेंटिटी थेफ्ट यानी पहचान की चोरी धोखाधड़ी, चोरी और ठगी का एक तरीका है. इसमें किसी व्यक्ति की पर्सनल डिटेल जैसे उसका आधार कार्ड, पैनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, एजूकेशन डॉक्यूमेंट को चुराकर उसका इस्तेमाल लोगों को धोखाधड़ी, चोरी करने, क्राइम से बचने के लिए और ठगी जैसे अपराधों में किया जाता है. साथ ही आइडेंटिटी थेफ्ट के जरिए साइबर क्राइम को भी किया जा सकता है. इससे बचने का सिर्फ ये ही तरीका है कि अपने जरूर डॉक्यूमेंट्स और निजी जानकारी को किसी के साथ भी शेयर न करें.

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