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Hit and Run Law: क्या है नया हिट एंड रन कानून जिसका हो रहा विरोध, पुराने से कैसे है अलग, जानें सबकुछ

Hit and Run Law: नए हिट एंड रन कानून के विरोध में देशभर में थमे 25 लाख से ज्यादा चक्के, जानें क्या है नया कानून और पहले से किस तरह अलग.

Updated on: 02 Jan 2024, 11:10 AM

highlights

  • देशभर के 10 से ज्यादा राज्यों में हो रहा हिंट एंड रन कानून का विरोध
  • नए हिट एंड रन कानून 10 साल की सजा और 7 लाख जुर्माने का प्रावधान
  • देशभर में 95 लाख ट्रक, जबकि 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं

New Delhi:

Hit and Run Law: देशभर के कई इलाकों में इन दिनों सर्दी से ज्यादा चर्चा हिट एंड रन कानून की हो रही है. क्योंकि इस कानून के विरोध में देशभर के 10 से ज्यादा राज्यों में ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल जो कर दी है. इन हड़ताल की वजह से पेट्रोल पंपों पर वाहन चालकों की लंबी कतार लग गई है. साल की शुरुआत के साथ ही लोगों को सबसे बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. ये मुसीबत है पेट्रोल की. जी हां पेट्रोल और डीजल वाहन चालकों को पेट्रोल पंपों पर लंबी कतार लगाना पड़ रही है. यही नहीं इसके बाद भी कई पेट्रोल पंपों से लोगों को बैरंग यानी बिना तेल लिए ही लौटना पड़ रहा है. कई शहरों में तो पेट्रोल पंप पूरी तरह खाली हो चुके हैं. उनके पास आगे देने के लिए पेट्रोल-डीजल समाप्त हो चुका है. हड़ताल इसी तरह जारी रही आने वाले दिनों में इसके काफी दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. 

अभी हड़ताल की घोषणा नहीं
भारतीय ट्रक ड्राइवर एसोसिएशन की ओर से वाहनों के चक्के रोक दिए गए हैं. चार दिन के लिए इन ड्राइवरों ने ट्रक चलाने से मना कर दिया है. लिहाजा इसका सीधा असर कई राज्यों औऱ शहरों में देखने को मिल रहा है. वहीं ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष अमृतलाल मदान की मानें तो फिलहाल ट्रांसपोर्टर्स ने स्ट्राइक का ऐलान नहीं किया है. इसका फैसला 2 जनवरी मंगलवार को दिल्ली में हो रही मीटिंग के बाद ही लिया जाएगा. फिलहाल वाहन चालक खुद वाहन छोड़कर अपना विरोध जता रहे हैं. 

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क्या है नया हिट एंड रन कानून?
हिट एंड रन कानून में बीते संसद के शीतकालीन सत्र में अहम बदलाव किए गए हैं. इन्हीं बदलावों की वजह से इसको लेकर विरोध हो रहा है. नए हिट एंड रन कानून की बात करें तो भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा 104 के तहत जो लापरवाही से मौत का कारण के लिए दंडात्मक कार्रवाई के लिए बाध्य है. आसान शब्दों में समझें तो वाहन चालक के तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत होती है और ड्राइवर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बिना भाग जाता है तो 10 साल तक सजा और 7 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा. 

इससे पहले कानून में क्या था प्रावधान?
इससे पहले हिंट एंड रन कानून में आईपीसी की धारा 279, ड्राइवर की पहचान के 304ए और 338 (जान जोखिम में डालना) जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज होता था.  इसमें दो वर्ष की सजा का ही प्रावधान था. ऐसा तब था जब ड्राइवर बिना सूचना दिए भाग जाए. 

क्यों विरोध कर रहे ड्राइवर?
नए हिट एंड रन कानून को लेकर ड्राइवरों की चिंता का कारण है कि मौके पर रहना उनके लिए संभव नहीं है. क्योंकि मौके पर रहने में भीड़ के गुस्से का शिकार होने की संभावना ज्यादा होती है. लिहाजा ज्यादातर ड्राइवर वाहन छोड़कर या लेकर वहां से भाग जाते हैं. अब अगर ऐसे भागेंगे तो 10 वर्ष की सजा और 7 लाख का जुर्माना दोनों ही उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा. 

क्या है चालकों की मांग
वहीं ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अधिकारी की मानें तो हिट एंड रन मामलों में अचानक पेश किए गए कड़े प्रावधानों की वजह से चालकों में गुस्सा है. उनकी डिमांड है कि इन प्रावधानों को तुरंत वापस लिया जाए. बता दें कि मुंबई को आगरा से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे पर धार और शाजापुर जिलों में वाहन चालकों ने लंबा चक्का जाम कर रखा है. इससे बड़ी संख्या में वाहनों की लंबी कतारें लग गई हैं. 

सरकार ने क्यों किया बदलाव, क्या है नए हिट एंड रन कानून का मकसद?
केंद्र सरकार की ओर से हिंट एंड रन कानून में संशोधन करने के पीछे अहम वजह है हर वर्ष सड़क हादसों में हो रही बढ़ोतरी को रोकना. ऐसा देखने में आता है कि देशभर में हर वर्ष सबसे ज्यादा मौते सड़क हादसों में ही होती है. इनमें ट्रक की टक्कर या फिर तेज रफ्तार कारों से मौत के आंकड़े कहीं ज्यादा हैं. लिहाजा सरकार ने इस कानून में अहम बदलाव किया है.

कहां-कहां हो रहा विरोध
देश के 10 से ज्यादा राज्यों में ट्रक ड्राइवरों ने इस नए हिट एंड रन कानून का विरोध शुरू कर दिया है. इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, पंजाब, और उत्तराखंड प्रमुख रूप से शामिल हैं. 

भारत में ट्रकों की स्थिति
- 95 लाख ट्रक देशभर में 
- 100 अरब किलोमीटर की दूर हर वर्ष करते हैं तय
- 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर भारत में रजिस्टर्ड

स्कूल बसों से लेकर अन्य एसेंशियल वाहनों के थमे चक्के
इस विरोध का असर स्कूली बसों से लेकर सब्जी औऱ रोजमर्रा के सामानों यानी एसेंशियल चीजों के वाहनों के बंद पड़ने के रूप में भी देखा जा रहा है. अकेले मध्य प्रदेश में सवा लाख से ज्यादा स्कूल बसे हैं इनमें से ज्यादातर के पहिए थम गए हैं. वहीं स्कूल वैन से लेकर दूध और सब्जियों के ट्रक भी बंद पड़े हैं. इससे लोगों को खाने-पीने की चीजों को लेकर भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.