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GRAP है क्या और इस बार Delhi-NCR के वायु प्रदूषण से कैसे निपटेगा...

सर्दी के मौसम में दिल्ली को प्रदूषण की मार से बचाने के लिए सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) तैयार किया है. ग्रैप वास्तव में प्रदूषण की वजह से हवा की गुणवत्ता में और गिरावट रोकने के लिए अपनाए जाने वाले आपातकालीन उपायों का एक ढांचा है.

Updated on: 06 Oct 2022, 07:20 PM

highlights

  • इस साल की शुरुआत में सीएक्यूएम ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान में किया गया था संशोधन
  • अब प्रदूषण की श्रेणी बढ़ने की आशंका देखकर तीन पहले ही लागू कर दिए जाएंगे ग्रैप उपाय
  • पहली बार दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के क्रम में संबंधित राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश

नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग (CAQM) ने विगत दिनों ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-1 के उपायों को तत्काल प्रभाव से एनसीआर में लागू कर दिया. यह आदेश बुधवार को दिल्ली की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के 'खराब' श्रेणी में आने के बाद आया. एनसीआर (NCR) के गुरुग्राम, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी की आंकी गई. ग्रैप वास्तव में प्रदूषण (Pollution) की वजह से हवा की गुणवत्ता में और गिरावट रोकने के लिए आपातकालीन उपायों को अपनाने के लिए इस साल तैयार किया गया एक ढांचा है. ग्रैप के स्टेज-1 को एक्यूआई के 'खराब' (201 से 300) में आते ही तुरंत लागू कर दिया जाएगा. बुधवार को दिल्ली (Delhi) का एक्यूआई 211 आंका गया था. दूसरे, तीसरे और चौथे चरण को क्रमशः एक्यूआई के 'बहुत खराब' श्रेणी (301 से 400), 'गंभीर' श्रेणी (0401 से 450) और 'गंभीर प्लस' श्रेणी (450 से ऊपर) में आने के तीन दिन पहले लागू कर दिया जाएगा. इसके लिए वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग हवा की गुणवत्ता के साथ-साथ मौसम विभाग समेत आईआईआईएम की भविष्यवाणियों पर निर्भर रहेगा. यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि अगले चरण के उपायों के लागू करने के बाद भी पहले चरण के उपाय बदस्तूर जारी रहेंगे. उदाहरण के लिए यदि स्टेज-2 यानी दूसरे चरण के उपायों को लागू कर दिया जाता है, तो पहले चरण के उपायों की भी यथास्थिति बरकरार रहेंगे. 

इस साल का ग्रैप आखिर पहले से कैसे है अलग
वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग ने इस साल की शुरुआत में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को संशोधित किया था. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जनवरी 2017 में पहली बार ग्रैप को अधिसूचित किया था. नवंबर 2016 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत एक योजना के आधार पर ग्रैप की संस्तुतियों को तैयार किया गया था. अधिसूचना के आधार पर ग्रैप को एनसीआर में लागू कराने की जिम्मेदारी अब भंग हो चुके पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) विभाग की थी. 2021 से अब तक ग्रैप को लागू कराने की जिम्मेदारी वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग संभाल रहा है. 2017 में अधिसूचित ग्रैप में प्रदूषण के एक निश्चित स्तर पर पहुंच जाने के बाद उपायों को अमल में लाया जाता था. इस साल के ग्रैप के उपाय प्री-एम्प्टिव हैं और एक्यूआई की गुणवत्ता के बिगड़ने से पहले ही इन्हें लागू कर दिया जाएगा. ग्रैप के पुराने नियम-कायदों में उपाय प्रदूषण के PM2.5 और PM10 के स्तर तक घने होते ही लागू किया जाता था. इस साल ग्रैप के उपाय वायु गुणवत्ता सूचकांक पर निर्भर करेंगे, जो प्रदूषण के अन्य कारणों पर भी नजर रखेंगे. मसलन ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड. 

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इस साल लागू किए जाएंगे ये उपाय
इस साल संशोधित ग्रैप के कुछ उपाय पहले की तुलना में काफी अलग हैं. पहली बार ग्रैप के तहत राज्य सरकारों को निर्दिष्ट किया गया है कि एनसीआर में पेट्रोल के बीएस-3 और डीजल के बीएस-4 चार पहिया वाहन स्टेज-3 लागू होने के बाद कतई नहीं चलें या वायु गुणवत्ता सूचकांक के 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचते ही इन पर सख्ती से रोक लगा दी जाए. प्रदूषण के 'गंभीर प्लस' श्रेणी में पहुंचते ही दिल्ली और उसकी सीमा से लगे जिलों में चार-पहिया वाहनों पर रोक लग जाएगी. इस रोक से बीएस-6 श्रेणी के वाहन या आपातकालीन या जरूरी सेवाओं से जुड़े वाहन ही अछूते रहेंगे. इस श्रेणी के अंतर्गत दिल्ली में पंजीकृत डीजल से चलने वाले मध्यम और भारी माल वाहक वाहनों पर भी रोक लगेगी. यहां भी जरूरी उपभोग की वस्तुएं या अन्य जरूरी सामान की ढुलाई कर रहे वाहन इस रोक से बचे रहेंगे. संशोधित ग्रैप में निर्माण से जुड़ी कुछ गतिविधियों पर भी समय से पहले रोक लगा दी जाएगी. 'गंभीर' श्रेणी के आते ही रेलवे, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं, अस्पतालों, मेट्रो सेवा और हाईवे-सड़क जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं को छोड़कर निर्माण कार्य से जुड़ी सभी गतिविधियां रोक दी जाएंगी. पहले के ग्रैप उपायों में निर्माण कार्यों से जुड़ी गतिविधियों पर रोक 'गंभीर प्लस' श्रेणी में लगाई जाती थी. इस साल हाई-वे, सड़क, फ्लाइओवर, पाइपलाइन और पावर ट्रांसमिशन से जुड़ी परियोजनाओं को 'गंभीर प्लस' श्रेणी में रोक दिया जाएगा. 

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अन्य कदमों पर भी विचार
वायु प्रदूषण के 'गंभीर प्लस' श्रेणी में पहुंचते ही राज्य सरकार कुछ अतिरिक्त आपातकालीन कदम भी उठा सकती हैं. मसलन स्कूल बंद किए जाने समेत ऑड-ईवन आधार पर वाहनों को चलाने पर अमल हो सकता है. इसके अलावा सार्वजनिक, म्यूनिसिपल और निजी ऑफिस में 50 फीसद कर्मचारियों को ही कार्यालय आने की अनुमति दी जाए. शेष कर्मचारी घर पर रहते हुए काम करें. 

नागरिकों को क्या करना होगा...
संशोधित ग्रैप में आम नागरिकों के लिए भी कुछ उपाय निर्दिष्ट किए गए हैं, जिन पर उन्हें अमल करना होगा. वायु प्रदूषण के 'खराब' श्रेणी में नागरिकों को अपने वाहनों के इंजन को ट्यूंड कराना होगा, पीयूसी सर्टिफिकेट अपडेट रखना होगा, लाल बत्ती पर वाहनों को बंद करना होगा. 'बेहद खराब' श्रेणी में नागरिकों को सुझाव दिया गया है कि वह सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें. साथ ही अपने वाहनों में एयर फिल्टर बदलाएं. वायु प्रदूषण के 'गंभीर' श्रेणी में आते ही अगर संभव हो तो वर्क फ्रॉम होम कर दिया जाए. साथ ही सर्दी से राहत पाने के लिए कोयले या लकड़ी के अलाव जलाने से रोका जाएगा. प्रदूषण के 'बेहद गंभीर' श्रेणी में पहुंचते ही क्रोनिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों समेत बच्चों और उम्रदराज लोगों से घरों से बाहर कतई नहीं निकलने की समझाइश दी जाएगी. 

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ग्रैप को लागू कौन करेगा
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने GRAP के अनुपालन के लिए उप-समिति का गठन किया है. इस निकाय में सीएक्यूएम के अधिकारी, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, आईएमडी और आईआईआईएम से एक-एक वैज्ञानिक, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सेंटर फॉर ऑक्युपेशनल एंड इन्वायरमेंटल हेल्थ के स्वास्थ्य सचिव डॉ टीके जोशी शामिल रहेंगे. उप-समिति समय-समय पर बैठक कर ग्रैप से जुड़े उपायों को अमल में लाने के आदेश जारी करेगी. सीएक्यूएम के आदेश और दिशा-निर्देश राज्य सरकारों से किसी किस्म के मतभेद के बावजूद प्रभावी रहेंगे. योजना की विभिन्न श्रेणियों के तहत उपायों को लागू कराने की जिम्मेदारी एनसीआर राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित विभागों समेत ट्रैफिक पुलिस, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट आदि की होगी. वायु गुणवत्ता सूचकांक के लिए प्रदूषण के तय पैमाने पर पहुंचने से तीन दिन पहले स्टेज-2, स्टेज-3 और स्टेज-4 के ग्रैप उपायों को तत्काल प्रभाव से अमल में लाया जाएगा. 

स्टेज-1 एक्यूआई खराब श्रेणी (201 से 300)

  • 500 वर्ग मीटर या इससे अधिक के प्लॉट पर सभी निर्माणाधीन और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही रोक दी जाएगी. इनमें वे प्लॉट शामिल रहेंगे, जो डस्ट मिटिगेशन मॉनीटरिंग पोर्टल्स पर पंजीकृत नहीं होंगे.
  • सड़कों पर मैकेनाइज्ड झाड़ु-बुहारी समेत पानी का छिड़काव किया जाएगा.
  • निर्माणाधीन साइट्स पर एंटी-स्मॉग गन के इस्तेमाल पर दिशा-निर्देश लागू किए जाएंगे.
  • खुले में कचरा जलाने पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी. साथ ही वाहनों को पीयूसी कागजातों पर ही चलने दिया जाएगा.
  • डिस्कॉम्स एनसीआर में कम से कम बिजली कटौती करेंगे.
  • सड़कों पर यातायात का बोझ कम करने के लिए कार्यालयों को एकीकृत परिवहन व्यवस्था के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. 

स्टेज-2 एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी (301 से 400)

  • होटलों में कोयले या लकड़ी से जलने वाले तंदूरों की अनुमति नहीं होगी.
  • रूरी और आपातकालीन सेवाओं (अस्पतालों, रेलवे, मेट्रो सेवा, एयरपोर्ट, वॉटर पंपिंग स्टेशन, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं) को छोड़कर डीजल से चलने वाले जनरेटरों पर रोक रहेगी. 
  • निजी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग दर को बढ़ा दिया जाएगा.
  • सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों समेत मेट्रो सेवाओं के लिए अतिरिक्त वाहन जोड़े जाएंगे. मेट्रो रेल के फेरे और बढ़ा दिए जाएंगे. 

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स्टेज-3 एक्यूआई गंभीर श्रेणी (401 से 450) 

  • रेलवे, मेट्रो, अस्पतालों, साफ-सफाई से जुड़े प्रोजेक्ट, हाई-वे, सड़क, फ्लाइओवर निर्माण को छोड़ कर सभी निर्माणाधीन और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर रोक.
  • जो उद्योग पीएनजी या स्वीकृत ईंधन से नहीं चल रहे होंगे उन्हें बंद कर दिया जाएगा. औद्योगिक क्षेत्रों में पांच दिन काम करने की अनुमति ही होगी.
  • एनसीआर से जुड़ी राज्य सरकारें बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल चलित चार पहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगाएंगी.

स्टेज-4 एक्यूआई गंभीर प्लस श्रेणी (450 से अधिक)

  • आवश्यक वस्तुओं और सीएनजी-इलेक्ट्रिक संचालित ट्रकों को छोड़ शेष को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.
  • डीजल संचालित मध्यम या भारी माल वाहक वाहन भी दिल्ली में नहीं चल पाएंगे. सिवाय आवश्यक वस्तुएं से जुड़े वाहनों को छोड़कर.
  • बीएस-6 श्रेणी और आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छोड़कर दिल्ली और उसकी सीमा से लगे एनसीआर जिलों में चार पहिया डीजल वाहनों पर रोक. 
  • राज्य सरकारों अन्य आपातकालीन उपायों को भी अमल में ला सकती हैं. मसलन स्कूलों को बंद करने समेत वाहनों को ऑड-ईवन आधार पर सड़कों पर चलने की अनुमति देना. 
  • एनसीआर जिलों से संबंधित राज्य सरकार सार्वजनिक, म्यूनिसिपल और निजी कार्यालयों को 50 फीसदी की क्षमता के साथ काम करने का निर्णय ले सकती हैं. शेष घर से काम करेंगे. 
  • हाई-वे, सड़क, फ्लाइओवर को छोड़ सभी तरह की निर्माणाधीन और ध्वस्तीकरण से जुड़ी गतिविधियों पर रोक रहेगी.