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Fake Fielding का कोहली पर 'विराट' आरोप, जानें क्या होती है ये

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के 41.5.1 कानून के मुताबिक यदि कोई फील्डर शब्दों या हरकत से जानबूझकर क्रीज पर मौजूद किसी भी बल्लेबाज का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है, उसे धोखा देता है या बाधा बनता है तो इसे 'फेक फील्डिंग' माना जाएगा.

Updated on: 03 Nov 2022, 07:41 PM

highlights

  • बांग्लादेशी विकेट कीपर के आरोप के बाद सोशल मीडिया पर रार
  • ताज्जुब यह कि अंपायर, बल्लेबाजों समेत किसी ने नहीं देखा इसे
  • क्रिकेट पंडित और कमेंटेटर हर्षा भोगले ने समझाया पूरा प्रकरण

नई दिल्ली:

T20 World Cup 2022 में बुधवार को एडिलेड में भारत और बांग्लादेश के बीच खेले गए मैच में भारतीय खिलाड़ी विराट कोहली (Virat Kohli) पर 'फेक फील्डिंग' का आरोप लगा है. बांग्लादेश (Bangladesh) के विकेट कीपर नूरुल हसन (Nurul Hasan) ने विराट पर यह आरोप मढ़ा है. नूरुल हसन का कहना है कि अंपायरों का इस ओर ध्यान नहीं जाने से भारत जितने रनों के अंतर से मैच जीता है, वह खतरे में पड़ सकता था. विवाद लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेशी टीम के सातवें ओवर से जुड़ा है. अक्षर पटेल गेंदबाजी कर रहे थे और लिटन दास ने बैकवर्ड पॉइंट के दिशा में शॉट खेला था. अर्शदीप सिंह ने गेंद को पकड़ विकेट कीपर की ओर थ्रो फेंका. इसी बीच विराट कोहली ने नॉन स्ट्राइकर एंड पर थ्रो फेंकने की महज एक्टिंग की. विराट की इस हरकत को न तो क्रीज पर जमे बांग्लादेशी बल्लेबाज लिटन दास और नजमूल हौसेन ने देखा और न ही ऑन फील्ड अंपायर मैराइस इरासमस या क्रिस ब्राउन ने देखा. बांग्लादेशी विकेट कीपर नूरुल हसन के इस आरोप के बाद विवाद खड़ा हो गया. इसे कमेंटेटर हर्षा भोगले (Harsha Bhogle) ने करीने से समझाया और संकेत दिया कि विराट पर यह आरोप बांग्लादेश पर भारी पड़ सकता है. 

क्या कहता है आईसीसी का नियम
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के 41.5.1 कानून के मुताबिक यदि कोई फील्डर शब्दों या हरकत से जानबूझकर क्रीज पर मौजूद किसी भी बल्लेबाज का ध्यान भटकाने की कोशिश करता है, उसे धोखा देता है या बाधा बनता है तो इसे 'फेक फील्डिंग' माना जाएगा. कथित वीडियो में विराट थ्रो फेंकने का दिखावे करते दिख रहे हैं, लेकिन किसी भी अंपायर या क्रीज पर मौजूद दोनों बल्लेबाजों का इस ओर ध्यान नहीं गया. अगर विराट को इस 'फेक फील्डिंग' का दोषी पाया जाता तो भारत के 5 रनों की पेनाल्टी देनी पड़ती. हालांकि ऐसे मामले में अंपायर के विवेक पर काफी कुछ निर्भर करता है. अगर अंपायरों को लगता कि फील्डर ध्यान भटकाने, धोखा देना या रुकावट बनने का दोषी है, तो आईसीसी का 41.5.3 कानून लागू होता है. इसके तहत 5 रनों की पेनाल्टी के साथ ही गेंद को 'डैड बॉल' करार दिया जाता है और दूसरे अंपायर को इससे अवगत कराया जाता है. अब अगर कल के मैच की बात करें तो भारत-बांग्लादेश के बीच इस तरह वर्षा से बाधित मैच में लागू डकवर्थ लुइस नियम के तहत जितने रनों से भारत जीता, उतने रन बांग्लादेश को बतौर पेनाल्टी मिलते. इसके बाद सुपरओवर खेला जाता तो हो सकता है कि बांग्लादेश मैच जीत भी जाता. 

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क्या अभी तक किसी को इसके तहत झेलनी पड़ी है पेनाल्टी
पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के साथ एक बेहद नजदीकी मुकाबले में पाकिस्तान ने 'फेक फील्डिंग' के तहत पेनाल्टी की मांग की थी, जो उसे नहीं मिली थी. पाकिस्तान को आखिरी ओवर में 31 रनों की दरकार थी. दक्षिण अफ्रीका के विकेट कीपर क्विंटन डि कॉक ने ऐसा सिग्नल दिया कि गेंदबाज के छोर की ओर डीप से थ्रो आ रहा है. फकर जमान ने डि कॉक के सिग्नल को देख और सोचा गेंद उसकी ओर नहीं आ रही है. ऐसे में वह थोड़े धीमे पड़ गए. यह अलग बात है कि एडेन मरक्राम का थ्रो सीधे विकेट कीपर के हाथों में आया और उन्होंने फकर जमान की गिल्लयां बिखरने में देर नहीं लगाई. 

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हर्षा भोगले ने ट्वीट कर समझाया पूरा प्रकरण
कोहली पर 'फेक फील्डिंग' का 'विराट' आरोप लगने और सोशल मीडिया पर इसके ट्रेंड करने पर क्रिकेट पंडित हर्षा भोगले ने इस पर मजबूती से पक्ष रखा. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ''फेक फील्डिंग' वाक्ये की बात करें तो सच्चाई यही है कि किसी ने भी इसे नहीं देखा. अंपायरों ने नहीं देखा, दोनों बल्लेबाजों ने नहीं देखा और हमने भी इसे नहीं देखा. आईसीसी का 41.5 कानून 'फेक फील्डिंग' पर पेनाल्टी का प्रावधान देता है. हालांकि अंपायरों को भी इसकी ऐसी ही व्याख्या करनी थी, लेकिन किसी ने कुछ देखा ही नहीं. ऐसे में आप क्या करेंगे!' इस ट्वीट के बाद भोगले ने कहा कि कोई भी गीले मैदान को लेकर कोई शिकायत नहीं कर सकता है. जबकि यह भी कहा जा रहा है कि अंपायर भी खेल को यथसंभव जारी रखने के फैसले पर सही थे. हर्षा ने ट्वीट में लिखा, 'मुझे नहीं लगता कि गीले मैदान को लेकर भी किसी को शिकायत करनी चाहिए. शाकिब ने सही कहा था कि गीले मैदान का फायदा बल्लेबाजी कर रही टीम को मिलता है. अंपायर और क्यूरेटर्स को तब तक खेल जारी रखना था, जब तक ऐसा करना असंभव नहीं हो जाता. उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया और इस कारण कम से कम समय बर्बाद हुआ.' अपनी बात और उसके पीछे तर्क को समझाते हुए हर्षा ने बांग्लादेशी खिलाड़ियों और उसके प्रशंसकों को भी एक संदेश दिया. इसके जरिये उन्होंने कहा कि 'फेक फील्डिंग' या गीले मैदान को मैच नहीं जीत पाने का कारण नहीं बनाना चाहिए. उन्होंने आगे ट्वीट में लिखा, 'ऐसे में बांग्लादेश के अपने दोस्तों से मैं कहना चाहता हूं कि 'फेक फील्डिंग' या गीले मैदान को लक्ष्य हासिल नहीं कर पाने का कारण नहीं बनाएं. अगर एक बल्लेबाज क्रीज पर अंत तक टिका रहता तो बांग्लादेश मैच जीत सकता था. हम सभी की कहीं न कहीं कमी रहती है... लेकिन हम जब बहानों की तलाश करते हैं, तो अपने विकास को रोक देते हैं.'