What is Copernicus EMS?: 19 मई 2024 यानी रविवार का दिन था. ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी बेल-212 हेलीकॉप्टर में सवार होकर तबरेज सिटी की ओर आ रहे थे. उनके साथ विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन समेत 9 लोग थे. मौसम खराब होने के चलते शाम करीब 7 बजे उनका हेलीकॉप्टर वरजेघन (Varzaghan) की पहाड़ियों के पास अचानक लापता हो गया, जबकि उनके काफिले के अन्य दो हेलीकॉप्टर सही सलामत अपनी मंजिल पर पहुंच गए.
काफी देर तक जब रईसी के हेलीकॉप्टर का अता पता नहीं चला तो ईरानी सरकार में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. जब कुछ नहीं पता चला तब ईरानी सरकार ने यूरोपीय यूनियन (ईयू) से मदद की गुहार लगाई. इस पर EU ने ईरानी राष्ट्रपति के खोज के लिए अपनी रैपिड सैटेलाइट मैपिंग सर्विस को एक्टिव किया था. इस बात की पुष्टि ईयू अधिकारी जेनेज़ लेनार्सिक (Janez Lenarcic) ने अपने एक्स (पहले ट्विटर) पोस्ट से की.
जेनेज़ लेनार्सिक ने एक्स पर लिखा, ‘ईरान के सहायता के अनुरोध पर हम ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को ले जा रहे हेलीकॉप्टर क्रैश के मद्देनजर ईयू की @CopernicusEMS रैपिड रिस्पॉन्स मैपिंग सेवा को सक्रिय कर रहे हैं.’
कहा जा रहा है कि कॉपरनिकस की रैपिड रिस्पॉन्स मैपिंग सर्विस ने ही रईसी के हेलीकॉप्टर की लोकेशन का पता लगाया था, जिसके बाद तुर्की के ड्रोन ने उसे खोज निकाला था. इसके बाद मौके पर सिक्योरिटी फॉर्सेस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची. इस तरह रातभर की खोज के बाद सोमवार को रईसी के हेलीकॉप्टर का मलबा मिला. हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि हादसे में हेलीकॉप्टर में सवार लोगों में से कई भी जीवित नहीं बचा था.
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कॉपरनिकस इमरजेंसी मैनेजमेंट सर्विस (Copernicus EMS) क्या है, जिनसे रईसी के हेलीकॉप्टर के मलबे की लोकेशन का पता लगाया था. इसकी रैपिड मैपिंग सर्विस कैसे काम करती है. इनके जवाबों को जानने से पहले बता दें कि रैपिड मैपिंग सर्विस यूरोपीय यूनियन की इमरजेंसी मैनेजमेंट सर्विस (ईएमएस) के अहम घटकों में से एक है, जो ईयू के कॉपरनिकस प्रोग्राम के तहत आती है.
क्या है EU का कॉपरनिकस प्रोगाम?
कॉपरनिकस प्रोग्राम यूरोपीय यूनियन के स्पेस प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका मकसद सेंटिनल्स (Sentinels) नामक उपग्रहों के एक ग्रुप से डेटा इकट्ठा करके धरती और उसके पर्यावरण की निगरानी करना है. इससे प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में किया जाता है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की वेबसाइट के अनुसार, इनमें भूमि प्रबंधन, समुद्री पर्यावरण, वायुमंडल, इमरजेंसी रेस्पॉन्स, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं. कॉपरनिकस प्रोग्राम को 1998 में शुरू किया गया था. तब इसे ग्लोबल मॉनिटरिंग फॉर एन्वॉयरनमेंट एंड सिक्योरिटभ् प्रोग्राम (GMES) कहा जाता था. वर्तमान में यूरोपीय कमीशन कॉपरनिकस प्रोग्राम का काम देखती है, जिसमें यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) और यूरोपीय एनवायरमेंट एजेंसी (ईएए) की उसकी मदद करती हैं.
कॉपरनिकस ईएमएस क्या है?
कॉपरनिकस इमरजेंसी मैपिंग सर्विस 2012 से काम कर रही है, जो प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, भूकंप और भूस्खलन आदि), मानव निर्मित आपात स्थितियों और मानवीय संकटों के प्रबंधन में मदद करने के लिए सैटेलाइट से डेटा जुटाता है और दुनियाभर में सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में लोगों को जानकारी देता है. इस सर्विस के दो कंपोनेंट्स- मैपिंग कंपोनेंट और अर्ली वॉर्निंग कंपोनेंट हैं. पहला कंपोनेंट सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर मैप और एनालिसिस प्रदान करता है, जबकि दूसरा कंपोनेंट बाढ़, सूखे और जंगल की आग के बारे में अलर्ट जारी करता है. यह जंगल की आग के प्रभावों के बारे में रियल टाइम जानकारी देता है.
मैपिंग कंपोनेंट के दो मॉड्यूल हैं: 1. रैपिड मैपिंग (आरएम), 2. रिस्क एंड रिकवरींग मैपिंग (आरआरएम). आरएम, जिसे रईसी के दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर की तलाश के लिए एक्टिव किया गया था. यह दुनिया में कहीं भी कुछ घंटों के भीतर मैप्स प्रदान करता है, जबकि आरआरएम उन मानचित्रों को देता है, जो डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए आवश्यक हैं, जिनका उपयोग रोकथाम, तैयारी, आपदा जोखिम में कभी और रिकवरी के लिए किया जाता है.
Source : News Nation Bureau