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Explainer: क्या है पाकिस्तान सेना की अवैध गतिविधियां और DG ISPR के दावे का सच

पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ ने दावा किया है कि अवैध स्पैक्ट्रम का इस्तेमाल सेना विरोधी प्रचार के लिए किया जा रहा है. पाकिस्तान की सेना पर इस तरह के अवैध धन के गलत इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं.

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Dheeraj Sharma
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dg ispr ahmed sharif
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Explainer: पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ की ओर से बीते दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. इस प्रेस वार्ता में उन्होंने गंभीर आरोप लगाए. शरीफ ने दावा किया कि 'अवैध स्पेक्ट्रम' से अर्जित धन का इस्तेमाल सेना विरोधी प्रचार के लिए हो रहा है. शरीफ ने कहा कि, एक 'राजनीतिक माफिया' इन निधियों का गलत उपयोग कर सेना की छवि धुमिल कर रहा है. हालांकि, हकीकत दावों से बिलकुल उलट है.  उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना देश में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्थान रखती है, लेकिन उस पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं. 

क्या है अवैध स्पेक्ट्रम?

शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी सेना पर भू-माफिया संचालन, तस्करी और बेनामी खातों का उपयोग करने का आरोप लगता रहा है.  इसे डीजी आईएसपीआर ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'अवैध स्पेक्ट्रम' बताया था. उन्होंने कहा कि सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता सुनिश्चित करना है. यही नहीं सेना पर राजनीति में हस्तक्षेप, मानवाधिकार उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं. 

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सेना की छवि हो रही खराब

शरीफ ने कहा कि इस तरह के आरोपों के चलते सेना की छवि खराब हो रही है. लोकतांत्रिक सरकारों को उखाड़ फेंकने और सत्ता हथियाने के अपने इतिहास के कारण सेना पर जनता का भरोसा सवालों के घेरे में आ गया है.  इसके साथ-साथ भू-माफिया, तस्करी और बेनामी खातों में शामिल होने के आरोप सेना की विश्वसनीयता पर संदेह को और बढ़ाते हैं.

IBO आंकड़े भी किए जारी

अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजी आईएसपीआर ने 2024 में किए गए इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशंस (IBO) के आंकड़े भी शेयर किए. सेना की ओर से आधिकारिक पुष्टि की गई कि इन ऑपरेशनों में 137 सैनिकों की जान गई. लेकिन स्वतंत्र आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा है.

साउथ एशियन टेररिज्म पोर्टल (एसएटीपी) के आंकड़ों के मुताबिक, 15 जुलाई 2024 तक पाकिस्तानी सेना को 317 हताहतों का सामना करना पड़ा है.  यह असंगति पाकिस्तानी सेना की रणनीति को दर्शाती है, जो गलत सूचना पेश करने की पुरानी आदत पर चलती है, जैसा कि 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के हताहतों के आंकड़ों के संबंध में देखा गया था. 

वहीं वर्ष 2021 में लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तानी सेना को "सबसे बड़ा भूमि अधिभोगी" घोषित किया. कोर्ट ने रक्षा आवास आवास (DHA) पर अवैध भूमि अधिग्रहण का आरोप लगाया और कहा कि सेना ने कई अवैध संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है. इस आरोप ने सेना की छवि को धूमिल किया था और सुझाव दिया था कि सेना के कुछ हिस्से भू-माफिया के रूप में काम कर रहे थे. 

ये भी लगे आरोप

- पाकिस्तानी सेना ने विकास भूमि पर कब्जा किया है. भावलपुर में बड़े पैमाने पर कृषि भूमि पर कब्जे की रिपोर्टों में पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशफ़ सहित कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हैं. 
- सिंध में, सेना ने लगभग 70,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया 
- कराची में 3,500 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया, जिसमें एक पुराना कब्रिस्तान भी शामिल थी

IB की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

2023 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि तस्करी, टैक्स चोरी और अवैध मुद्रा व्यापार के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है. इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि सेना के कुछ हिस्से इन अवैध गतिविधियों में शामिल थे. इसके अलावा, बेनामी खातों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें सेना की भूमिका थी. 

बाजवा पर भी लगे गंभीर आरोप

वर्ष 2020 में स्वतंत्र पत्रकार अहमद नूरानी ने एक लेख प्रकाशित किया. लेख में पूर्व सैन्य प्रवक्ता और वरिष्ठ सरकारी सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा का नाम लिया गया. नूरानी की जांच में बाजवा के परिवार की अनुमानित संपत्ति करीब 100 मिलियन डॉलर बताई गई थी. 

दुबई लीक्स में बड़ा खुलासा

इसके अलावा दुबई लीक्स ने भी बड़ा खुलासा किया है. इशके तहत कई प्रमुख सैन्य अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के पास दुबई में महंगी संपत्तियां हैं. इसमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ, जनरल कमर जावेद बाजवा के बेटे और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों का नाम शामिल था.

इन संपत्तियों को बार-बार बेनामी संपत्तियों के माध्यम से बेचा जाता है, जिससे अवैध संपत्ति जब्त हो जाती है. कई उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं. 

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डीजी आईएसपीआर के दावों को गंभीरता से लिया जाए

डीजी आईएसपीआर के दावों और सेना के कुछ वर्गों के खिलाफ आरोपों के बीच स्पष्ट विरोधाभास है. एक तरफ सेना के कुछ वर्ग अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ डीजी आईएसपीआर का दावा है कि सेना के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए अवैध धन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह विरोधाभास दर्शाता है कि सेना को सबसे पहले अपनी आंतरिक अवैध गतिविधियों को संबोधित करना चाहिए.

अपनी छवि को बहाल करने के लिए, पाकिस्तानी सेना को अपनी आंतरिक अवैध गतिविधियों को संबोधित करना चाहिए और समाप्त करना चाहिए. इसके अलावा, डीजी आईएसपीआर के दावों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए कि अवैध धन का इस्तेमाल किसी भी तरह के दुष्प्रचार के लिए न हो. सेना को अपनी आंतरिक समस्याओं को हल करने की जरूरत है ताकि देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके. 

( रिपोर्ट - मधुरेंद्र )

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