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Personality Rights पर अमिताभ बच्चन के पक्ष में आया अंतरिम फैसला, जानें क्या हैं ये अधिकार

पर्सनेलिटी राइट्स से आशय किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व से जुड़े उन अधिकारों से हैं, जिन्हें निजता के अधिकार या उस व्यक्ति की संपत्ति के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है.

Updated on: 25 Nov 2022, 09:32 PM

highlights

  • अमिताभ बच्चन की अनुमति के बगैर नहीं कर सकेंगे उनके व्यक्तित्व से जुड़ी चीजों का इस्तेमाल
  • मसलन अगर इजाजत नहीं है तो उनकी आवाज, नाम और फोटो का इस्तेमाल नहीं कर सकता कोई
  • पर्सनेलिटी राइट्स किसी शख्सियत या हस्ती की निजता के अधिकार के तहत व्यक्तित्व से जुड़ा मसला

नई दिल्ली:

भारत (India) में आम लोग सेलिब्रिटी (Celebrity) समर्थित-प्रचारित उत्पादों से हद दर्जे तक प्रभावित रहते हैं. ऐसे में यह कतई आश्चर्य नहीं है कि सेलिब्रिटी समर्थित उत्पादों की नियमित घरों में खपत भी अधिक होती है. भले ही वह उत्पाद भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली (Virat Kohli) द्वारा प्रचारित एनर्जी ड्रिंक जैसी दैनिक उपयोग की वस्तु हों या सोना या हीरे जैसे महंगे आभूषण. ऐसे में आइए उन कानूनों की स्थिति और ढांचे को समझते हैं जो भारत में प्रभावी हैं और मशहूर व प्रसिद्ध हस्तियों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित हैं. आम बोलचाल की भाषा में इन्हें पर्सनेलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकार) या सेलिब्रिटी राइट्स भी कहा जाता है. इस कड़ी में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC) ने शुक्रवार को मेगा स्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की आवाज, तस्वीर और नाम को बगैर उनकी इजाजत के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. अमिताभ बच्चन ने वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की मदद से पर्सनेलिटी राइट्स के तहत एक याचिका दाखिल की थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अपने अंतरिम आदेश में यह बड़ी राहत दी है. इस मामले में अगली सुनवाई अब अगले साल मार्च में होगी. 

पर्सनेलिटी राइट्स क्या हैं?
पर्सनेलिटी राइट्स से आशय किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व से जुड़े उन अधिकारों से हैं, जिन्हें निजता के अधिकार या उस व्यक्ति की संपत्ति के रूप में सुरक्षित किया जा सकता है. यह मशहूर हस्तियों के लिए कहीं महत्वपूर्ण अधिकार है, क्योंकि आम समाज में कुछ लोग उनके नाम का इस्तेमाल अपने व्यापार को बढ़ावा या वित्तीय लाभ के लिए करते हैं. इससे उनकी बिक्री और अन्य क्रिया-कलापों पर खासा प्रभाव पड़ता है. अधिकांश मामलों में लोग अपने व्यापार के लिए उनके नाम या फोटो का बहुत आसानी से दुरुपयोग कर सकते हैं. ऐसे में सेलिब्रिटी या प्रसिद्ध हस्तियों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने पर्सनेलिटी राइट्स को बचाने के लिए अपना नाम पंजीकृत कराएं.

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भारतीय कानून में पर्सनेलिटी राइट्स
भारत में पर्सनेलिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए सबसे निकटतम कानून संविधान का अनुच्छेद 21 है, जो निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा बौद्धिक संपदा कानून जैसे अन्य वैधानिक प्रावधान भी हैं, जो किसी के पर्सनेलिटी राइट्स को अधिक व्यापक रूप से नियंत्रित और सुरक्षित करते हैं. उदाहरण के लिए 1957 के कॉपीराइट अधिनियम के तहत लेखकों और कलाकारों को विशेष रूप से अधिकार दिए गए हैं. इनमें अभिनेता, गायक, संगीतकार, डांसर आदि शामिल हैं. किसी व्यक्ति का उनकी पर्सनेलिटी और छवि पर अधिकार प्रबंधन की उस क्षमता को उजागर करता है कि उनकी आवाज़, हस्ताक्षर, पहनावे, पसंद-नापंसद, विशेषताएं, चेहरा-मोहरा, भाव-भंगिमा, हावभाव, रंग-ढंग और विशिष्ट पहचान के रूप में उनके व्यक्तित्व का उपयोग कैसे किया जाता है और किस तरह उसका व्यावसायीकरण किया जाता है. देश की कई अदालतों ने पर्सनेलिटी राइट्स की बेहद व्यापक संदर्भों में अलग-अलग व्याख्या कर उनके अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया है. मद्रास उच्च न्यायालय ने शिवाजी राव गायकवाड़ बनाम वर्षा प्रोडक्शंस में उल्लेख किया कि यद्यपि पर्सनेलिटी राइट्स को किसी भी भारतीय क़ानून में परिभाषित नहीं किया गया है, फिर भी भारतीय अदालतों ने इसे कई निर्णयों में मान्यता दी है. इस आधार पर इन पर आगे चर्चा हुई है. यह मामला प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता रजनीकांत द्वारा पेश किया गया था. अब हाल ही में अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) लॉटरी घोटाले के खिलाफ अपने पर्सनेलिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया था, जिसका अंतरिम फैसला शुक्रवार को आया. 

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विदेशों में पर्सनेलिटी राइट्स
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में ऐसा कोई विशिष्ट क़ानून नहीं है, जो केवल पर्सनेलिटी राइट्स से निपटने के उद्देश्य से बनाया गया हो. हालांकि अमेरिका में झूठे समर्थन, जुड़ाव और संबद्धता के संबंध में सुरक्षा जरूर प्रदान की जाती है. जर्मनी में ट्रेडमार्क कानून, कला और फोटोग्राफी अधिनियम में कॉपीराइट, जर्मन नागरिक संहिता और अनुचित प्रतिस्पर्धा में छवि और पर्सनेलिटी राइट्स को संरक्षण दिया गया है.  कनाडा में अपकृत्य और वैधानिक कानून दोनों इसे कवर करते हैं.