संसद पर हमले के पीछे अराजकता फैलाना था मकसद या फिर कुछ और, जानें अनसुलझे सवालों के जवाब
इस पूरे घटनाक्रम पर अगर नजर डाले तो कई सवाल उठते हैं. फिलहाल ये तो जांच का विषय है. फिलहाल तो अराजकता फैलाने की बात सामने आ रही है, लेकिन इस हमले के पीछे कई सवाल हैं. जिसका जवाब ढूंढना जरूरी है.
नई दिल्ली:
13 दिसंबर 2001 को संसद के गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को चकमा देते हुए पांच आतंकियों ने लोकतंत्र के मंदिर संसद पर सुसाइड अटैक किया था. जिसमें मातृभूमि की रक्षा करते हुए कई भारतीय जवानों ने अपनी जान गंवा दी थीं. संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई. 22 साल बाद संसद भवन पर स्मोक अटैक ने एक बार फिर से देश को झकझोर कर दिया है. नई संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले आरोपियों के खिलाफ UAPA यानी आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज हुआ है. संसद भवन अटैक का मास्टरमाइंड ललित झा को पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कोर्ट में बताया कि इस घटना का मास्टरमाइंड ललित झा ने 14 दिसंबर की रात पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.
लेकिन सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि हमलावरों ने ऐसा कदम क्यों उठाया. आरोपियों को ये बात पहले से ही मालूम था कि उनका ये घातक कदम कितना खतरनाक और खौफजदा होगा. वो इस बात को अच्छी तरह जानते थे कि उनकी इस करतूत से उनका पूरा जीवन जेल में कटेगा या फांसी की सजा होगी. जिंदगी नर्क बन जाएगी. वो ये भी जानते थे कि इसके बाद वो खुली हवा में सांस भी नहीं ले पाएंगे. सबसे बड़ी हैरानी की बात है कि गिरफ्तार हमलावरों का अभी तक कोई आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है. क्योंकि जिस तरह से पूरे मामले की साजिश रची गई और संसद की चाक चौबंद सुरक्षा में सेंध लगाई गई उससे तो साफ लगता है कि किसी पेशवर अपराधी के इशारों के बिना ये सब कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. ललित झा को भले मास्टरमाइंड कहा जा रहा हो, लेकिन हमले की साजिश इस बात को ओर इशारा कर रही है कि इस घटना के पीछे जरूर किसी बड़े अपराधी का हाथ हो सकता है.
ललित झा मास्टरमाइंड है या मोहरा
पुलिस ने बताया कि ललित झा और अन्य आरोपी देश में आरजकता फैलाने के मकसद से इस घटना को अंजाम दिया. लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि युवकों ने कोई छोटी मोटी घटना को अंजाम नहीं दिया बल्कि ऐसी हरकत कर दी जिसको अंदाजा नहीं था. ये युवक ऐसा कदम उठाने के लिए तैयार कैसे हुए. क्या ये उनका खुद का फैसला है या किसी के बहकावे में आकर वो अपनी जीवन कुर्बान करने को अमादा हो गए. एक सवाल और भी है कि ललित झा मास्टरमाइंड है या मोहरा. क्योंकि उसकी हरकत तो मोहरा वाला ही लग रही है.
अराजकता फैलाने के लिए हमलावरों ने किया हमला
इस पूरे घटनाक्रम पर अगर नजर डाले तो कई सवाल उठते हैं. फिलहाल ये तो जांच का विषय है. फिलहाल तो अराजकता फैलाने की बात सामने आ रही है. सरकार पर दबाव बनाकर अपनी मांगें मनवाने के लिए इन युवकों ने इस घटना को अंजाम दिया. लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि सबकुछ जानते हुए ये नौजवान तैयार कैसे हो गए. उनकी मांगें ऐसी क्या थी जिसको लेकर इन्हें इतना बड़ा कदम उठना पड़ा. क्या कोई इन युवकों को अपना मोहरा बना रहा था या फिर ये युवक किसी साजिश का शिकार हो गए. क्योंकि युवकों ने जो किया है वह अक्ष्मय अपराध है.
संसद पर हमले से जुड़े वो कुछ सवाल जिसे जानना जरूरी है
दिल्ली पुलिस ने संसद हमले के ताजा मामले को आतंकी घटना करार दिया है. आतवाद के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इससे तो सभी आरोपी फिदायनी का चोला ओढ़े हुए लग रहे हैं. लेकिन फिदायनी बनने के लिए आतंकी संगठनों से युवकों को बहुत कुछ मिलता है. इन हमलावरों को तो कुछ भी हाथ नहीं लगा.
सवाल ये भी है कि इन हमलावरों के निशाने पर राजनेता थे, सत्ता प्रतिष्ठान था या फिर कुछ और. इसका भी खुलासा होना बाकी है. क्योंकि शुरुआती पूछताछ में हमलावरों ने तो यही बयां किया है.
ललित झा भले ही मास्टरमाइंड है, लेकिन उसकी हरकतों से लगता नहीं. क्योंकि मास्टरमाइंड खुद को सरेंडर नहीं करता उसकी पूरी रणनीति से लगता है कि वह किसी के बहकावे में इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया है.
जिस प्रकार से ये साजिश रची गई है. वह पूरी प्लानिंग के बिना संभव नहीं है. आरोपियों ने तो प्लान ए और प्लान बी भी तैयार किया था. ऐसे में यही सवाल उठता है कि क्या इनके पीछे कोई बड़ी ताकत काम कर रही है. या कोई राजनीतिक एजेंडा है. ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं जिसका जवाब आना है.
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