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Vice President Election: उपराष्ट्रपति का वेतन-सुविधाएं, चुनाव का तरीका

आइए, जानते हैं कि देश के उपराष्ट्रपति को कितना वेतन और कितनी सुविधाएं मिलती हैं. वहीं, उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या है.

Updated on: 18 Jul 2022, 03:43 PM

highlights

  • उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा- राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं
  • उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं
  • बीजेपी के पास लोकसभा में 303 और राज्यसभा में 93 सांसद हैं

नई दिल्ली:

देश में 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव (Vice President Election 2022) संपन्न होगा. उसी दिन शाम तक चुनाव परिणाम भी आ जाएंगे. वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है. इसके साथ ही देश को नए उपराष्ट्रपति मिल जाएंगे. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar)  को उम्मीदवार बनाया है. विपक्ष की ओर से कांग्रेस की नेता और राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और गुजरात की राज्यपाल रह चुकीं मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) को उम्मीदवार बनाया गया है. 

आइए, जानते हैं कि देश के उपराष्ट्रपति को कितना वेतन और कितनी सुविधाएं मिलती हैं. वहीं, उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या है.

उपराष्ट्रपति का वेतन और सुविधाएं

'संसद अधिकारी के सैलरी और भत्ते अधिनियम, 1953' के तहत देश के उपराष्ट्रपति का भी वेतन निर्धारित किया जाता है. हैरत की बात है कि उपराष्ट्रपति को कोई वेतन नहीं मिलता है. बल्कि राज्यसभा का सभापति भी होने के नाते उपराष्ट्रपति को इस पद की सैलरी और सुविधाओं का भुगतान किया जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक उपराष्ट्रपति को हर महीने चार लाख रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा उपराष्ट्रपति को दैनिक भत्ता, मुफ्त आवास, चिकित्सा, यात्रा और अन्य सुविधाओं का अधिकार है. इस के अनुसार उपराष्ट्रपति के लिए वेतन का 50 फीसदी पेंशन भी तय है. 

पदानुक्रम और दायित्व

देश में राष्ट्रपति का पद अगर किसी वजह से खाली होता है तो उनकी जिम्मेदारी उपराष्ट्रपति संभालते हैं. उपराष्ट्रपति संवैधानिक पदानुक्रम के लिहाज से राष्ट्रपति से छोटे और प्रधानमंत्री से बड़े होते हैं. 

चुनाव की पूरी प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं. उनके साथ ही इस चुनाव में मनोनीत सदस्य भी हिस्सा लेते हैं. मतलब चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते है. इसमें लोकसभा के 543 सांसद और राज्यसभा 243 सदस्य वोट करते हैं. राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनीत सांसद भी हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के दौरान सांसद को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है. बैलेट पेपर पर मतदाता को अपनी पसंद को 1, दूसरी को 2 और इसी तरह से प्राथमिकता तय करते हैं.

पात्रता

- उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी होता है. 
- उम्मीदवार की उम्र 35 से अधिक होनी चाहिए. वह राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सभी योग्यताओं को पूरा करता हो. 
- उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को 15,000 रुपये जमानत राशि के तौर पर जमा कराने होते हैं.
- चुनाव हार जाने या 1/6 वोट नहीं मिलने पर यह राशि चुनाव आयोग में जमा हो जाती है.

वोटों का गणित

उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति ( Proportional Representation System) के तहत होता है. इसके तहत खास तरह से मतदान होता है. इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (Single Transferable Vote) सिस्टम कहते हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव में जितने सदस्यों के वोट पड़ते हैं, उसकी संख्या में 2 से भाग देते हैं और फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है. मान लीजिए की चुनाव में कुल 787 सदस्यों ने वोट डाला तो इसे 2 से भाग देंगे 393.50 आता है. इसमें 0.50 को हटा देंगे. क्योंकि दशमलव की बाद की संख्या नहीं गिनी जाती है. इसलिए यह संख्या 393 हुई. अब इसमें 1 जोड़ने पर संख्या 394 होता है. चुनाव जीतने के लिए 394 वोट मिलना जरूरी है.

मौजूदा समीकरण

मौजूदा समय में बीजेपी के पास लोकसभा सांसदों की सख्या 303 है. वहीं राज्यसभा में 93 सांसद हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल वोटों की संख्या पर नजर डालें तो बीजेपी के पास आंकड़ा 395 का है. जीत के लिए सिर्फ 394 सदस्यों की जरूरत है.

मतगणना 

उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोटिंग खत्म होने के बाद उसी दिन ही गिनती होती है. पहले राउंड की गिनती में देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले वोट कितने मिले हैं. अगर पहले राउंड में ही किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटे के बराबर या उससे ज्यादा वोट मिलते हैं तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है. अगर ऐसा नहीं हो पाता तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है. इसके बाद दूसरी प्राथमिकता के वोट को चेक किया जाता है कि किस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा मिली है. फिर उसकी प्राथमिकता वाले ये वोट दूसरे प्रत्याशी में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.

अहम तारीख

चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया 5 जुलाई से शुरू की. चुनाव नामांकन की आखिरी तारीख 19 जुलाई है. इसके अगले दिन यानी 20 जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 22 जुलाई तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं.

ये भी पढ़ें - वकील से लेकर NDA के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तक का सफर, कौन हैं जगदीप धनखड़? 

हमारे उपराष्ट्रपति

1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन - 13 मई 1952 से 12 मई 1962 – दो बार
2. डॉ. जाकिर हुसैन – 13 मई 1962 से 12 मई 1967
3. वी.वी. गिरि – 13 मई 1967 से 3 मई 1969
4. गोपाल स्वरूप पाठक - 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974
5. बी डी जत्ति– 31 अगस्त 1974 से 30 अगस्त 1979
6. एम हिदायतुल्ला - 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त 1984
7. आर वेंकटरमन– 31 अगस्त 1984 से 24 जुलाई 1987
8. डॉ. शंकर दयाल शर्मा - 3 सितम्बर 1987 से 24 जुलाई 1992
9. केआर नारायणन – 21 अगस्त 1992 से 24 जुलाई 1997
10. श्री कृष्णकांत – 21 अगस्त 1997 से 27 जुलाई 2002
11. भैरों सिंह शेखावत – 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई 2007
12. मोहम्मद हामिद अंसारी - 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017- दो बार
13. एम. वेंकैया नायडू - 11 अगस्त 2017 से अब तक