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उद्दंडता, कदाचार और अभद्र व्यवहार पर होते हैं सांसद निलंबित, समझें नियम-कायदे

हंगामा कर सदन की कार्यावाही में बाधा डालना, चेतावनी के बावजूद सदन का काम सुचारू रूप से नहीं चलने देने पर स्पीकर और चेयरमैन दोनों सदस्य को सदन से हटने के लिए मजबूर करने का अधिकार है.

Updated on: 28 Jul 2022, 11:35 AM

highlights

  • मंगलवार को राज्य सभा से रिकॉर्ड एक दिन में 19 सांसद हुए निलंबित
  • सोमवार को लोकसभा से चार कांग्रेस सांसदों को किया गया था निलंबित
  • सभी निलंबित सांसद गांधी प्रतिमा के नीचे लगातार दे रहे हैं धरना

नई दिल्ली:

संसद भवन (Parliament) की गांधी प्रतिमा के नीचे निलंबित सांसदों (MP) का बीते 50 घंटों से अधिक से धरना जारी है. महंगाई, जीएसटी और अन्य मुद्दों पर विपक्ष (Opposition) के लगातार हंगामे को देख मंगलवार को राज्यसभा से 19 सांसदों की निलंबित कर दिया गया था, जो कि एक दिन में निलंबित सांसदों की संख्या के लिहाज से एक रिकॉर्ड है. इसके पहले सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Om Birla) ने कांग्रेस के चार सांसदों को निलंबित कर दिया था. सभी निलंबित सांसदों पर संसद की कार्रवाई में बाधा डालने और अभद्र व्यवहार का आरोप है. निलंबित सांसद मॉनसून सत्र में इस पूरे हफ्ते के लिए निलंबित रहेंगे. इसके बावजूद निलंबित सांसदों ने माफी मांगने से इंकार कर दिया है. राज्यसभा से निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, टीआरएस और सीपीआई (एम) समेत आप सांसद शामिल हैं. हालांकि आप के संजय सिंह को एक दिन बाद निलंबित किया गया था. सवाल यह उठता है कि कोई सांसद कब और किन नियमों के तहत निलंबित किया जाता है और यह कार्रवाई किसकी पहल पर अंजाम तक पहुंचाई जाती है. आइए जानते हैं... 

इन वजहों से हो सकते हैं सांसद निलंबित
संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी यानी लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति का काम सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से सही तरीके से चलाना है. ऐसे में हंगामा कर सदन की कार्यावाही में बाधा डालना, चेतावनी के बावजूद सदन का काम सुचारू रूप से नहीं चलने देने पर स्पीकर और चेयरमैन दोनों सदस्य को सदन से हटने के लिए मजबूर करने का अधिकार है. इस कड़ी में देखें तो विपक्षी सांसद मॉनसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही सरकार का कई मसलों पर विरोध कर रहे थे. मंगलवार को सभी वेल में घुस आए और उपसभापति हरिवंश के बार-बार अपनी सीट पर वापस जाने के अनुरोध को भी नहीं मान रहे थे. ऐसे में डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने ट्रेजरी से उनके निलंबन का एक प्रस्ताव पेश करने को कहा. इसके बाद संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने 'कदाचार' के लिए शेष सप्ताह के लिए 10 सांसदों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया. हरिवंश ने मतदान के लिए प्रस्ताव रखा और 19 विपक्षी सदस्यों के नाम पढ़े.

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इन नियमों के तहत पीठासीन अधिकारी करता है निलंबन
सदन की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के तहत नियम संख्या 373 में स्पष्ट कहा गया है कि यदि स्पीकर की नजर में सदन में किसी सदस्य का आचरण घोर अव्यवस्थित है, तो वह ऐसे सदस्य को सदन से तुरंत हटने का निर्देश दे सकता है. सदस्य को स्पीकर का यह आदेश तुरंत मानना भी जरूरी है. ऐसे सदस्य को शेष दिन की बैठक के दौरान अनुपस्थित रहना होता है. सदन में अधिक अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए अध्यक्ष नियम 374 और 374-ए भी है.  नियम संख्या 374 के मुताबिक लोकसभा स्पीकर संसद की गरिमा में बाधा डालने एक या इससे अधिक सदस्‍य के नामों का एलान कर सकते हैं, जिसने या जिन्होंने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्‍लंघन किया हो. साथ ही सोच-समझकर, जानबूझ कर अपने आचार-व्यवहार से सदन की कार्यवाही में बाधा डाली हो. लोकसभा अध्‍यक्ष ऐसे सांसद या सांसदों के नाम का एलान करते हैं. इसके बाद वे सदन के पटल पर एक प्रस्‍ताव रखते हैं. इस प्रस्‍ताव में हंगामा मचाने वाले सांसद का नाम लेते हुए उसके निलंबन की बात कही जाती है. इसमें निलंबन की समय-सीमा का भी जिक्र होता है. यह अवधि अधिकतम सत्र की समाप्‍त‍ि तक की हो सकती है. सदन चाहे तो वह किसी भी वक्त इस प्रस्‍ताव को रद्द करने का अनुरोध भी कर सकता है. इस नियम के तहत निलंबित सदस्‍य को निलंबन तक की अवधि में किसी प्रकार से भी सदन की कार्यवाही में  शामिल होने का अधिकार नहीं रहता है

क्या कहता है नियम 374-ए 
लोकसभा के प्रक्रि‍या तथा कार्य-संचालन नि‍यमों में 374-ए की व्यवस्था है. इसके तहत यदि सदन में कोई भी सदस्‍य अध्‍यक्ष के आसन के पास आकर या सदन में नारे लगाकर या फिर अन्‍य तरह से सदन की कार्यवाही में बाधा डालता है. जानबूझकर सदन के नि‍यमों का दुरूपयोग कर घोर अव्‍यवस्‍था पैदा करता है, तो इस स्थिति में स्पीकर के उसका नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लि‍ए या सत्र की शेष अवधि  के लि‍ए, जो भी कम हो खुद ही तुंरत नि‍लंबि‍त हो जाता है. इस नियम का इस्तेमाल पहली बार लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2013 में किया था.

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राज्य सभा में ऐसे होता है निलंबन
राज्य सभा में भी निलंबन प्रक्रिया काफी हद तक लोकसभा जैसी ही होती है. यहां राज्यसभा के सभापति को अपनी नियम पुस्तिका के नियम संख्या 255 के तहत किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उसकी राय में घोर उद्दंडता की श्रेणी में आता है, उसे सदन से तुरंत हटने का निर्देश दे सकता है. नियम 256 के तहत, अध्यक्ष एक सदस्य का नाम दे सकता है, जो अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर बाधा डालकर परिषद के नियमों का दुरुपयोग करता है. ऐसी स्थिति में सदन सदस्य को सदन की सेवा से निलंबित करने का प्रस्ताव पारित कर सकता है, जो शेष सत्र से अधिक नहीं होगा. इसी कड़ी में मंगलवार को 19 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया, जो एक दिन की निलंबित सांसदों की संख्या के लिहाज से एक रिकॉर्ड है.