Karnataka Elections: टीपू सुल्तान अंग्रेजों से युद्ध करते नहीं मरे, उन्हें वोक्कालिगा सरदारों ने मारा... फिर क्यों छिड़ा विवाद
पुराने मैसूर इलाके में एक वर्ग का दावा है कि टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) अंग्रेजों से लड़ते हुए नहीं मरे थे, बल्कि दो वोक्कालिगा सरदारों उरी गौड़ा और नांजे गौड़ा ने उन्हें मारा था.
highlights
- कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से पहले फिर बाहर आया टीपू सुल्तान का जिन्न
- कर्नाटक के मंत्री की फिल्म में टीपू की मौत के लिए वोक्कालिगा सरदार जिम्मेदार
- वृषभाद्री प्रोडक्शंस ने फिल्म का शीर्षक 'उरी गौड़ा नांजे गौड़ा' पंजीकृत कराया
नई दिल्ली:
कर्नाटक (Karnataka) के मंत्री मुनिरत्ना द्वारा संचालित एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने दो पौराणिक वोक्कालिगा सरदारों (Vokkaliga Chieftains) को टीपू सुल्तान के सच्चे हत्यारे के रूप में दर्शाते हुए एक वीडियो जारी किया है. इससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के इस दावे को बल मिलता है कि 18वीं सदी के मैसूर राजा टीपू सुल्तान ब्रिटिश सैनिकों से लड़ते हुए नहीं मरे थे. इस कड़ी में वृषभाद्री प्रोडक्शंस ने दो वोक्कालिगा सरदारों फिल्म का शीर्षक 'उरी गौड़ा नांजे गौड़ा' के रूप में पंजीकृत कराया है. पुराने मैसूर इलाके में एक वर्ग का दावा है कि टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) अंग्रेजों से लड़ते हुए नहीं मरे थे, बल्कि दो वोक्कालिगा सरदारों उरी गौड़ा और नांजे गौड़ा ने उन्हें मारा था. जाहिर है इस दावे को लेकर कुछ इतिहासकारों में भी विवाद हो रहा है. प्रश्न यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों है कि कर्नाटक में चुनावों (Karnataka Assembly Elections) से ठीक पहले टीपू सुल्तान का नाम गूंज उठता है? कई विवादों के बीच आइए एक नजर डालते हैं कि आखिर वर्तमान 'अतीत' को मरने क्यों नहीं देता.
कौन थे टीपू सुल्तानः पहला वर्जन
1750 में जन्मे टीपू सुल्तान या मैसूर टाइगर का जन्म 1750 में देवनहल्ली में हुआ था. ब्रिटानिका के अनुसार वह मैसूर के सुल्तान थे, जो दक्षिण भारत में अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के संघर्षों के दौरान सत्ता के शिखर पर पहुंचे. रिपोर्ट के अनुसार टीपू को उनके पिता मैसूर के मुस्लिम शासक हैदर अली के लिए काम करने वाले फ्रांसीसी अधिकारियों ने सैन्य रणनीति में प्रशिक्षित किया था. उन्होंने 1767 में पश्चिमी भारत के कार्निटक (कर्नाटक) क्षेत्र में मराठों के खिलाफ एक घुड़सवार दल की कमान संभाली. फिर 1775 और 1779 के बीच कई मौकों पर मराठों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्होंने फरवरी 1782 के दूसरे मैसूर युद्ध के दौरान कोल्लिडम (कोलरून) नदी के तट पर ब्रिटिश कर्नल जॉन ब्रैथवेट को हराया. दिसंबर 1782 में उन्होंने अपने पिता की जगह तख्त संभाला और 1784 में उन्होंने अंग्रेजों के साथ एक शांति संधि पर हस्ताक्षर कर मैसूर के सुल्तान की उपाधि प्राप्त की. हालांकि 1789 में उन्होंने एक ब्रिटिश सहयोगी त्रावणकोर के राजा पर हमला करके ब्रिटिश शासन की मुखालफत शुरू की. रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने दो साल से अधिक समय तक अंग्रेजों को रोके रखा, जब तक कि मार्च 1792 की सेरिंगपटम की संधि में उन्हें अपने आधे राज्य को छोड़ना नहीं पड़ा. एक रिपोर्ट के अनुसार टीपू ने एक निर्णय लेने में चूक कर दी, जिससे अंग्रेजों को पता चल गया वह क्रांतिकारी फ्रांसीसियों के साथ कोई गठबंधन कर रहे हैं. इसी आधार पर गवर्नर-जनरल लॉर्ड मोर्निंगटन ने चौथे मैसूर युद्ध की शुरुआत की. टीपू की राजधानी, सेरिंगापटम (अब श्रीरंगापट्टन) पर 4 मई 1799 को ब्रिटिश नेतृत्व वाली सेना ने हमला कर दिया था. इस युद्ध में अपने सैनिकों को पीछे छोड़ टीपू सुल्तान गायब हो गए थे.
दूसरा वर्जन इस तरह है
गौड़ा सरदारों द्वारा टीपू की हत्या का दावा संभवतः पहली बार मैसूर में प्रस्तुत एक नाटक में किया गया था. अदाणंदा करिअप्पा लिखित 'टीपू निजकांसुगलू' नाटक (टीपू के असली सपने) इसकी प्रेरणा बना था. इतिहासकारों ने टीपू की मौत कैसे हुई पर सवाल खड़ा करने के लिए करिअप्पा की किताब और नाटक की आलोचना की. उन्होंने करियप्पा के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि टीपू द्वारा 80,000 कूर्गियों का नरसंहार किया था. इस दावे के पीछे उनका तर्क यह था कि उस समय कूर्गी की वास्तविक आबादी 10,000 से अधिक नहीं हो सकती थी. जिला वक्फ बोर्ड समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में बेंगलुरु के दीवानी और सत्र न्यायालय ने पुस्तक के वितरण और बिक्री पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी. मैसूर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास और पुरातत्व के प्रोफेसर एनएस रंगराजू के मुताबिक उरी गौड़ा और नांजे गौड़ा हैदर अली के सैनिक थे, जिन्होंने वास्तव में एक युद्ध में टीपू और उसकी मां को मराठों के चंगुल से बचाया था. हालांकि लक्ष्मणमणि, ब्रिटिश, मराठों और निज़ामों के बीच एक संधि के तहत चौथा एंग्लो-मैसूर युद्ध हुआ, जिसमें टीपू की मृत्यु हुई. इस संधि के तहत समय, स्थान और अन्य रणनीतियों सहित टीपू के खिलाफ हमले की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी. इस साजिश की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि टीपू की सेना इतनी शक्तिशाली और अभेद्य थी कि कोई भी दो व्यक्ति उसे आसानी से नहीं मार सकते थे.
टीपू इतना ज्वलंत चुनावी मुद्दा क्यों
टीपू सुल्तान के वंशजों का कहना है कि वे राजनीतिक कीचड़ प्रतिस्पर्धा में टीपू सुल्तान की छवि के लगातार खराब होने से बचाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं. हमारे पूर्वज टीपू सुल्तान का नाम बार-बार क्यों घसीटा जा रहा है और हर मौके पर इसका राजनीतिकरण क्यों किया जा रहा है? हमारे पास पर्याप्त धैर्य था, जो अब खत्म हो गया है. राजनीतिक दल अपनी सुविधा के अनुसार उनके नाम का उपयोग नहीं कर सकते. टीपू सुल्तान के 17वें वंशज साहबज़ादा मंसूर अली ने बताया कि अब से उनके नाम का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने के लिए मजबूर होंगे. टीपू सुल्तान के वंशज मंसूर अली की यह घोषणा मैसूर के शासक को चुनावी मुद्दा बनाने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तकरार के बीच आई थी.
फिर भी यह चुनावी मुद्दा क्यों
मैसूर के रणनीतिक और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मालाबार, कोडागु और बेदनूर में टीपू के नेतृत्व को 'असहिष्णु और अत्याचारी' कहा जाता है. रिपोर्ट बताती है कि टीपू का युद्ध बेहद भयानक था और भविष्य के विरोध से बचने के लिए शासक के विद्रोहियों या षड्यंत्रकारियों को दंड के रूप में जबरन धर्मांतरण और लोगों को उनके गृह क्षेत्र से मैसूर स्थानांतरित किया. कोडागु और मालाबार दोनों इलाकों में जबरन निष्कासन हुआ. पूर्व में मैसूर शासन के खिलाफ लगातार विरोध के जवाब में, तो बाद में विशेष रूप से नायर और ईसाइयों के प्रतिरोध और एंग्लो-मैसूर युद्धों में संदिग्ध विश्वासघात के लिए किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्यवाद के साथ-साथ हिंदू शासकों और विषयों पर टीपू के कथित हमलों का हिंदू दक्षिणपंथी आख्यान में जोर दिया गया और इसे असहिष्णुता बताया गया. हालांकि 'टाइगर: द बायोग्राफी ऑफ टीपू सुल्तान' के लेखक इतिहासकार केट ब्रिटलबैंक के मुताबिक टीपू के कृत्य आधुनिक मानकों के अनुसार समस्याग्रस्त हो सकते हैं, लेकिन 18वीं शताब्दी में सभी धर्मों के शासकों के बीच यह बेहद सामान्य थे.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
KKR vs DC Dream11 Prediction : कोलकाता और दिल्ली के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुनें कप्तान
-
KKR vs DC Head to Head : कोलकाता और दिल्ली में होती है कांटे की टक्कर, हेड टू हेड आंकड़ों में देख लीजिए
-
KKR vs DC Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी कोलकाता की पिच
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन करें तुलसी के ये उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर!
-
Guru Gochar 2024: 1 मई को गुरु गोचर से बनेगा कुबेर योग, जानें आपकी राशि पर इसका प्रभाव
-
Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय, धन से भर जाएगी तिजोरी
-
Shiv Ji Ki Aarti: ऐसे करनी चाहिए भगवान शिव की आरती, हर मनोकामना होती है पूरी