logo-image

मन की बात में PM मोदी ने क्यों किया कुमाऊंनी अंजीर का जिक्र, क्या है इनके स्वास्थ्य लाभ

पीएम ने कहा, “उत्तराखंड में कई तरह की दवाएं और पौधे पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.  इन्हीं में से एक है बेडू फल. इसे हिमालयन अंजीर के नाम से भी जाना जाता है.

Updated on: 29 Aug 2022, 08:29 PM

दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को अपने मन की बात रेडियो कार्यक्रम के दौरान पिथौरागढ़ में मिले जंगली फल बेडू (पहाड़ी अंजीर) का जिक्र किया. उन्होंने हिमालय के फल से बने जैम और चटनी का उत्पादन कर रोजगार पैदा करने के लिए उत्तराखंड के प्रशासन की प्रशंसा की थी. जो लोग 'बेडू' के बारे में पहली बार सुन रहे हैं, उनके लिए इसे 'जंगली हिमालयी अंजीर' के नाम से जाना जाता है. लोकप्रिय कुमाऊंनी लोकगीत 'बेडु पाको बारा मासा' में 'बेडु' शब्द का प्रयोग किया गया है. पीएम ने कहा, “उत्तराखंड में कई तरह की दवाएं और पौधे पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.  इन्हीं में से एक है बेडू फल. इसे हिमालयन अंजीर के नाम से भी जाना जाता है. इस फल में खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

लोग इसका सेवन न केवल फल के रूप में करते हैं, बल्कि इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है. इस फल के इन्हीं गुणों को देखते हुए अब बेडू का जूस, जैम, चटनी, अचार और इन्हें सुखाकर तैयार किए गए सूखे मेवे बाजार में उतारे गए हैं. मोदी ने लोगों से इस लड़ाई में कुपोषण दूर करने और सामाजिक जागरूकता फैलाने का प्रयास करने का भी आग्रह किया. पीएम ने कहा, “त्योहारों के अलावा सितंबर महीना पोषण से संबंधित एक बड़े अभियान के लिए भी समर्पित है. हम 1 से 30 सितंबर के बीच 'पोषण माह' या पोषण माह मनाते हैं. 

ये भी पढ़ें : OTT बदल रहा दर्शकों के मनोरंजन की मानसिकता, समझें बॉलीवुड के इस संकट को

क्या है इस फल के स्वास्थ्य लाभ

उत्तराखंड के जंगलों में आमतौर पर पाया जाने वाला यह फल तंत्रिका तंत्र विकारों, फेफड़े और मूत्र संबंधी रोगों, उच्च रक्तचाप और रक्त की सफाई जैसे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. बेडू में सूजन से राहत, कब्ज और मूत्राशय के उपचार में भी औषधीय गुण होते हैं. इसके रस का उपयोग मस्सों के उपचार में किया जाता है. पिथौरागढ़ के डीएम आशीष चौहान ने बताया, “बेडू एक तरह का अंजीर है जो कई स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है. यह उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा रहा है. हमने इन उत्पादों को व्यावसायिक स्तर पर बाजार में उतारा है जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी. यह भारत के लोगों के लिए राज्य की प्राकृतिक बहुतायत, संस्कृति और परंपरा का एक टुकड़ा भी पूरा करेगा.” एक पूर्ण विकसित पेड़ एक मौसम में 25 किलो तक अंजीर पैदा कर सकता है. पके हुए अंजीर, जो आमतौर पर काले और बैंगनी रंग के होते हैं, फल के रूप में खाए जाते हैं, लेकिन कच्चे अंजीर चटनी, अचार में उपयोग किए जाते हैं.