Who Is Returning Officer: कौन होता है रिटर्निंग ऑफिसर, चंडीगढ़ के अलावा किन राज्यों में उठ चुका है विवाद

Who Is Returning Officer: देशभर में इन दिनों रिटर्निग ऑफिसर को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. क्या आप जानते हैं कि कौन होता है रिटर्निंग ऑफिसर, इसका किस आधार पर होता है चयन और क्या होती जिम्मेदारी. जानें सबकुछ

Who Is Returning Officer: देशभर में इन दिनों रिटर्निग ऑफिसर को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. क्या आप जानते हैं कि कौन होता है रिटर्निंग ऑफिसर, इसका किस आधार पर होता है चयन और क्या होती जिम्मेदारी. जानें सबकुछ

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Dheeraj Sharma
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Do you Know Who Is Returning Officer

Who Is Returning Officer ( Photo Credit : Social Media)

Who Is Returning Officer: देश में इन दिनों रिटर्निंग अधिकारी (Returning Officer) को लेकर काफी चर्चा हो रही है. दरअसल चंडीगढ़ में हुए मेयर के चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर की भूमिका को लेकर बड़ा बवाल मचा है. ये मामला देश की शीर्ष अदालत तक भी गया जहां से अदालत ने रिटर्निंग ऑफिसर को फटकार भी लगाई है. लेकिन इन सबके बीच देश में भर में रिटर्निंग ऑफिसर के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है. अगर आप भी नहीं जानते हैं कि रिटर्निंग ऑफिसर कौन होता है, इसका क्या काम होता है और देश में इस वक्त रिटर्निंग ऑफिसर क्यों सुर्खियां बंटोर रहा है तो इसके लिए इस लेख को जरूर देखें. 

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कौन होता है रिटर्निंग ऑफिसर
देश के तमाम चुनावों की प्रक्रिया में रिटर्निंग ऑफिसर का महत्वपूर्ण योगदान होता है. यह अधिकारी चुनाव क्षेत्र में सम्पूर्ण निगरानी का दायित्व संभालता है और निर्वाचन प्रक्रिया को सुनिश्चित करता है. इसके अलावा, उन्हें चुनाव के बाद मतगणना करने का भी कार्य दिया जाता है. 

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क्या है रिटर्निंग ऑफसिर का काम
रिटर्निंग ऑफिसर का मुख्य काम है चुनाव प्रक्रिया को सुरक्षित और संवैधानिक बनाए रखना.  वह मतदान केंद्रों की निगरानी करते हैं और उन्हें सुनिश्चित करते हैं ताकि मतदाताओं को निर्विवाद तरीके से मतदान करने की सुविधा मिले.  रिटर्निंग अधिकारी का कार्यक्षेत्र विस्तृत होता है. वे मतदान केंद्रों की निगरानी करते हैं, जांचते हैं कि चुनावी काम की व्यवस्था सही तरीके से हो रही है और सभी विधानों का पालन किया जा रहा है या नहीं.

उन्हें यह भी ध्यान में रखना पड़ता है कि निर्वाचित उम्मीदवारों का चयन न्यायसंगत और संवैधानिक तरीके से हो. इसके साथ ही, रिटर्निंग अधिकारी को निर्वाचन प्रक्रिया के बाद मतगणना करने का भी काम होता है. वे सुनिश्चित करते हैं कि मतगणना प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी नहीं होती है और हर मत को सही ढंग से गिना जाता है. 

किस आधार पर होता है रिटर्निंग ऑफिसर का चयन
रिटर्निंग ऑफिसर का चयन बहुत ध्यान से किया जाता है और इसमें संवेदनशीलता, ईमानदारी और संविधान के प्रति समर्पण की गुणवत्ता शामिल होती है.  उन्हें न्यायिक विभाग की तरफ से प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे चुनाव की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को नकार सकें और निर्वाचित उम्मीदवारों को निष्क्रिय कर सकें. 

यह काम ऐसे लोगों को सौंपा जाता है जो सरकारी मामलों में विशेषज्ञ हों और चुनाव या चुनावी प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी भी रखते हों. आमतौर पर ऐसे व्यक्ति को निर्वाचन अधिकारी नामित किया जाता है जो किसी सरकारी पद पर हैं या सरकारी विभाग में काम कर रहे हैं. ऐसे व्यक्ति किसी IAS अधिकारी या  जिला न्यायाधीश (District Judge) भी हो सकते हैं. इलेक्शन कमीशन हर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र और हर राज्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त करता है.  

कितना होता है रिटर्निंग अधिकारी का कार्यकाल
रिटर्निंग अधिकारियों की नियुक्ति की अवधि तीन वर्ष की होती है. यानी उनका कार्यकाल भी तीन वर्ष का ही होता है. 

रिटर्निंग अधिकारी पर क्या होती है जिम्मेदारी
रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव प्रक्रिया के दौरान महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जिम्मेदार होता है. उन्हें निश्चित किया जाता है कि चुनाव प्रक्रिया के समय कोई भी अनुचितता न हो और प्रत्येक मतदाता अपना मत अनित्य और गोपनीयता के साथ दे सके. 

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इस प्रकार, रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव प्रक्रिया में न्याय और संविधान के प्रति आत्मसमर्पण के साथ लोगों की आशा और भरोसा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.  उनका सहयोग और निगरानी निष्पक्ष और समर्पित होने के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया को सुदृढ़ और विश्वसनीय बनाता है. 


चंडीगढ़ के अलावा इन राज्यों में भी उठे सवाल

यह पहला मौका नहीं है  चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में उठे विवाद के अलावा भी देश में रिटर्निंग अधिकारी की वजह से विवाद खड़ा हो चुका है. आइए जानते हैं इससे पहले किन दो बड़े मामलों ने देश में सुर्खियां बंटोरी थीं. 

तमिलनाडु में उठा विवाद 
2017 में तमिलनाडु में हुए घटनाक्रम के दौरान रिटर्निंग अधिकारी ने नामांकन फॉर्मों की जांच के दौरान अभिनेता विशाल के नामांकन को खारिज किया था. इस परिस्थिति में विवाद उत्पन्न हुआ था. हालांकि बाद में उसे सुलझा लिया गया था.  इस प्रकार के मामलों में, चुनावी प्रक्रिया के निष्पक्षता और नियमों का पालन किया जाता है, जिससे लोगों का विश्वास बना रहे. 

मध्य प्रदेश में भी बंटोरी थी सुर्खियां
मध्य प्रदेश में रिटर्निंग ऑफिसर ने सुर्खियां बंटोरी थीं. दरअसल यहां पर चुनावी मशीनों की देरी के कारण उपचुनाव में विवाद उत्पन्न हुआ था. इस परिस्थिति में रिटर्निंग अधिकारियों को संवेदनशीलता और नियमों का पालन करने का मुख्य दायित्व था.

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