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Sachin Tendulkar को तेज तूफान में उड़ जाने का था डर, वह करने जा रहे कुछ ऐसा... जानें

सचिन तेंदुलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 664 मैचों में 100 शतकों और 164 शतकों के साथ कुल 34,357 रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं. सचिन ने कहा कि शारजाह की पारी ने उनके खेल के प्रति मानसिकता बदल दी.

Updated on: 23 Apr 2023, 01:28 PM

highlights

  • शारजाह में कोका कोला कप के एक मैच के दौरान आया था तेज रेतीला तूफान
  • तेंदुलकर कहीं उड़ न जाएं इसलिए एडम गिलक्रिस्ट के कसकर गले लगने वाले थे
  • इस रेतीले तूफान के बाद सचिन की तूफानी पारी को कहा गया था 'डेजर्ट स्टॉर्म'

नई दिल्ली:

महान भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने 1998 में शारजाह (Sharjah) में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी यादगार 'डेजर्ट स्टॉर्म' (Desert Storm) पारी के बारे में एक मजेदार किस्सा सुनाया. 1998 में ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ शारजाह में अपनी प्रतिष्ठित 'डेजर्ट स्टॉर्म' पारी की 25वीं वर्षगांठ के जश्न के लिए मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में, सचिन ने उस पारी के दौरान आए तेज रेतीले तूफान के बारे में बात की. इस मैच में उन्होंने 131 गेंदों पर 143 रनों की तूफानी पारी खेली थी. सचिन ने कहा, 'शारजाह की पारी के बारे में बात करते हुए मैं आपको एक मजेदार किस्सा सुनाता हूं. मैंने अपने जीवन में कभी रेत के तूफान का अनुभव नहीं किया था. यह पहली बार था, जब मैं ऐसी किसी घटना का सामना कर रहा था. मुझे डर था कि मैं तूफान से उड़ न जाऊं. एडम गिलक्रिस्ट (Adam Gilchrist) मेरे करीब खड़े थे और मैं उन्हें गले लगाने के लिए तैयार था, ताकि अतिरिक्त वजन होने से तेज हवा मुझे उड़ा न ले जा सके.'

27 मार्च 1994 से वनडे में शुरू की ओपनिंग
सचिन ने 1994 से वनडे मैचों में भारत के लिए ओपनिंग करना शुरू किया. ओपनिंग से पहले के 98 मैचों में सचिन क्रिकेट के सभी प्रारूपों की 111 पारियों में 38.97 के औसत से 3,781 रन बना चुके थे. 165 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ ओपनिंग शुरू करने से पहले उन्होंने सात शतक और 23 अर्धशतक जड़े थे. 27 मार्च 1994 को ओपनिंग स्लॉट लेने के बाद मास्टर ब्लास्टर ने बड़े स्कोरिंग को एक आदत बना लिया और रिकॉर्ड रनों का अंबार लगाया. सचिन तेंदुलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 664 मैचों में 100 शतकों और 164 शतकों के साथ कुल 34,357 रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं. सचिन ने कहा कि शारजाह की पारी ने उनके खेल के प्रति मानसिकता बदल दी. उनका कहना है, 'कुल मिलाकर मुझे लगा कि आउटिंग ने मेरे क्रिकेटिंग करियर को एक नया आयाम दिया है. मैंने 1994 में ओपनिंग शुरू की थी और इससे पहले मेरी विचार प्रक्रिया पहले कुछ ओवर खेलने और फिर साझेदारी कर मजबूती के साथ पारी खत्म करने की थी, लेकिन मेरी एक अलग रणनीति थी और मैंने प्रबंधन से उसे साझा किया. मैंने कहा कि मुझे बल्लेबाजी की शुरुआत करने का एक मौका दें और अगर मैं विफल रहता हूं तो मैं कभी ओपनिंग नहीं करूंगा.'

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कोका कोला श्रृंखला के तहत था शारजाह में मैच
यह मैच कोका-कोला कप में खेला गया था, जो भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेली गई एक त्रिकोणीय श्रृंखला थी. इस मैच से पहले भारत ने अपने तीन मैचों में से सिर्फ एक में जीत हासिल की थी और न्यूजीलैंड भी अपने चार मैचों में से केवल एक में जीती थी. ऐसे में भारत के पास नेट रन रेट के आधार पर फाइनल में जगह बनाने की आखिरी उम्मीद थी. ऑस्ट्रेलिया अपने तीनों मैच जीतकर फाइनल में पहले ही जगह बना चुका था. जाहिर है भारत के लिए यह मैच करो या मरो वाला था. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट पर 284 रन बनाए. 285 रनों का पीछा करते हुए भारत ने खेल के नौवें ओवर में 38 के स्कोर पर सौरव गांगुली का विकेट गंवा दिया, जिन्होंने 17 रन ही बनाए थे. इसके बाद सचिन तेंदुलकर और विकेटकीपर बल्लेबाज नयन मोंगिया ने पारी संभाली. 22वें ओवर में 35 रन पर मोंगिया के आउट होने पर भारत का स्कोर 107 रन था. ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजी आक्रमण की सचिन तेंदुलकर एक-एक कर बखिया उधेड़ रहे थे. ऐसे में शारजाह में आए तेज रेतीले तूफान ने लगभग 25 मिनट के लिए मैच बाधित कर भारत के प्रयासों पर पानी फेर दिया. रेतीले तूफान के गुजर जाने के बाद लक्ष्य को संशोधित कर 46 ओवरों में 276 कर दिया गया था.

सचिन के 'तूफान' में बिखर ही गया था ऑस्ट्रेलिया
हालांकि अगर रेत के तूफान ने मैच को बाधित कर दिया था, तो सचिन ने अपने 'तूफान' का ऐसा कहर बरपाया कि एक समय लगने लगा था कि ऑस्ट्रेलिया मैच हार जाएगा. सचिन तेंदुलकर ने किसी भी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज को नहीं बख्शा था. माइकल कास्प्रोविज़ की गेंदों पर सचिन के दनादन छक्के लाखों लोगों के जेहन में आज भी ताजा हैं. यह मैच भी दिवंगत लेग स्पिनर शेन वार्न और मास्टर ब्लास्टर के कई फेस-ऑफ्स में से एक बतौर याद किया जाता है. उस खास दिन भी सचिन वार्न पर अजेय दिख रहे थे. सचिन की तूफानी बल्लेबाजी से भारत ने 42.5 ओवरों में4 विकेट खोकर 242 रन बना लिए थे. यानी 19 गेंदों में केवल 34 रनों की आवश्यकता थी और भारत के लिए जीत बेहद करीब नजर आ रही थी. फिर एक चमत्कार सा हुआ और तेज गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग ने अपने ओवर की अंतिम गेंद पर तेंदुलकर को आउट कर दिया. तेंदुलकर 131 गेंदों में 9 चौकों और 5 छक्कों की मदद से 143 रन बनाकर पवेलियन लौट चुके थे. अब  भारत को 18 गेंदों में 34 रनों की जरूरत थी. सचिन के आउट होने के बाद बाकी भारतीय भारतीय बल्लेबाज अजय जडेजा (1), वीवीएस लक्ष्मण (23 *), हृषिकेश कानिटकर (5 *) वह रफ्तार कायम नहीं रख सके, जो तेंदुलकर ने अपनी टीम को दी थी. अगले तीन ओवरों में केवल 8 रन ही आए, जिससे मैच 46 ओवर में 250/5 पर खत्म हुआ. यह मैच भारत 26 रनों से हार गया था. 

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कोका कोला फाइनल में सचिन ने दिलाई भारत को शानदार जीत
कोका कोला कप का फाइनल 24 अप्रैल यानी तेंदुलकर का 25वें जन्मदिन पर खेला गया. मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अपने 50 ओवरों में 272/9 का स्कोर बनाया. तेंदुलकर की एक और स्पेशल स्कोरिंग ने उनके जन्मदिन का उत्साह और बढ़ा दिया. सचिन की 131 गेंदों में 134 रनों की पारी से भारत ने 48.3 ओवर में ही लक्ष्य हासिल कर कोका-कोला कप अपने कब्जे में ले लिया. हालांकि फाइनल से पहले 22 अप्रैल 1998 का ​​आए रेतीले तुफान के अलावा 'सचिन रूपी तूफान' लाखों लोगों के लिए 'डेजर्ट स्टॉर्म' के रूप में अमर हो गया. इसके बाद तो क्रिकेट के करोड़ों प्रशंसकों के टीवी सेट तब चालू होते थे, जब तेंदुलकर बल्लेबाजी करने के लिए आते थे. यही नहीं, भारत को जीत तक ले जाने से पहले उनके आउट होने पर टीवी बंद हो जाते थे. इस विलक्षण बल्लेबाज पर अरबों लोगों की उम्मीदें रहती थीं. 2011 में सचिन तेंदुलकर का एक और ख्वाब पूरा हो गया, जब भारत ने 28 सालों के बाद वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका को हराकर दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप अपने नाम किया.