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पुतिन-जिनपिंग की बढ़ती दोस्ती( Photo Credit : Social Media)
Vladimir Putin meets Xi Jinping: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के बीच दोस्ती दिन पर दिन और गहरी होती जा रही है. व्लादिमीर पुतिन फिर से रूस के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं. पद संभालने के बाद यह उनकी पहली यात्रा है, जो पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है. पुतिन और जिनपिंग ने 16 मई को ऐतिहासिक ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में मुलाकात की, जहां रूसी नेता को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया था. इस दौरान पुतिन ने जिनपिंग को अपना प्रिय दोस्त बताया. आपको जानकर यह जानकर हैरानी होगी कि बीते कुछ सालों पुतिन और जिनपिंग 40 से अधिक बार मिल चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि पुतिन-जिनपिंग की बढ़ती दोस्ती से क्या भारत को होना चाहिए चिंतित? आइए आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं.
रूस, चीन और यूक्रेन युद्ध
व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय चीन यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब रूस ने यूक्रेन में युद्ध की स्थिति पर मजबूत पकड़ बना ली है. वर्तमान में रूस यूक्रेनी क्षेत्र के बड़े हिस्से को कंट्रोल करता है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने पहले 2021 में दोनों देशों का कुल व्यापार करीब 150 बिलियन डॉलर था, जो 2023 में 240 बिलियन डॉलर से अधिक का हो चुका है. आरोप है कि व्यापार की आड़ में चीन असल में रूस की युद्ध में मदद कर रहा है. अमेरिका और पश्चिमी देश कई दफा इस बारें में अपनी चिंता भी जाहिर कर चुके हैं. उनका मानना है कि चीनी समर्थन के बिना पुतिन शायद ही इतनी लंबी लड़ाई जारी रख पाते.
चीन ने दिया रूस का साथ?
अमेरिका का मानना है कि चीन उस तकनीक की आपूर्ति कर रहा है, जिसका उपयोग रूस मिसाइलों, टैंकों और अन्य युद्धक्षेत्र हथियारों के निर्माण के लिए कर रहा है. 2000 के बाद पुतिन की चीन की यह 19वीं यात्रा है. इस दौरान चीन रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और रूस में सबसे बड़ा एशियाई इन्वेस्टर बन गया है. चीन रूस को कच्चे माल का पावरहाउस और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए एक बड़े बाजार के रूप में देखता है. यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, जिस कारण रूस बहुत हद तक चीन पर निर्भर हो गया.
...तब किसका साथ देगा रूस?
भारत से जारी व्यापार ने भी उसकी मदद की, लेकिन नई दिल्ली उस तरह से खुलकर यूक्रेन युद्ध में रूस का साथ नहीं दे सकता है, जैसा चीन दे रहा है. हालांकि रूस भारत का पुराना दोस्त है. यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत का रुख एकदम साफ है कि वह युद्ध के खिलाफ है, लेकिन किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा. उसके इस कदम की कई ग्लोबल लीडर्स ने तारीफ भी की है. रूस और चीन के बीच बढ़ती दोस्ती भारत के लिए गंभीर प्रश्न खड़े करती है, क्योंकि भारत रूस से 60-70 फीसदी रक्षा उपकरण और हथियार खरीदता है. ऐसे में भारत को नियमित और विश्वसनीय आपूर्ति की आवश्यकता है. भारत और चीन के बीच सीमा पर अक्सर तनाव की खबरें आती रही हैं. अगर भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया तो रूस क्या करेगा, तब वो भारत का साथ देगा या चीन?
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Source : News Nation Bureau