Russia-China-Iran Alliance: यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस के चीन से नजदीकियां काफी बढ़ी हैं. रूस ने ईरान के साथ अपनी दोस्ती को भी मजबूत किया. दोनों देशों ने क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया. ये ज्वॉइन्ट नेवल एक्सरसाइज सोमवार को कैस्पियन सागर में शुरू हुई, जिसे कैस्पियन मरीटाइम रेस्क्यू, रिलीफ एंड सिक्योरिटी 2024' नाम दिया गया है. इस सैन्यभ्यास में रूस और ईरान की नौसेनाएं शामिल हुईं. ऐसे में रूस-चीन और ईरान के बीच मजबूत होता गठजोड़ आने वाले दिनों सुपरपावर अमेरिका के लिए सिरदर्द बन सकता है. आइए जानते हैं कैसे? बता दें कि रूस-चीन और ईरान तीनों साथ मिलकर कई बार युद्धाभ्यास कर चुके हैं.
रूस-चीन-ईरान के बीच गठजोड़
अमेरिका को मिडिल ईस्ट से लेकर यूरोप और एशिया तक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह है उसके दुश्मन रूस, चीन और ईरान के बीच मजबूत गठजोड़ बन रहा है. ये तीनों ही किसी न किसी वजह से अमेरिकी प्रतिबंधों को झेल रहे हैं, लेकिन अब इन तीनों देशों ने अमेरिका के खिलाफ खुद को एकजुट किया है. कहा जा रहा है कि आने वाले समय ये रूस, अमेरिका और चीन की ये तिकड़ी जमीन से लेकर आसमान और समंदर हर मोर्चे तक अमेरिका के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.
विवादों में अमेरिका की भूमिका
यूक्रेन के खिलाफ रूस जंग लड़ रहा है. चीन ताइवान को अपने कब्जे में लेने के लिए दबाव बना रहा है. ईरान को अमेरिका टेंशन दे रहा है. चल रहे इन संघर्षों में अमेरिका की सक्रिय भूमिका है, वो खुलतौर पर रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद कर रहा है. अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक मदद के अलावा हथियार सप्लाई किए हैं, जिन्हें यूक्रेन अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है. वहीं, चीन-ताइवान विवाद में भी अमेरिका ताइवान का साथ दे रहा है. वो ताइवान को हथियार सप्लाई कर रहा है. अमेरिका के इस रूख से चीन भड़का हुआ है. उधर न्यूक्लियर प्रोग्राम के चलते ईरान कई सालों से अमेरिका के प्रतिबंधों की मार झेल रहा है.
रूस-ईरान सैन्यभ्यास
रूस, चीन और ईरान तीनों ही अमेरिका के खिलाफ तेजी से अपने सैन्य गठजोड़ को मजूबत करने में लगे हुए हैं. ये तीनों देश समंदर में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं और अमेरिका को चेतावनी दे रहे हैं. इसी मंसूबे के तहत रूस और ईरान की नेवी ने बड़ा समुद्री अभ्यास किया है. ये सैन्य अभ्यास कैस्पियन सी में ईरान के टेरीटोरियल समुद्री इलाके में किया गया. इस अभ्यास में ईरान का गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर दाराफश, सेपार और पायकन ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. इसके अलावा 2 एबी-212 हेलीकॉप्टर ने भी समंदर के ऊपर मंडराकर अपना दमखम दिखाया.
युद्धाभ्यास में ईरान ने भी दिखाई ताकत
ईरान ने भी इस युद्धाभ्यास में अपनी ताकत दिखाई. ईरान के नेवल शिप शहीद बसीर ने इस अभ्यास में हिस्सा लेकर समंदर में अपनी ताकत की नुमाइश की. वहीं रूस के नेवल शिपल एसबी-45 ने भी ईरान के समुद्री इलाके में एंट्री की और समंदर की लहरों को चीरते हुए आगे बढ़ गया. इस दौरान दोनों देशों की नेवी ने क्रू रेस्क्यू, मर्चेंट शिप की सुरक्षा और फायर ड्रिल का अभ्यास किया.
रूस-चीन ने भी किया था सैन्याभ्यास
एक तरफ मिडिल ईस्ट में रूसी नेवी ने एक्शन दिखाया. तो कुछ दिन पहले रूस ने दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सैन्याभ्यास किया था. उसने साउथ चाइना सी में चीन की नेवी के साथ मिलकर नेवल एक्सरसाइज को अंजाम दिया. चीन और रूस की नेवी ने लाइव फायर नौसैनिक अभ्यास किया था.
रूस के प्रशांत बेड़े की टुकड़ी शामिल हुई, जिसमें दो कोरवेट 'रेज्की' और 'ग्रोम्की' ने हुंकार भरी, तो अभ्यास के दौरान चीन और रूस ने उत्तरी प्रशांत सागर में गश्त भी की. दक्षिण चीन सागर के जिस इलाके में इस अभ्यास को अंजाम दिया गया वो विवादित इलाका है, क्योंकि इसको लेकर फिलीपींस के साथ चीन का विवाद चल रहा है.
मतलब साफ है कि मिडिल ईस्ट में इजरायल और हमास की जंग के चलते तनाव है, जिसमें अमेरिका लगातार इजरायल को सपोर्ट कर रहा है तो दक्षिण चीन सागर के मोर्चे पर ताइवान के साथ अमेरिका खड़ा है यही वजह है कि इन दोनों ही फ्रंट पर अमेरिका के लिए रूस अब अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
Source : News Nation Bureau