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Parliament Monsoon Session: हंगामे की भेंट चढ़े Taxpayers के 100 करोड़

18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलने वाले संसद सत्र के पहले दो सप्ताह में पहले विपक्ष और बाद में सत्ता पक्ष के सांसदों के हंगामे के कारण लोकसभा ( Loksabha) और राज्यसभा ( Rajya Sabha) की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी. 

Updated on: 30 Jul 2022, 03:09 PM

highlights

  • संसद के मानसून सत्र के पहले दो हफ्ते हंगामे की भेंट चढ़ गए
  • सरकार ने दोनों सदनों में 32 बिल पेश करने का ऐलान किया था
  • टैक्सपेयर्स के 100 करोड़ खर्च होने के बाद सिर्फ दो ही बिल पास

नई दिल्ली:

संसद का जारी मानसून सत्र ( Parliament Monsoon Session) पक्ष-विपक्ष के हंगामे की वजह से सुचारु रुप से काम नहीं पा रहा है. इस तरह बीते दो सप्ताह में देश के करदाताओं ( Taxpayers) के 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बर्बाद हो गए. 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलने वाले संसद सत्र के पहले दो सप्ताह में पहले विपक्ष और बाद में सत्ता पक्ष के सांसदों के हंगामे के कारण लोकसभा ( Loksabha) और राज्यसभा ( Rajya Sabha) की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी. 

इस तरह चार हफ्तों तक चलने वाले मानसून सत्र के पहले दो हफ्ते हंगामे की भेंट चढ़ गए. संसद के घोषित कार्यक्रम के मुताबिक मौजूदा सत्र के इन शुरुआती दो हफ्तों में 60-60 घंटे यानी 120 घंटे काम होना था. इसके मुकाबले लोकसभा में 15.7 घंटे और राज्यसभा में 11.1 घंटे यानी दोनों मिलाकर कुछ 26.8 घंटे ही काम हो पाया है. संसद में सप्ताह में पांच दिन काम होता है. रोज सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक सदन चलती है. इसमें एक घंटे का लंच ब्रेक होता है. यानी एक दिन में 6 घंटे कार्यवाही का समय होता है.

मानसून सत्र में अब तक दो विधेयक पास हुए

मानसून सत्र में सरकार ने दोनों सदनों में 32 बिल पेश करने का ऐलान किया था. विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामों के बीच लोकसभा में अंटार्कटिका बिल और परिवार न्यायालय संशोधन बिल पास किया गया. इसके अलावा किसी और बिल पर चर्चा तक ही नहीं हो सकी. वहीं राज्यसभा में एक भी बिल पास नहीं हुआ. दोनों सदनों को जोड़ें तो 30 बिल अब भी बाकी हैं. दोनों सदनों में प्रश्नकाल, विधायी कार्य गैर विधायी और अन्य कार्य सब कम घंटे ही हो पाए.

अब या तो वह बिना चर्चा के पास होंगे या लटके ही रह सकते हैं. क्योंकि अब सत्र संपन्न होने में 12 दिन और बचा है. इसमें शनिवार-रविवार और 11 अगस्त को रक्षाबंधन की छुट्‌टी रहेगी. इसका मतलब महज 9 दिन काम और होना है. सत्र को आगे बढ़ाए जाने का भी कोई संकेत अब तक सामने नहीं आया है.

करदाताओं के 100 करोड़ से ज्यादा खर्च

संसद के मानसूत्र सत्र में दोनों सदनों में अब तक देश के टैक्सपेयर्स के करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद सिर्फ दो ही बिल पास हो पाए हैं. लोकसभा सचिवालय की ओर से साल 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार सदन चलाने में हर घंटे 1.6 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. संसद की कार्यवाही में होने वाले खर्च में सांसदों का वेतन, सत्र के दौरान सांसदों को मिलने वाली सुविधाएं और भत्ते, सचिवालय के कर्मचारियों की सैलरी और संसद सचिवालय पर होने वाला खर्च भी शामिल है.

इस घोषित खर्च का औसत करीब एक लाख साठ हजार रुपए प्रति मिनट होता है. देश में चार साल में महंगाई भी बढ़ी है. फिर भी 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक सदन चलाने में एक दिन का खर्च करीब दस करोड़ रुपए आता है. मानसून सत्र के पहले दो हफ्तों में दस दिन की कार्यवाही में इस हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. वहीं दोनों सदन में काम की जगह महज हंगामे हुए. 

संसदीय रोजनामचा- सांसदों का सस्पेंशन

मानसून सत्र में लोकसभा 15.7 घंटे और राज्यसभा में 11.1 घंटे ही काम हुआ है. जबकि, दस दिन में दोनों सदनों में  60-60 घंटे काम होना चाहिए था. इसका मतलब दोनों सदनों में एक चौथाई काम भी नहीं हो पाया. सदन में कार्यवाही से ज्यादा तो विपक्ष के सांसदों पर कार्रवाई हो गई. सत्र के दूसरे हफ्ते में 27 सांसदों को सदन से निलंबित किया गया. सोमवार को लोकसभा से 4, मंगलवार को राज्यसभा से 19, बुधवार को 1 और गुरुवार को 3 सांसद निलंबित किए गए. इन सभी सांसदों ने संसद परिसर में ही रोस्टर लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया.

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मानसून सत्र में छाए रहे ये बड़े मुद्दे

संसद के मानसून सत्र में विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी, GST और अग्निपथ योजना जैसे मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहा. वहीं सत्ता पक्ष ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के राष्ट्रपति पर दिए गए विवादित बयान पर हंगामा किया. चौधरी ने माफी मांग ली, लेकिन सत्तापक्ष कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की माफी चाह रही है. कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में कामकाज रोककर अग्निपथ पर चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया. इसके बावजूद कोई चर्चा नहीं हुई. वहीं,