Pakistan: लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर का सेना प्रमुख बनना इमरान खान के लिए बहुत बुरी खबर, जानें क्यों
इमरान खान ने जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में अपने पास मौजूद हर पत्ते को खेला. इसकी वजह यह थी कि वे अच्छे से जानते हैं कि आने वाले दिनों में उनका राजनीतिक भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि रावलपिंडी में सेना के नए बॉस बतौर कौन बैठता है.
highlights
- असीम मुनीर के सेना प्रमुख बनने से इमरान के राजनीतिक भविष्य पर दबाव बढ़ा
- शहबाज शरीफ ने असीम मुनीर पर दांव खेल पहले राउंड में दी इमरान को मात
- सत्ता में वापसी के लिए 2023 के आम चुनाव तक का इंतजार करना होगा खान को
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने पाकिस्तान के बीते इतिहास से सबक लेकर सुरक्षित खेलते हुए लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर (Asim Munir) को पाकिस्तान (Pakistan) का अगला सेना प्रमुख चुना है. ऐसे समय जब शहबाज शरीफ घरेलू मोर्चे पर तमाम राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर छह नामों में सबसे अच्छा दांव थे. 29 नवंबर को रिटायर हो रहे निवर्तमान जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) के उत्तराधिकारी के रूप में वजीर-ए-आजम शहबाज शरीफ के पास वरिष्ठता क्रम के आधार पर आधा दर्जन नाम भेजे गए थे. ऐसे में पहले ही वरिष्ठता क्रम के अनुपालन की घोषणा कर चुके शहबाज शरीफ ने जनरल बाजवा के करीबी मुनीर पर दांव खेलना बेहतर समझा. यह अलग बात है कि अगले सेना प्रमुख (Army Chief) बतौर असीम मुनीर के नाम की घोषणा सत्ता में वापसी को बेताब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के सर्वेसर्वा इमरान खान (Imran Khan) के लिए कतई अच्छी खबर नहीं है.
पहले दौर में इमरान खान को मिली हार
इमरान खान ने जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में शरीफ को मात देने के लिए अपने पास मौजूद हर पत्ते को खेला. इसकी वजह यह थी कि वे अच्छे से जानते हैं कि आने वाले दिनों में उनका राजनीतिक भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि रावलपिंडी में सेना के नए बॉस बतौर कौन बैठता है. अप्रैल में विश्वास मत के जरिये सत्ता से बेदखल होने वाले इमरान खान शहबाज शरीफ पर मध्यावधि चुनाव जल्द से जल्द कराने का दबाव बनाए हुए हैं. इसके लिए वह लांग मार्च भी निकाल रहे हैं, जिसके दो मकसद हैं. एक जल्द चुनाव कराने का दबाव. दूसरे इस्लामाबाद में नई सरकार आने तक अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति को टालना. अगर चुनाव परिणाम इमरान खान की पार्टी में पक्ष में जाते तो वह अगले सेना प्रमुख के रूप में अपने विश्वस्त को चुनते. इमरान खान और असीम मुनीर की अदावत जगजाहिर है. अब शहबाज शरीफ ने असीम मुनीर को अगला सेना प्रमुख बतौर पेशकर इमरान खान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इमरान खान को पहले राउंड में मात मिली है.
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अदावत का जहरीला इतिहास
इमरान खान के लिए असीम मुनीर का नाम सेना के छह वरिष्ठ अधिकारियों की सूची में संभवतः सबसे अंतिम होता, जिसे वह अगले सेना प्रमुख बतौर देखना पसंद करते. 2019 में इमरान खान ने आईएसआई के डीजी के रूप में मुनीर के कार्यकाल के पर कतर दिए थे. इस पद पर नियुक्त होने के बमुश्किल आठ महीने बाद बाजवा पर दबाव बनाकर मुनीर को हटाने में सफल होने के बाद इमरान खान इस पद पर अपने विश्वस्त फैज हामिद को लाए थे. मुनीर को निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा का करीबी माना जाता है, क्योंकि वह पहले सेना में उनके अधीन काम कर चुके हैं. इस वजह से भी इमरान खान मुनीर को लेकर असहज हैं, क्योंकि बाजवा से भी उनकी ठन चुकी है. इमरान खान का आरोप है कि जनरल बाजवा ने उनकी सरकार को बचाने के लिए अप्रैल में विश्ववास मत के दौरान पर्याप्त सहयोग नहीं दिया. यही नहीं, इमरान खान ने अपनी हत्या की साजिश रचने के लिए कुछ सैन्य अधिकारियों के नाम भी लिए थे.
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इमरान खान के लिए आगे क्या
इस झटके के बाद इमरान खान को सत्ता में वापसी के लिए 2023 के उत्तरार्ध में होने वाले अगले चुनावों का इंतजार करना होगा. यही वह पेंच है जहां मुनीर फैक्टर सबसे ज्यादा मायने रखता है. असीम मुनीर की राजनीतिक संबद्धता के बारे में कुछ ज्यादा कहने-सुनने को नहीं है. हालांकि सामरिक विश्लेषकों को संदेह है पाकिस्तान की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करने के निवर्तमान प्रमुख बाजवा की हलफ की पाकिस्तान सेना आगे भी लाज रखेगी. इमरान खान खुद राजनीति में सेना के दखल के फायदे उठाते आए हैं. पाकिस्तान की राजनीतिक विश्लेषक ज़ाहिद हुसैन कहते हैं, 'यह पाकिस्तान सैन्य प्रतिष्ठान का ही निर्णय रहा जो इमरान राजनीति के ऊंचाइयों तक पहुंच सके. अब यह कोई छिपी बात नहीं है कि सैन्य प्रतिष्ठान ने एक ऐसा गठबंधन बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसकी वजह से पीटीआई 2018 में केंद्र समेत पंजाब में सरकार बनाने में सफल रही.' अब असीम मुनीर की नियुक्ति के बाद इमरान खान एक अलग विकेट पर आ खड़े हुए हैं. हालांकि शरीफ सरकार की बढ़ती अलोकप्रियता खासकर पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था, बढ़ती मुद्रास्फीति औऱ महंगाई इमरान की राजनीति के लिहाज से राहत भरी खबर है. अप्रैल में सत्ता से बेदखल होने के बाद हुए कई प्रांतों के उपचुनाव में उनकी पार्टी पीटीआई ने अच्छा प्रदर्शन किया है. उनकी हालिया रैलियों को भी अच्छा प्रतिसाद मिला है. फिर भी इसके बाद चुनाव परिणाम जो भी आएं अगले तीन सालों के लिए लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर के सेना प्रमुख रहते इमरान के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा.
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