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Monkeypox : खतरा, कारण, लक्षण, इलाज और टीका, दूर करें सारी गलतफहमियां

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने नई बीमारी मंकीपॉक्स (Monkeypox) को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी ( Global Health Emergency) बताया है. पहले से ही कोरोनावायरस महामारी ( Covid-19 Pandemic) से डरे लोगों में इसके बाद डर बढ़ गया है.

Updated on: 28 Jul 2022, 01:19 PM

highlights

  • मंकीपॉक्स को लेकर कई तरह की गलतफहमियां भी फैलने लगी हैं
  • WHO की वेबसाइट पर मंकीपॉक्स को लेकर जानकारियां उपलब्ध
  • मंकीपॉक्स का वायरस कोरोनावायरस जितना तेज संक्रामक नहीं है

नई दिल्ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने नई बीमारी मंकीपॉक्स (Monkeypox) को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी ( Global Health Emergency) बताया है. पहले से ही कोरोनावायरस महामारी ( Covid-19 Pandemic) से डरे लोगों में इसके बाद डर बढ़ गया है. लोगों को एक बार फिर से लॉकडाउन, सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रतिबंध और सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता सताने लगी है. भारत में भी मंकीपॉक्स के अब तक कुल चार मामले सामने आ चुके हैं. केरल के तीन और दिल्ली के एक मरीज में मंकीपॉक्स के वायरस की पुष्टि की गई है.

दुनिया भर में खासकर अपने देश में मंकीपॉक्स के इस नए वायरस को लेकर तमाम तरह की गलतफहमियां भी फैलने लगी हैं. कोरोनावायरस से समानता, समलैंगिकों को ज्यादा खतरा, शारीरिक संबंध बनाने से मंकीपॉक्स और जांच-टीकाकरण वगैरह को लेकर कई तरह के दावे सामने आने लगे हैं. आइए, जानते हैं कि मंकीपॉक्स को लेकर कैसे मिथ प्रचलित हो रहे हैं और उसकी हकीकत क्या है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर मंकीपॉक्स को लेकर तमाम जानकारियां प्रकाशित की है.

मंकीपॉक्स और कोविड-19 में समानता

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक मंकीपॉक्स बाकी दूसरे संक्रमणों जितना संक्रामक नहीं है. मंकीपॉक्स का वायरस कोरोना वायरस जितना संक्रामक नहीं है. लोगों के बीच यह कोविड-19 की तरह आसानी और तेजी से नहीं फैलता है. मंकीपॉक्स के किसी संक्रमित मरीज या उनके इस्तेमाल वाली चीजों के सीधे संपर्क में आने से ही इसका संक्रमण फैलता है. यह वायरस हमारी त्वचा पर हुए किसी घाव या आंख, नाक या मुंह के रास्ते भी शरीर में घुस सकता है. 

मंकीपॉक्स से संक्रमित जानवरों जैसे बंदर, चूहे या गिलहरियों के संपर्क में आने से भी ये वायरस फैलता है. लोगों के बीच सांसों से भी इसका संक्रमण फैल सकता है. वहीं इसका संक्रमण शारीरिक संबंध बनाने से भी फैलता है.

शारीरिक संबंध से मंकीपॉक्स का खतरा

आमतौर पर ऐसा कुछ नहीं होता. मंकीपॉक्स केवल शारीरिक संबंध बनाने से नहीं होता. अगर आप किसी भी संक्रमित मरीज के अंतरंग संपर्क में रहेंगे, तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण हैं, जैसे शरीर के किसी हिस्से पर लाल चकत्ते या रैशेज हैं और उस स्थिति में बिना किसी सुरक्षा के यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए. फिर भी बनाते हैं, तो शरीर का संक्रमण दूसरे पार्टनर के शरीर तक पहुंचेगा. इससे वो भी मंकीपॉक्स की चपेट में आ सकता है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों को रिकवरी के 12 हफ्तों तक यौन संबंध बनाने के दौरान कंडोम के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. ऐसा करने पर आप मंकीपॉक्स से तो सुरक्षित नहीं रह सकते, लेकिन ये दोनों पार्टनर को बाकी यौन संचारित रोग (STD) से बचाता है. एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर रखने वाले लोगों को खास सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है.

समलैंगिकों को संक्रमण का ज्यादा डर 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक जनरल डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने कहा था कि फिलहाल मंकीपॉक्स का संक्रमण अधितकतर समलैंगिक पुरुषों में देखा जा रहा है.  मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी बताते हुए उन्होंने कहा था कि यहां ये जोर देना भी अहम है कि मंकीपॉक्स किसी को भी प्रभावित कर सकता है. अगर आप संक्रमित व्यक्ति या उनके संक्रमित सामान के साथ लंबे समय तक संपर्क में रहते हैं, तो आपको भी मंकीपॉक्स हो सकता है.

इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों और सेक्स वर्कर्स को भी मंकीपॉक्स के संक्रमण का ज्यादा खतरा हो सकता है. गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों को खास तौर पर इस संक्रमण से बचाने की जरूरत है.

मंकीपॉक्स जांच की क्या है सुविधा 

मंकीपॉक्स की जांच के लिए भी कोविड-19 की तरह ही आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है. इन दोनों की जांच में महज इतना फर्क है कि कोविड जांच के लिए गले या नाक का स्वैब लिया जाता है और मंकीपॉक्स में शरीर पर उभरे रैश के अंदर के पानी की जांच की जाती है. अपने देश में फिलहाल एनआईवी, पुणे में ही मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा उपलब्ध है.

मंकीपॉक्स के इलाज से जुड़ी सच्चाई

मंकीपॉक्स के अधिकतर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. इसके सभी लक्षण धीरे-धीरे खुद ही खत्म हो जाते हैं. डॉक्टर्स को जरूरत पड़ी तो दर्द और बुखार के लिए दवाएं दी जा सकती हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि इसके मरीज को पौष्टिक खाना खाने, खुद को हाइड्रेट रखने और पर्याप्त नींद लेने की जरूरत होती है. इसके अलावा त्वचा पर उभरी फुंसियों या चकत्तों पर खुजली करने से बचने और समय-समय पर साफ पानी और एंटीसेप्टिक से इसे साफ करते रहने की सलाह भी दी गई है.

मंकीपॉक्स की क्या है दवाई

यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने अपनी वेबसाइट पर मंकीपॉक्स के इलाज में असरदार या कारगर रहीं कुछ दवाइयों जैसे वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन, एसटी-246 और सिडोफोविर वगैरह की लिस्ट भी प्रकाशित किया है. यूरोपीयन मेडिसिन एजेंसी ने मंकीपॉक्स की इलाज के लिए साल 2022 में टेकोविरिमैट नाम का एक एंटीवायरल भी विकसित किया है. 

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मंकीपॉक्स पर काबू के लिए टीकाकरण

दुनिया के सामने ACAM2000 स्मॉल पॉक्स का एक टीका पहले से मौजूद  है. स्वास्थ्य अधिकारी मानते हैं कि ये वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कारगर होती है. वहीं, मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए JYNNEOSTM नाम की एक और वैक्सीन भी उपलब्ध है. कई देशों में इसके इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल चुकी है. इसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है.