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बड़े पैमाने पर जलस्रोतों में मरती मछलियां, कारण जान हैरान रह जाएंगे आप

मानव मल युक्त सीवर का पानी और जहर साबित होते हैं. ये पानी में कोलिफॉर्म बैक्टीरिया, ई-कोली की मात्रा बढ़ा देते हैं. ये सब वह कारण हैं, जिनकी वजह से झील, तालाब या अन्य जलस्रोतों में बड़े पैमाने पर मछलियों की मौत हो जाती है.

Updated on: 25 Jul 2022, 03:35 PM

highlights

  • बढ़ता प्रदूषण जलीय जीवों को भी पहुंचा रहा है नुकसान
  • पानी में ऑक्सीजन की कमी ले रही मछलियों की जान
  • और भी हैं कारण जो जलीय जीवन को रहे हैं मार

नई दिल्ली:

अभी कुछ ही दिन पहले दिल्ली-हरियाणा सीमा पर नजफगढ़ नाले में बड़ी संख्या में मछलियां रहस्यमयी तरीके से मृत पाई गईं. पास ही के झुलझुली गांव के निवासियों ने भी बताया कि नाले से करीब 150 मीटर दूर स्थित उनके गांव के एक तालाब में भी मछलियां मृत मिलीं. इन घटनाओं पर वन विभाग के एक अधिकारी ने कथित तौर पर कहा था कि मछलियों की संख्या लाखों में थी. जलस्रोतों में बड़ी संख्या में मछलियों के मृत पाए जाने की यह कोई पहली घटना नहीं थी. अप्रैल 2022 में मुंबई के मालाबार हिल स्थित बाणगंगा टैंक में मृत मछलियां सतह पर तैरती पाई गईं. स्थानीय लोगों ने बीएमसी को सूचित किया. इसके बाद मृत मछलियों की सफाई का काम एक ठेकेदार को दिया गया. ठेकेदार ने दावा किया कि बाणगंगा टैंक से चार ट्रक मृत मछलियां निकलीं. अधिकारियों के मुताबिक पानी में ऑक्सीजन की कमी मछिलयों की मौत की वजह हो सकती है. हालांकि आसपास के लोगों का कहना था कि हर साल बड़ी संख्या में बाणगंगा टैंक में मछलियां मृत पाई जाती हैं. उन्होंने इसके लिए धार्मिक परंपराओं के अनुरूप मछलियों को दिया जाने वाला भोजन हो सकता है. सिर्फ मुंबई या नजफगढ़ ही नहीं, बेंगलुरु समेत भारत के विभिन्न हिस्सों के जलस्रोतों में समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं. 

हम और पानी की गुणवत्ता
शहरों में रहने वाले इन घटनाओं के पीछे अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ सकते हैं. सच्चाई यही है प्रदूषित तालाब, झीलें और अन्य स्रोत इसकी एक बड़ी वजह है. प्रदूषित पानी या पानी की गुणवत्ता मापने के कई पैमाने होते हैं. हालांकि आधारभूत घुलनशील ऑक्सीजन, तापमान, खारापन, पीएच क्वालिटी और गंदगी की मात्रा.

  • घुलनशील ऑक्सीजन से आशय होता है पानी में ऑक्सीजन की मात्रा, जो जलीय जीवों के जीवित रहने के लिए जरूरी होती है, पानी की गुणवत्ता जांचने का प्रमुख पैमाना होता है.
  • पानी का तापमान जलीय जीवों के क्रिया-कलापों को नियंत्रित करता है. मसलन उनकी चयापचय (मेटाबॉलिक रेट) क्रिया, प्रजनन की दर और जलस्रोत में प्रवास.
  • पानी कंडक्टिविटी उसमें मिले लवणों पर निर्भर करती है, जो धनात्मक और ऋणात्मक आयनों को पैदा करती है.
  • सेलिनिटी पानी में कितनी मात्रा में लवण हैं, इस पर निर्भर करती है. पानी में मिले लवण सेलिनिटी औऱ कंडक्टिविटी को बढ़ाती है. ऐसे में इन दोनों में परस्पर संबंध है.
  • लवण और अन्य घुलनशील पदार्थ जलीय जीवों पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं. हरेक जीव की अपनी अलग-अलग क्षमता होती है कि वह कितनी सेलिनिटी (गंदगी) को बर्दाश्त कर सकता है.
  • जीएच क्वालिटी से आशय होता है पानी कितना अम्लीय और क्षारीय है. जलीय जीवों के विकास और जीवन के लिए कई रासायनिक क्रियाओं की जरूरत होती है, जिनके लिए पीएच क्वालिटी में बेहद मामूली अंतर होता है. अधिक अमल और क्षार पीएच क्वालिटी ज्यादा होने से जलीय जीवों के गलफड़े (गिल्स), बाहरी काया और फिन्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं.  
  • पानी में छोड़े गए प्रदूषण के कण उसकी टर्बिडिटी को तय करते हैं. शैवाल (एल्गी), तलछट और कार्बनिक पदार्थ गंदगी के लिए जिम्मेदार होते हैं. 

प्रदूषित पानी के नुकसान
प्रदूषण से जलस्रोत के भीतर सूरज की रोशनी ठीक से नहीं पहुंच पाती और सतह से ही तापमान अवशोषित कर लेती है. इससे पानी के भीतर का तापमान बढ़ने लगता है. रोशनी कम होने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पर असर पड़ता है, जिससे मछलियों के गलफड़े अवरुद्ध होने लगते हैं. इसी तरह तलछट में जमी गंदगी आभासी कंकड़ों की तरह बन जाती है, जो मछलियों के अंडों के लिए नुकसानदेह होती है. 

नाइट्रोजन और जीवाणु
पानी की गुणवत्ता के अन्य मानक होते हैं नाइट्रोजन और जीवाणु. नाइट्रोजन साफ और प्रदूषित पानी में प्राकृतिक तौर पर होती है. पारिस्थितिकी तंत्र में नाइट्रोजन जलीय पौधों के विकास के लिए जरूरी है. हालांकि जब जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में नाइट्रोजन का मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो इससे शैवाल अधिक हो जाती है. यूट्रोफिकेशन नाम की प्रक्रिया के तहत शैवाल प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने लगती है. इस वजह से जलीय जीवों के लिए पानी में ऑकक्सीजन की मात्रा और कम हो जाती है. इस कारण दम घुटने से जलीय जीव मरने लगते हैं. 

सीवर का पानी
इसके अलावा मानव मल युक्त सीवर का पानी और जहर साबित होते हैं. ये पानी में कोलिफॉर्म बैक्टीरिया, ई-कोली की मात्रा बढ़ा देते हैं. ये सब वह कारण हैं, जिनकी वजह से झील, तालाब या अन्य जलस्रोतों में बड़े पैमाने पर मछलियों की मौत हो जाती है.