Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा के पीछे की ये है बड़ी वजह, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है.
highlights
- मणिपुर में जारी है हिंसा.
- CBI ने शुरू की मणिपुर हिंसा मामले की जांच.
- कब थमेगी मणिपुर में हिंसा की आग?
नई दिल्ली:
Manipur Violence Reason: मणिपुर (Manipur) में लगभग तीन महीने से हिंसा जारी है. राज्य में तीन मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान हिंसा (Violence) भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. कुकी समुदाय की ओर से ये मार्च मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाला गया था. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है. दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पें और महिलाओं के साथ अभद्रता की खबरें लगातार सुर्खियों में रही हैं.
मणिपुर में हिंसा को लेकर सीबीआई ने भी जांच शुरू कर दी है. सीबीआई ने इस मामले में कुल 6 एफआईआर दर्ज की थीं, जिसके बाद अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बीते दिनों सोशल मीडिया पर मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का वीडियो भी वायरल हुआ था. जिसके बाद देशभर से इस मामले में प्रतिक्रिया देखने को मिली. विपक्षी दल भी इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. अब सवाल ये है कि आखिर मणिपुर में हो रही हिंसा के पीछे वजह क्या है जानें हमारी इस रिपोर्ट में.
ये भी पढ़ें: मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार ने SC में दाखिल किया हलफनामा, बर्बरता की जांच करेगी CBI
मणिपुर में हिंसक झड़प की वजह
मणिपुर में 3 मई को मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा शुरू हुई. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब का दर्जा दिया जाए. मणिपुर में तनाव तब और बढ़ गया जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय को आधिकारिक जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करना शुरू कर दिया. इसे लेकर कुकी समुदाय की तरफ से तर्क दिया गया कि इससे सरकार और समाज पर मैतेई समुदाय का प्रभाव और अधिक मजबूत होगा, जिससे उन्हें जमीन खरीदने या मुख्य रूप से कुकी क्षेत्रों में बसने की अनुमति मिल जाएगी.
सरकार पर लगा आरोप
कुकी समुदाय की तरफ से ये भी कहा गया कि मैतेई के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से छेड़ा गया नशीली दवाओं के खिलाफ अभियान उनके समुदाय को उखाड़ने का एक बहाना है. मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्य है. एक अनुमान के मुताबिक यहां 33 लाख लोग रहते हैं, जिसमें आधे से अधिक मैतेई समुदाय से हैं जबकि लगभग 43 फीसदी लोग कुकी और नगा समुदाय से संबंध रखते हैं. मणिपुर की सीमा म्यांमार से लगती है. म्यांमार से हो रहे अवैध प्रवासन ने तनाव को और बढ़ा दिया.
मैतेई मांग रहे जनजाति का दर्जा
मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाका पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.
ये है कानून
मणिपुर में एक कानून है जिसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में ना तो बस सकते हैं और ना ही जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मामला इस बात को लेकर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.
शांति बहाली के प्रयास
केंद्र सरकार ने मणिपुर में हो रही हिंसा की जांच के लिए 4 जून को एक आयोग का गठन किया था. आयोग की अध्यक्षता गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अजय लांबा कर रहे हैं. गृह मंत्रालय के मुताबिक, ये आयोग तीन मई और उसके बाद मणिपुर में हुई हिंसा और दंगों के कारणों की जांच करेगा. इसके बाद 10 जून को केंद्र सरकार ने मणिपुर में अलग-अलग जातीय समूहों के बीच शांति बनाने और समुदायों के बीच बातचीत शुरू करने के लिए राज्यपाल अनुसूइया उइके की अध्यक्षा में एक शांति समिति का गठन किया था.
नहीं सुधर रहे हालात
सरका की कोशिशों के अलावा मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए करीब 35 हजार सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है. तमाम कोशिशों के बाद भी सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. लगातार जारी हिंसा की वजह से आम लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ कहा है. अब तक हुई हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 3500 से अधिक लोग घायल हुए हैं. हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर का दौरा किया था. उनके निर्देश के बाद केंद्र ने मणिपुर में विस्थापित लोगों के लिए 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी थी.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
TMKOC के को-स्टार समय शाह को याद आई सोढ़ी की आखिरी बातचीत, डिप्रेशन की खबरों पर तोड़ी चुप्पी
-
The Lion King Prequel Trailer: डिज़्नी ने किया सिम्बा के पिता मुफासा की जर्नी का ऐलान, द लायन किंग प्रीक्वल का ट्रेलर लॉन्च
-
Priyanka Chopra: शूटिंग के बीच में प्रियंका चोपड़ा नेशेयर कर दी ऐसी सेल्फी, हो गई वायरल
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें