Maharashtra Politics: अजित पवार की दगाबाजी का केंद्र की राजनीति में भी दिखेगा असर, क्या साथ आएंगे ठाकरे ब्रदर्स?

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में हुए उलटफेर का सीधा असर जल्द ही केंद्र में भी देखने को मिल सकता है. यही नहीं अब महाराष्ट्र फॉर्मूले को बिहार और बंगाल में भारतीय जनता पार्टी एप्लाय कर सकती है.

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में हुए उलटफेर का सीधा असर जल्द ही केंद्र में भी देखने को मिल सकता है. यही नहीं अब महाराष्ट्र फॉर्मूले को बिहार और बंगाल में भारतीय जनता पार्टी एप्लाय कर सकती है.

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Dheeraj Sharma
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Maharashtra Political Crisis( Photo Credit : News Nation)

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में मचा सियासी घमासान पूरे देश में सुर्खियां बंटोर रहा है. लंबे वक्त से ये कयास लगाए जा रहे थे कि अजित पवार किसी भी वक्त बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इन अटकलों में कई बार खुद उन्होंने तो कभी पार्टी के दिग्गज नेताओं ने विराम लगाया, लेकिन जब सत्ता के गलियारों में कोई चिंगारी उठती है तो निश्चित रूप से कभी ना कभी बड़ी आग का रूप ले लेती है. अजित पवार ने आखिरकार इस चिंगारी को आग के रूप में बदल दिया और 2 जुलाई 2023 को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. इतना ही नहीं उन्होंने 6वीं बार बतौर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली. 

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बहरहाल ये जानकारी तो फिलहाल राजनीति में रुचि लेने वाले हर शख्स के पास होगी लेकिन महाराष्ट्र की इस घमासान का असर क्या केंद्र की राजनीति पर भी दिखने वाला है. या फिर लंबे वक्त से एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन चुके ठाकरे ब्रदर्स (उद्धव और राज) इस सियासी घमासान के बीच एक बार फिर साथ आएंगे. आइए इन सवालों के जवाबों को जानने की कोशिश करते हैं. 

महाराष्ट्र की सियासत का केंद्र में असर
दरअसल महाराष्ट्र की सियासत का असर केंद्र में दिखाई दे सकता है. इस बात की अटकलें इसलिए लगाई जा रही हैं क्योंकि एनसीपी नेताओं का मानना है कि अब प्रफुल्ल पटेल को जल्द ही केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है. दरअसल अजित पवार के एनडीए में शामिल होने के पीछे कई तरह की डील शामिल बताई जा रही हैं. सूत्रों की मानें तो इसी डील में से एक प्रफुल्ल पटेल को दिल्ली तक पहुंचाना भी है. 

हालांकि प्रफुल्ल पटेल की मानें तो अभी इसमें वक्त लग सकता है. उन्होंने ये भी कहा है कि इसका फैसला सभी मिलकर लेंगे. फिलहाल हमारा फोकस महाराष्ट्र की सियासत पर है. दिल्ली जाने पर आगे चर्चा होगी. उनके इस जवाब ने ये तो साफ कर दिया है केंद्र तक जाने का रास्ता भले ही थोड़ा लंबा है लेकिन रास्ता वही है. बस सही वक्त का इंतजार है. 

बीजेपी के साथ जाने पर क्या बोले प्रफुल्ल पटेल
प्रफुल्ल पटेल ने बीजेपी के साथ जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने साफ कहा है कि ये बहुमत के आधार पर लिया गया फैसला है. बता दें कि प्रफुल्ल पटेल का कद एनसीपी में कुछ कम नहीं था वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष थे. बहरहाल पटेल का कहना है कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अकेले अजित पवार का नहीं था इसमें बाकी विधायकों और नेताओं भी रजामंदी है. रही बात इस बारे में शीर्ष नेतृत्व से बात करने की तो पहले ही पार्टी में कई फैसले बिना चर्चा के लिए जा चुके हैं. 

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उन्होंने इस जवाब के साथ सीधा निशाना पार्टी चीफ शरद पवार पर साधा. पटेल ये भी कहा कि सिर्फ बीजेपी के पास नहीं गए हैं बल्कि बीजेपी भी हमारे पास आई है. हालांकि शिंदे की पावर कम होने के सवाल पर प्रफुल्ल पटेल बजते नजर आए हैं. लेकिन उनके केंद्र में जाने के मायने आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव की ओर इशारा कर रहे हैं. 

बीजेपी ना सिर्फ राज्य बल्कि आम चुनाव के अपने गणित को भी अभी साधने में जुटी है. यही वजह है कि जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव होने की संभावना नजर आ रही है. इसको लेकर बीते कुछ दिनों से अटकलों का बाजार भी गर्म है क्योंकि अब जो बदलाव होंगे वो पूरी तरह मिशन 2024 को ध्यान में रखते हुए होंगे. 

अन्य राज्यों भी चलेगा महाराष्ट्र फॉर्मूला

एक तरफ महाराष्ट्र में बीजेपी ने पहले शिवसेना फिर एनसीपी के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में लाकर राज्य और केंद्र दोनों को मजबूत करने का काम किया है वहीं दूसरी तरफ अब अन्य राज्यों में इसको लेकर कवायद तेज होती दिख रही है. बिहार और बंगाल दोनों ही राज्यों में अब यही फॉर्मूला रिपीट होने की बात सामने आ रही है. जेडीयू नेताओं ने हालांकि बिहार को लेकर इसे अफवाह बताया है लेकिन बंगाल में भी आने वाले दिनों में यही खेला देखा जा सकता है.  

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साथ आएंगे ठाकरे ब्रदर्स
महाराष्ट्र में उठा सियासी तूफान जहां पार्टियों को तोड़ने में जुटा है वहीं एक छोर ऐसा भी है जहां बिछड़ों के मिलने का आस भी बंध रही है. दरअसल अजित पवार को बागी तेवरों के बीच महाराष्ट्र की सड़कों पर एक पोस्टर तेजी से सोशल मीडिया में अपनी जगह बना रहा है. ये पोस्टर है उद्धव और राज ठाकरे को साथ आने की मांग का. पोस्टर के जरिए बालसाहेब ठाकरे के समर्थक ये चाहते हैं कि जल्द ही दोनों भाई एक हो जाएं और महाराष्ट्र की सियासत में अपना दखल बढ़ाएं. 

एकनाथ शिंदे के अलग होने और शिवसेना भी हाथ से जाने के बाद से ही उद्धव गुट काफी कमजोर नजर आ रहा है, ऐसे में ठाकरे ब्रदर्स को एक करने वाला पोस्टर राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर कर सकता है. इस पोस्टर में बीच में बालासाहेब ठाकरे और दोनों तरफ उद्धव और राज ठाकरे नजर आ रहे हैं. इस पोस्टर पर लिखा है कि राजसाहेब और उद्धव साहेब साथ आ जाओ, पूरा महाराष्ट्र आप दोनों की राह देख रहा है. अब देखना ये है एक दूसरे के धुर विरोधी रहे राज और उद्धव राजनीति में एक बार फिर हाथ मिलाते हैं तो इसका सीधा असर चुनाव और महाराष्ट्र की सियासत में देखने को मिलेगा.

HIGHLIGHTS

  • महाराष्ट्र के सियासी घमासान पर टिकी देशभर की निगाहें
  • मिशन 2024 से पहले केंद्र की सत्ता पर भी दिखेगा असर
  • एनसीपी नेताओं ने कई समझौतों के साथ थामा बीजेपी का दामन
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