Mission 2024 से पहले BJP के लिए सिरदर्द बनी यह चुनौती! इस सियासी गुणा-गणित से जीतेंगे लोकसभा का रण

साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत उतनी भी आसान नहीं है, जितनी नजर आ रही है. दरअसल इस आम चुनाव में पार्टी को विपक्ष से ज्यादा खुद के अंदर पनप रहे आत्मसंतुष्टि से मुकाबला करना होगा.

साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत उतनी भी आसान नहीं है, जितनी नजर आ रही है. दरअसल इस आम चुनाव में पार्टी को विपक्ष से ज्यादा खुद के अंदर पनप रहे आत्मसंतुष्टि से मुकाबला करना होगा.

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Sourabh Dubey
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lok_sabha_election( Photo Credit : news nation)

2024 का लोकसभा चुनाव दहलीज पर है, जिसे लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां जोरों-शोरों से तैयारियां कर रही है. इसी बीच इस साल यानि 2023 के अंतिम में हुए पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है. पार्टी ने हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों में प्रचंड बहुमत के साथ सियासी जंग जीती है. ऐसे में चुनावी पंडित लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, इसे भाजपा के लिए अनुकूल हवा के तौर पर देख रहे हैं. मगर यहां सवाल है कि क्या वाकई में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत तय है? 

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दरअसल 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले, विधानसभा चुनावों में भाजपा के इस बेहतरीन प्रदर्शन की पक्ष-विपक्ष में चर्चा बरकरार है. वहीं कई भाजपा समर्थक ये दावा कर रहे हैं कि, अब लोकसभा चुनावों में पार्टी को विजयरथ पर सवार होने से कोई नहीं रोक सकता है, मगर सही मायने में देखें तो ये वक्त संतुष्ट होने का नहीं है... इस खबर में हम इसे 3 मुख्य बिंदुओं में समझेंगे...

1. क्या वाकई लोकसभा चुनाव में भाजपा का जीतना तय?

एक्सपर्ट्स की मानें तो, साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत उतनी भी आसान नहीं है, जितनी नजर आ रही है. दरअसल इस आम चुनाव में पार्टी को विपक्ष से ज्यादा खुद के अंदर पनप रहे आत्मसंतुष्टि से मुकाबला करना होगा. पार्टी के अंदर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भारी अंतर से हासिल जीत के बदौलत उत्साह उफान पर है, लिहाजा इसी जोश को अपनी ताकत बनाकर आम चुनाव की तैयारी करनी होगी.

वहीं अगर जनता के मूड पर गौर करें, तो उन्हें एक ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए, जो लोकतांत्रिक दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे वरिष्ठ नेता हो. एक ऐसा नेता, जिसकी पहुंच वैश्विक हो, जो दूरदर्शी हो. ऐसे में अगले चुनाव में अगर राजनीतिक पार्टियों ने इस केमिस्ट्री को आंक लिया, तो फिर सिर्फ अंकगणित पर फोकस करना होगा, जिसके तहत पार्टी को चुनावी रण के लिए सही उम्मीदवार का चयन करना होगा. ऐसे में भाजपा के समक्ष लोकसभा में फतह इन दो बिंदुओं पर आधारित होगी. 

2. भाजपा के लिए ये है प्लस पॉइंट...

बीते कुछ सालों में हुए तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन अलग-अलग आंका गया है. कहीं बहुत ही शानदार तो कहीं काफी कमजोर, ऐसे में ये कहीं-न-कहीं लोकसभा में भाजपा की सियासी जंग पर असर डाल सकता है. मगर यहां ध्यान रहे कि, जनमत राष्ट्रीय चुनावों में अक्सर स्थानीय मुद्दों पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट करते हैं. इन चुनावों में अक्सर प्रधानमंत्री के करिश्मे का काफी महत्व रहता है, लिहाजा भाजपा के लिए ये एक प्लस पॉइंट है.

3. 2024 में कांग्रेस का क्या होगा?

2024 का चुनाव दृष्टिकोण के बलबुते लड़ा जाना है, जिसे जनता के सामने जाहिर करने में कांग्रेस का नेतृत्व काफी कमजोर नजर आता रहा है. अभी जनता देश के विकास और वैश्विक स्तर पर ऊंचे स्थान पर पहुंचने की आशा रखती है, आकांक्षी भारत का लक्ष्य रखती है, मगर कांग्रेस इस ठीक तरह से भुना नहीं पा रही, लिहाजा कांग्रेस के लिए 2024 में ये सबसे मुख्य चुनौती रह सकती है. 

Source : News Nation Bureau

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