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Hajj Yatra 2022 : दो साल बाद फिर रौनक, हज से जुड़ीं बेहद जरूरी बातें

इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक मुसलमानों की सबसे पवित्र हज यात्रा ( Hajj Yatra 2022 ) कोरोना काल ( Covid-19 Pandemic) में सांकेतिक तौर पर ही आयोजित हो पाई थी.

Updated on: 07 Jul 2022, 02:07 PM

highlights

  • कोरोना महामारी से पहले 2019 में 25 लाख लोग हज यात्रा में शामिल हुए थे
  • इस साल हज यात्रा में सिर्फ 10 लाख लोगों को शामिल होने की इजाजत दी गई
  • कुल 79,237 भारतीय यात्रियों को हज यात्रा में शामिल होने की इजाजत मिली है

नई दिल्ली:

इस्लाम मजहब ( Islam Religion) को मानने वालों के लिए इस साल की हज यात्रा ( Hajj Yatra 2022) आज सात जुलाई 2022 को शुरू हो गई है. मंगलवार 12 जुलाई को यह पूरी हो जाएगी. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक इस यात्रा के संपन्न होने की तारीख में बदलाव भी हो सकता है. इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक मुसलमानों की सबसे पवित्र हज यात्रा कोरोना काल ( Covid-19 Pandemic) में सांकेतिक तौर पर ही आयोजित हो पाई थी. वैश्विक महामारी की वजह से साल 2020 और 2021 में सिर्फ सऊदी अरब निवासियों को ही हज यात्रा पर जाने की इजाजत थी. 

दो साल बाद इस बार हज यात्रा फिर से पूरे शबाब पर है और दुनिया भर के हज यात्री इसमें शामिल हो रहे हैं. कोरोना महामारी से पहले 2019 में 25 लाख लोग हज यात्रा में शामिल हुए थे. इस साल हज यात्रा में सिर्फ 10 लाख लोगों को शामिल होने की इजाजत दी गई है. इनमें 8 लाख 50 हजार विदेशी नागरिक हैं. कुल 79,237 भारतीय यात्रियों को हज में शामिल होने की इजाजत मिली है. आइए, इस्लाम के पांच स्तंभों में एक हज यात्रा के इतिहास, महत्व, परंपरा और प्रक्रियाओं के बारे में कुछ बेहद जरूरी बातें जानने की कोशिश करते हैं. 

इस्लाम में 5 स्तंभ क्या हैं? 

इस्लाम में हर मुस्लिम के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है. इस्लाम में मान्यता है कि अल्लाह की मेहर या रहमत पाने के लिए जिंदगी में कम से कम एक बार हज यात्रा पर जाना बेहद जरूरी है. कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना इस्लाम में 5 स्तंभ हैं. मुसलमान नमाज और रोजे अदा करके अल्लाह की मेहर हसिल करता है. उसी तरह की अहमियत देते हुए हरेक मुसलमान हज यात्रा को पूरा करके मजहब का फर्ज अदा करता है. कहते हैं कि हज यात्रा करने से मुसलमान अपने जन्म को सफल मानता है.

मजहबी परंपराओं का पालन

इस्लाम के हर अनुयायी के लिए हज यात्रा को लेकर गहरी भावना जुड़ी होती है. पूरे दुनिया में फैले मुसलमान हज अदा करने के लिए सऊदी अरब के मक्का शहर में इकट्ठा होते हैं. वहां कई दिन तक रह कर अलग-अलग रीति-रिवाजों का पालन करते हैं. इन रिवाजों के मताबिक हज में पुरुष सफेद रंग का बिना सिला लिबास पहनते हैं. महिलाएं मुंह को छोड़कर पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनती हैं. इसे इहराम बांधना कहते हैं. हज यात्रियों को परफ्यूम लगाने, नाखून काटने या बाल और दाढ़ी काटने की मनाही होती है. इसके अलावा हज यात्रियों को आपस में बहस करने और झगड़ने पर भी पाबंदी होती है. 

हज के दौरान क्या होता है?

हज करने मक्का पहुंचे इस्लाम के अनुयायियों को सबसे पहले नमाज पढ़कर फिर द सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच काबा शरीफ के चारों ओर सात बार घूमना (तवाफ करना) होता है. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. दुनिया भर के मुसलमान इस इमारत की ओर मुंह करके ही नमाज पढ़ते हैं. हज यात्रा के दौरान दूसरा और सबसे चर्चित रस्म शैतान को पत्थर मारना है.  मुस्लिमों के सबसे बड़े मजहबी स्थल सऊदी अरब के मक्का के पास स्थित रमीज मारात में हज यात्रा के दौरान शैतान को पत्थर मारने की रस्म आज भी जारी है. 

क्यों होती है शैतान पर पत्थरबाजी?

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक हजरत इब्राहीम ने खुदा का हुक्म मानते हुए अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का फैसला कर लिया था. तब शैतान उन्हें बरगलाने की कोशिश कर रहा था कि वह खुदा का हुक्म न मानें. इसलिए आज भी हज के मौके पर शैतान को पत्थर मारने की रस्म चली आ रही है. शैतान को पहला पत्थर मारने के बाद बकरीद के त्योहार पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. इसके बाद हज पूरा हो जाता है. इस साल ईद उल अदहा ( बकरीद ) 9 या 10 जुलाई को मनाया जाने वाला है.

हज के बाद क्या होता है

इस्‍लामिक कैलेंडर के 12वें महीने धुल हिज्‍जा में हज यात्रा की जाती है. धुल हिज्‍जा महीने के 8वीं तारीख से हज यात्रा शुरू होती है और 10वीं तारीख को बकरीद मनाई जाती है. हज यात्रा पूरी होने के बाद पुरुष यात्री अपने बाल-दाढ़ी बनवाते हैं. वहीं, महिलाएं नाखून काटवाती हैं और अपने बाल छोटे करवाती हैं. इसके बाद हज यात्री काबा (मक्का ) से जमजम का पानी, खजूर, सुलेमानी इत्र वगैरह यादगारी के तौर पर लेकर वापस लौटते हैं. हज से लौटने वालों के लिए बाकी मुसलमानों के बीच इज्जत और बढ़ जाती है. उन्हें हाजी का दर्जा दिया जाता है.

सऊदी अरब की गाइडलाइन 

इस बार सऊदी अरब प्रशासन ने हज यात्रियों के लिए कोविड-19 से सुरक्षा के मद्देनजर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. उसके अनुसार, हज के लिए सऊदी अरब के मक्का की यात्रा करने वालों की उम्र 65 साल से कम होनी चाहिए. कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लिए होने के साथ-साथ सऊदी अरब में प्रवेश के 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखानी भी अनिवार्य है. इसके अलावा फेसमास्‍क लगाए रखना भी जरूरी है. 

महिलाओं के हज यात्रा के लिए भी सऊदी अरब ने नियम बनाए हैं. अगर कोई महिला बिना किसी पुरुष रिश्तेदार के हज यात्रा करना चाहती है तो उसकी उम्र 45 साल से अधिक होनी चाहिए. साथ ही महिला को चार अन्य महिलाओं का साथ होना जरूरी है. उनकी उम्र भी 45 से अधिक होनी चाहिए.

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बिना परमिट 300 हज यात्री गिरफ्तार

कोरोना महामारी के बाद शुरू हज यात्रा को लेकर खाड़ी देश ने पहले ही कह दिया था कि बिना परमिट वाले यात्रियों को गिरफ्तार कर जुर्माना लगाया जाएगा. इसके बाद सऊदी अधिकारियों ने बिना परमिट के हज करने की कोशिश करते हुए लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन सभी पर जुर्माना लगाया गया है. हज सुरक्षा के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अल-बसामी ने कहा कि 288 नागरिकों और निवासियों को हज नियमों का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया गया है. नियम तोड़ने पर हरेक पर 10 हजार सऊदी रियाल ( लगभग 2 लाख 10 हजार रुपए) का जुर्माना लगाया गया है.