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Karnataka Elections: 'बगावत की महाभारत' रोकने बीजेपी हाई कमान ने 'विदुर' को सौंपा जिम्मा

येदियुरप्पा को पार्टी में विद्रोह को और अधिक गंभीर मोड़ लेने से पहले रोकने के लिए कहा गया है. इसकी वजह यह है कि बीएसवाय के बगावती तेवर अपनाए नेताओं से अच्छे संबंध हैं.

Updated on: 14 Apr 2023, 09:49 AM

highlights

  • अब तक कर्नाटक बीजेपी ने इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया विद्रोह का सामना
  • पूर्व सीएम शेट्टार समेत पांच वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने संभाली विद्रोह की कमान
  • नड्डा ने कर्नाटक बीजेपी के 'विदुर' बीएस येदियुरप्पा से मोर्चा संभालने को कहा

नई दिल्ली:

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में (Karnataka Assembly Elections 2023) में टिकट बंटवारे मसले पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में विद्रोह की चिंगारी और भड़क रही है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट के बाद तीन और मौजूदा विधायकों क्रमशः एमपी कुमारस्वामी, नेहरू ओलेकर और गोलीहट्टी शेखर ने अपना इस्तीफा दे दिया. बुधवार देर रात जारी बीजेपी के 23 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में उनके समेत आधा दर्जन मौजूदा विधायकों के नाम नहीं थे. 189 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होते ही पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ दी थी. टिकट कटने से बीजेपी के कद्दावर क्षत्रपों में नाराजगी पैदा कर दी है. यह तब है जब भाजपा राज्य में सत्ता विरोधी लहर (Anti Incumbency) का सामना कर रही है और इसे मात देने के लिए पार्टी ने 52 नए चेहरों की घोषणा की है. हालांकि मौजूदा विधायकों के टिकट कटने से विद्रोह भी बढ़ता जा रहा है. भगवा पार्टी ने अभी तक 212 नामों की घोषणा की है. इनमें से 20-30 विधानसभा सीटों पर बगावत मुखर है. ऐसे में दिग्गजों में बढ़ते असंतोष और निर्दलीय प्रत्याशी बतौर कर्नाटक चुनाव (Karnataka Elections 2023) लड़ने की धमकियों के बीच भाजपा आलाकमान को राज्य इकाई में अपने संकटमोचक बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) की सहायता लेने के लिए मजबूर किया है. कहा जा रहा है कि महाभारत की तरह जहां 'विदुर' पांडवों और कौरवों दोनों के लिए मार्गदर्शक और परामर्शदाता रहे हैं, वैसे ही येदियुरप्पा को पार्टी में विद्रोह को और अधिक गंभीर मोड़ लेने से पहले रोकने के लिए कहा गया है. इसकी वजह यह है कि बीएसवाय के बगावती तेवर अपनाए नेताओं से अच्छे संबंध हैं.

बेटिकट नेताओं ने अपनों पर ही फोड़ा ठीकरा
टिकट बंटवारे को लेकर बढ़ते विद्रोह पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलुरु में कहा, 'मैं और आलाकमान असंतुष्ट उम्मीदवारों से बात कर रहे हैं और जल्द से जल्द चीजों को सुलझा लिया जाएगा.' हालांकि विद्रोही कछ सुनने को तैयार नहीं हैं और सूची से नाम कटने के लिए भाजपा के कर्नाटक नेताओं को दोषी ठहरा रहे हैं. तीन बार के विधायक कुमारस्वामी का आरोप है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि की वजह से मुदिगेरे सीट से उनका टिकट काट दिया गया. ऐसी अटकलें हैं कि कुमारस्वामी, जो कि एक दलित या तो जद (एस) में शामिल होंगे या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. ओलेकर ने बोम्मई पर अपनी सीट हावेरी से टिकट नहीं मिलने का आरोप लगाया. उन्होंने हाल ही में हावेरी में शुरू की गई 1500 करोड़ रुपये की ड्रिप सिंचाई परियोजना में बोम्मई पर रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया. इस पर बोम्मई ने जवाब दिया, 'नेहरू ओलेकर को कोई भी आरोप लगाने दें, लेकिन उन्हें सबूत के साथ ऐसा करना चाहिए. उन्हें अपने आरोपों को सही ठहराने के लिए दस्तावेज देने दें.' शेखर ने कहा कि वह अपनी सीट होसदुर्गा से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या पूर्व भाजपा मंत्री और खनन कारोबारी जी जनार्दन रेड्डी की पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष में शामिल होंगे.

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कर्नाटक बीजेपी में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर विद्रोह
बीजेपी ने अब तक कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में से 212 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है और 20 से 30 सीटों पर बगावत का सामना कर रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि बागी इन सीटों में से केवल 7-8 सीटों पर बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हालांकि ये सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि बीजेपी ने कभी भी राज्य में साधारण बहुमत यानी 113 सीटें हासिल नहीं की है. टिकट नहीं मिलने पर खफा होना कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन यह शायद पहली बार है जब कर्नाटक बीजेपी को इतने बड़े पैमाने पर विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी ने 18 मौजूदा विधायकों के अलावा दो एमएलसी और एक दर्जन से अधिक पूर्व विधायकों को टिकट देने से इंकार कर दिया है. उनमें से प्रमुख हैं लक्ष्मण सावदी (अथानी), केएस ईश्वरप्पा (शिवमोग्गा), एमपी कुमारस्वामी (मुदिगेरे), एस रवींद्रनाथ (तुमकुरु शहर), आर शंकर (रानेबेन्नूर), और नेहरू ओलेकर (हावेरी),  जबकि ईश्वरप्पा के बेटे को टिकट मिल सकता है. अधिकांश विद्रोहियों ने अब विपक्षी दलों में जाने या निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की धमकी दी है.

जेपी नड्डा ने खुद येदियुरप्पा से बगावत शांत करने के लिए की बात
बुधवार को जारी की गई दूसरी सूची से भी भाजपा के छह विधायकों के बाहर होने के बाद येदियुरप्पा की भूमिका पार्टी में संभावित विद्रोह को शांत करने के लिए और अधिक प्रासंगिक होगी. पता चला है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीएसवाई के साथ टेलीफोन पर बातचीत में कर्नाटक भाजपा में संभावित विद्रोह को शांत करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की है. येदियुरप्पा को उन सभी असंतुष्ट नेताओं के साथ एक-एक बैठक करने के लिए कहा गया था, जिन्हें टिकट से वंचित किया गया और जिन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने या पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने की धमकी दी. सूत्रों के मुताबिक नड्डा ने इस बात पर जोर दिया था कि मौजूदा संकट का समाधान बीएसवाई ही कर सकते हैं, जिनके बागी बीजेपी नेताओं से अच्छे संबंध हैं. बताया जा रहा है कि बीएसवाई ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को आश्वासन दिया है कि वह विद्रोही समस्या को हल करने में अपना सारा ध्यान और ऊर्जा लगा देंगे. कर्नाटक बीजेपी के पांच वरिष्ठ नेताओं क्रमशः पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, पूर्व उपमुख्यमंत्रियों केएस ईश्वरप्पा और लक्ष्मण सावदी, पूर्व मत्स्य और बंदरगाह मंत्री एस अंगारा और उडुपी से तीन बार के विधायक रघुपति भट के गुस्से और अत्यधिक निराशा जाहिर करने के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बीएसवाई के संपर्क में आया. पार्टी द्वारा बेंगलुरु दक्षिण जिले के अध्यक्ष एनआर रमेश को टिकट से वंचित किए जाने के विरोध में बेंगलुरु में भाजपा की विभिन्न स्थानीय इकाइयों के 1,200 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है.

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कर्नाटक बीजेपी के लिए बड़ा खतरा है शेट्टार
बीजेपी के लिए सबसे बड़ा खतरा जगदीश शेट्टार हैं, जो इस सीट पर छह बार जीत चुके हैं. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री को नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. बैठक के बाद शेट्टार ने कहा कि वह उम्मीद में हैं, लेकिन भाजपा ने अभी तक हुबली-धारवाड़ केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवार के नाम पर फैसला नहीं किया है, जहां से वह मौजूदा विधायक हैं. 189 उम्मीदवारों की पहली सूची में शेट्टार का निर्वाचन क्षेत्र शामिल नहीं था, लेकिन 11 अप्रैल को शेट्टार ने मीडिया ब्रीफिंग में खुलासा किया कि उन्हें पार्टी से एक फोन आया था जिसमें उन्हें आगामी चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा गया था. पार्टी सूत्रों के अनुसार येदियुरप्पा ने भी सिफारिश की थी कि शेट्टार को टिकट दिया जाए, क्योंकि वह एक प्रभावशाली लिंगायत नेता हैं. शेट्टार ऐसा नहीं होने पर हुबली-धारवाड़ क्षेत्र और उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों में एक समस्या बन सकते हैं, जहां समुदाय का वर्चस्व है और यह काफी हद तक भाजपा का गढ़ है. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में येदियुरप्पा ने उम्मीद जताई है कि 99 प्रतिशत जगदीश शेट्टार को टिकट दिया जाएगा.