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कौन हैं 50वें CJI डीवाई चंद्रचूड़, 2 बार पलट चुके हैं अपने ही पिता का फैसला

Justice DY Chandrachud Overturned His Fathers Judgments Twice: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें सीजेआई बन चुके हैं. वो अपने फैसलों को लेकर अच्छी खासी चर्चा बटोरते रहे हैं. अयोध्या टाइटल सूट (Ayodhya Title Suit) से लेकर अडल्टरी केस...

Updated on: 09 Nov 2022, 02:52 PM

highlights

  • जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें सीजेआई
  • पिता के फैसले को भी पलट चुके हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
  • Justice YV Chandrachud थे देश के 16वें सीजेआई

नई दिल्ली:

Justice DY Chandrachud Overturned His Fathers Judgments Twice: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के 50वें सीजेआई बन चुके हैं. वो अपने फैसलों को लेकर अच्छी खासी चर्चा बटोरते रहे हैं. अयोध्या टाइटल सूट (Ayodhya Title Suit) से लेकर अडल्टरी केस समेत तमाम मामलों की वो सुनवाई कर चुके हैं. उनकी टिप्पणियां चर्चा के केंद्र में रही हैं. चाहे वो राइट टू प्राइवेसी (Right to Privacy) का मामला हो, या अडल्टरी का. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) कई बार लीक से हटकर फैसले भी करते हैं. यहां तक कि वो दो बार अपने ही पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Justice YV Chandrachud) के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) में रहते हुए पलट चुके हैं, जो खुद देश के 16वें सीजेआई रहे थे.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के चर्चित फैसले

अयोध्या टाइटल सूट: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस मामले की सुनवाई करने वाली 5 जजों की बेंच में शामिल थे. ये फैसला 9 नवंबर 2019 को आया था, जिसमें अयोध्या की विवादित भूमि रामलला को देने की बात कही गई थी, साथ ही मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन दिये जाने का फैसला किया गया था. उस बेंच की अगुवाई तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई कर रहे थे. जिसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए बोबले शामिल थे. 

निजता का अधिकार: अगस्त 2019 को 9 जजों की सबसे बड़ी पीठ ने फैसला सुनाया था कि भारत देश का संविधान निजता के अधिकार की गारंटी देता है. इस फैसले का अधिकतर हिस्सा जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही लिखा था. 

गर्भपात का अधिकार: इस साल सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सुरक्षित और कानूनी तौर पर गर्भपात विवाहित महिलाओं के साथ ही अविवाहित महिलाओं का भी अधिकार है. सिर्फ इस आधार पर किसी महिला को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, कि वो अविवाहित है. 

दो मामलों में पिता के फैसले को पलट चुके हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

अडल्टरी कानून: जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ उनके पिता था. उन्होंने सेक्शन 497 को लेकर 33 साल पहले फैसला दिया था, जिसमें अडल्टरी को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था. लेकिन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उनके फैसले को पलट दिया और धारा 497 को नुल घोषित कर दिया. उन्होंने उस कानून को पुरुषवाद का प्रतीक बताया. 

राइट टू प्राइवेसी: राइट टू प्राइवेसी के मामले में भी जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पिता के फैसले को पलट दिया. उनके पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के फैसले को कानून की नजर में सही नहीं माना जाता था. लेकिन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पास जब ऐसा ही मामला पहुंचा, तो उन्होंने इमरजेंसी के दौरान 1976 में दिए गए अपने पिता के फैसले को पलट दिया और राइट टू प्राइवेसी को संवैधानिक अधिकार माना.