India Canada: भारत-जर्मनी ने मिलकर कर दिया बड़ा खेला, कनाडा को लगा कई सौ करोड़ का झटका, ट्रूडो ने पकड़ा माथा!

India Canada: कनाडा को भारत से पंगा लेना महंगा पड़ सकता है. एसडीएस वीजा स्कीम बंद कर उसके करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. आइए जानते हैं कि इस मामले में जर्मनी ने भारत का साथ कैसे दिया.

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Ajay Bhartia
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India Canada: भारत-जर्मनी ने मिलकर कर दिया बड़ा खेला, कनाडा को लगा कई सौ करोड़ का झटका, ट्रूडो ने पकड़ा माथा!

India Canada: भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव चल रहा है. कनाडा ने भारत को झटका देने की कोशिश की थी, लेकिन अब उसका ये दांव उल्टा पड़ गया है. जर्मनी ने भारत का साथ देकर कनाडा के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. दरअसल, कनाडा ने हाल ही में भारतीय छात्रों के लिए स्टूडेंट डायरेक्ट स्कीम (SDS) वीजा स्कीम को खत्म कर दिया था, लेकिन जर्मनी ने भारतीय छात्रों और कामगारों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. इससे कनाडा को करीब 400 करोड़ रुपये का झटका लगेगा. यही वजह है कि कनाडाई PM जस्टिन ट्रू़डो ने माथा पकड़ लिया है.

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क्या थी कनाडा की SDS वीजा स्कीम

ट्रूडो सरकार ने SDS वीजा स्कीम इसलिए लॉन्च की थी ताकि उन भारतीय छात्रों को जल्दी वीजा मिल सके जो कनाडा में पढ़ाई करना चाहते थे. हर साल लाखों भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई करने के लिए जाते थे, जिससे ना केवल उनकी पूरी पढ़ाई होती थी बल्कि उन्हें वहां की कंपनियों में अच्छी सैलरी वाली नौकरियां भी मिलती थी, लेकिन अब कनाडा ने ये स्कीम खत्म कर दी. भारतीय छात्रों को अब वीजा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा जिससे उनकी पढ़ाई में देरी हो सकती है. 

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कनाडा को ₹400 करोड़ का नुकसान कैसे?

SDS वीजा स्कीम के चलते हर साल लाखों भारतीय छात्र कनाडा पढ़ने के लिए जाते थे. इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होता था. एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल केवल छात्रों से कनाडा को लगभग 4.4 बिलियन डॉलर (मौजूदा करेंसी रेट के अनुसार लगभग 371 करोड़ रुपये अधिक) की कमाई होती है. हालांकि, कनाडा ने अब इस स्कीम को खत्म कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है, क्योंकि इस फैसले के बाद भारतीय छात्रों ने कनाडा की बजाय यूरोपी देशों और ऑस्ट्रेलिया का रुख करना शुरू कर दिया है.

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जर्मनी ने उड़ाए कनाड़ा के होश

जर्मनी ने इसमें बड़ा अवसर देखा. उसने भारत का साथ दिया और मौके का फायदा उठाते हुए भारतीय छात्रों और कुशल श्रमिकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए. जर्मनी ने अब भारतीय कुशल श्रमिकों के लिए हर साल वीजा लिमिट को 90 हजार तक बढ़ा दिया है. जर्मनी के इस कदम से एक तरह भारत के साथ उसके रिश्ते मजबूत होंगे. वहीं उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, क्योंकि वहां युवा कामगारों की बेहद जरूरत है. बता दें कि जर्मनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

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