खुद की देखभाल शुरू करने के लिए उम्र बाधा नहीं : मनीषा कोइराला
मरने के बाद 1 घंटे तक आत्मा के साथ होती है ये चीजें, जानकर उड़ जाएगी रातों की नींद
आरबीआई ने गोल्ड लोन-टू-वैल्यू रेश्यो को बढ़ाकर 85 प्रतिशत किया
सनी कौशल का पंजाबी रैप सॉन्ग 'मिड एयर फ्रीवर्स' रिलीज, कहा- 'गाने के हर एक शब्द में छिपे हैं इमोशन्स'
बच्चों की तस्करी के खिलाफ NCPCR ने चलाया अभियान, 32 बच्चों को किया गया रेस्क्यू
पिछले 11 वर्षों में 10 हजार अटल टिंकरिंग लैब्स स्कूलों में इनोवेशन को दे रहे हैं बढ़ावा : निर्मला सीतारमण
वेव्स 'देशी' ओटीटी प्लेटफॉर्म, परिवार संग देख सकेंगे कंटेंट : प्रसार भारती बोर्ड चेयरमैन नवनीत सहगल
वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए बड़ी पहल, किरेन रिजिजू ने लॉन्च किया ‘उम्मीद’ पोर्टल
Breaking News: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को मिली जान से मारने की धमकी, इस शहर से आया फोन

Green Crackers की पहचान, Google Playstore से डाउनलोड करें ये APP

ग्रीन पटाखों की रासायनिक पहचान सीएसआईआर नीरी लोगों के माध्यम से की जा सकती है.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
green crackers

ग्रीन क्रैकर्स( Photo Credit : NewsNation)

दीपावली के दिन देश भर में पटाखे फोड़ने से वायुमंडल को बहुत नुकसान होता है. इधर कुछ वर्षों से हरे पटाखे (Green Crackers) का नाम सुनने को मिल रहा है. कहा जाता है कि हरे पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम पर्यावरण प्रदूषण करते हैं. इसलिए ग्रीन क्रैकर्स को दिवाली के मौके पर फोड़ा जा सकता है. लेकिन चंडीगढ़ पीजीआई के डॉ रवींद्र खैवाल और डॉ सुमन मोर का कहना है कि ग्रीन क्रैकर्स भी पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि हम कम प्रदूषण करने वाले पटाखों की पहचान कैसे करें. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के अनुसार, ग्रीन पटाखों की अनुमति केवल उन शहरों और कस्बों में दी जाती है, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम या खराब होती है. 

Advertisment

हरे पटाखों और पारंपरिक पटाखों में क्या अंतर है?

हरे पटाखे (green crackers) और पारंपरिक पटाखे (traditional crackers) दोनों ही प्रदूषण को प्रदूषित करते हैं और लोगों को इसका उपयोग करने से बचना चाहिए. फर्क सिर्फ इतना है कि पारंपरिक पटाखों की तुलना में हरे पटाखों से 30 फीसदी कम वायु प्रदूषण होता है. “हरे पटाखे उत्सर्जन को काफी हद तक कम करते हैं और धूल को अवशोषित करते हैं और इसमें बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते हैं. पारंपरिक पटाखों में जहरीली धातुओं को कम खतरनाक यौगिकों से बदल दिया जाता है.” 

डॉ. खैवाल और प्रो. मोर ने कहा कि केवल इन तीन श्रेणियों- SWAS, SAFAL और STAR: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा विकसित पटाखे में हरे पटाखों की तलाश करनी चाहिए. प्रोफेसर मोर ने कहा, "एसडब्ल्यूएएस, यानी "सुरक्षित पानी रिलीजर" में एक छोटी पानी की जेब / बूंदें होनी चाहिए जो फटने पर वाष्प के रूप में निकल जाती हैं.

“एसडब्ल्यूएएस सुरक्षित जल रिलीजर है, जो हवा में जल वाष्प को छोड़ कर निकलने वाली धूल को दबा देता है. इसमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल नहीं है और निकलने वाले कण धूल लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे. 

इसी तरह, स्टार सुरक्षित थर्माइट पटाखा है, जिसमें पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल नहीं है, कम कण निपटान और कम ध्वनि तीव्रता का उत्सर्जन करता है. SAFALसुरक्षित न्यूनतम एल्यूमीनियम है जिसमें एल्यूमीनियम का न्यूनतम उपयोग होता है, और इसके बजाय मैग्नीशियम का उपयोग किया जाता है. यह पारंपरिक पटाखों की तुलना में ध्वनि में कमी सुनिश्चित करता है.  ग्रीन पटाखे केवल लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं से ही खरीदना चाहिए. स्ट्रीट वेंडर्स से पटाखे नहीं खरीदना चाहिए. 

ग्रीन पटाखों की घर बैठे करें पहचान

ग्रीन पटाखों की रासायनिक पहचान सीएसआईआर नीरी लोगो के माध्यम से की जा सकती है. Google Playstore से CSIR NEERI ग्रीन क्यूआर कोड ऐप का उपयोग करके स्कैनर को डाउनलोड किया जा सकता है. 

HIGHLIGHTS

  • ग्रीन पटाखों की पहचान सीएसआईआर नीरी लोगो से की जा सकती है
  • पारंपरिक पटाखे प्रदूषण का कारण बनते हैं
  • ग्रीन क्रैकर्स कम प्रदूषण करते हैं

Source : Pradeep Singh

traditional crackers national green tribunal Green Crackers emission of sound deepawali 2022
      
Advertisment