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तिरंगे का कितना होता है आकार, जानें राष्ट्रध्वज को बनाने और लगाने के नियम 

समय-समय पर सरकारों ने राष्ट्रध्वज को लेकर नियम-कायदे जारी किए हैं. जिन्हें मानना हर नागरिक के लिए अनिवार्य है.

Updated on: 04 Aug 2022, 06:01 PM

highlights

  • 15 अगस्त, 2022 को देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे
  • तिरंगा हाथ से बुने हुए सूत, रेशम और ऊन की खादी पट्टी से ही बनता है
  • पद और स्थान के अनुसार राष्ट्रध्वज का आकार भी तय होता है

 

नई दिल्ली:

पंद्रह अगस्त को देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे. इस वर्ष देश 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 15 अगस्त, 2022 को देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे. आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में भारत सरकार "आजादी का अमृत महोत्सव " मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी ने आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में 'हर घर तिंरगा' अभियान शुरू किया है. उन्होंने हर नागरिक से अपील की है कि वे अपने फेसबुक औऱ ट्वीटर प्रोफाइल पर तिरंगा लगाए. हर नागरिक से यह भी अपील है कि वे अपने घरों पर भी तिरंगा ध्वज लगाए.

सोशल मीडिया पर भी राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. युवाओं में तिरंगे को लेकर उत्साह और जुनून साफ देखा जा सकता है. अगस्त का महीना आते ही फिजाओं में आजादी की महक घुल जाती है. आजादी के लिए वो संघर्ष, वो आंदोलन और अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरें तोड़ने की वो जद्दोजहद हम सभी को फिर से याद आने लगती है. आजादी की जंग और उसके बाद आजादी को बनाए रखने में राष्ट्रध्वज यानी तिरंगे  का भी बड़ा योगदान है. ऐसे में हम आज तिरंगे की कहानी को बताते हैं. 

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आजादी के पहले देश के सरकारी इमारतों पर इग्लैंड का झंडा-यूनियन जैक फहराता था. तब भारतीयों को तिरंगा रखने पर सजा हो जाती थी. इसी तिरंगे की खातिर हमारे देश के हजारों सपूत हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे और इसी तिरंगे की शान की खातिर भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया. इसी तिरंगे को फहराकर पंडित जवाहर लाल नेहरू15 अगस्त 1947 को देशवासियों को गुलामी के युग से आजादी के नए सवेरे में लेकर आए थे. आज तिरंगा हमारे फौजियों की आन-बान और शान है. इसी तिरंगे के लिए वह अपनी जान की बाजी लगाने से भी परहेज नहीं करते. इसी तिरंगे को लहराकर खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी गर्व से सीना चौड़ा करते हैं. तिरंगा हर भारतीय का गर्व है. हर भारतीय तिरंगे को धारण करना चाहता है. लेकिन तिरंगे को धारण करने के कुछ नियम हैं, जो हम सभी को मानने जरूरी हैं.

राष्ट्रध्वज को लेकर नियम-कायदे

समय-समय पर सरकारों ने राष्ट्रध्वज को लेकर नियम-कायदे जारी किए हैं. जिन्हें मानना हर नागरिक के लिए  अनिवार्य है. इसके अलावा राष्ट्रध्वज एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के तहत राष्ट्रध्वज के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जाता रहा है. इस तरह के सभी कानूनों, दिशा-निर्देशों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने की एक कोशिश फ्लैग कोड 2002 है. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 को साल 2002 में 26 फरवरी से देशभर में लागू कर दिया गया और इससे पहले के सभी फ्लैग कोड स्वत: निरस्त हो गए.

कैसे बनता है तिरंगा

तिरंगा तीन आयताकार हिस्सों से मिलकर बना है. इन तीन रंग के आयतों की लंबाई-चौड़ाई बिल्कुल बराबर है. राष्ट्रध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है. इसमें सबसे नीचे का आयत हरे रंग का और दोनों के बीच सफेद रंग का आयत है. तिरंगे के बीचों-बीच सफेद रंग के आयत में नीले रंग में अशोक चक्र है. इस चक्र में बराबर दूरी और एक ही डिजाइन की 24 तीलियां हैं. 

राष्ट्रध्वज में किस कपड़ें का होता है उपयोग

भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा हाथ से बुने हुए सूत, रेशम और ऊन की खादी पट्टी से बना होता है. भारत के राष्ट्रध्वज की लंबाई-चौड़ाई की बात करें तो यह हमेशा 3:2 में होता है. इसका मतलब यह कि अगर लंबाई 3 इंच है तो चौड़ाई 2 इंच ही होगी. 

ओहदे के अनुसार कार पर लगे झंडे का आकार  

व्यक्ति के पद और वह किस स्थान पर है, इसी के अनुसार राष्ट्रध्वज का आकार भी तय होता है. देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों के जज, तीनों सेनाओं के अध्यक्ष, राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री आदि VVIP की लिस्ट में आते हैं. हालांकि, यह लिस्ट और भी बड़ी हो सकती है.