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स्टॉक प्राइस को कैसे प्रभावित करते हैं जियो-पॉलिटिकल इवेंट, 5 प्वॉइंट में समझिए, कभी नहीं डूबेगा पैसा!

Stock Prices: 5 प्वॉइट में समझते हैं कि जियो-पॉलिटिकल इवेंट कैसे स्टॉक प्राइस को प्रभावित करते हैं. इसके बाद निवेशक के रूप में आपका पैसा कभी नहीं डूबेगा.

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Ajay Bhartia
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Stock Prices and Geopolitical Events

स्टॉक प्राइस को कैसे प्रभावित करते हैं जियो-पॉलिटिकल इवेंट, 5 प्वॉइंट में समझिए, कभी नहीं डूबेगा पैसा!

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Stock Prices and Geopolitical Events: शेयर मार्केट में निवेश करने को लेकर युवाओं में क्रेज बढ़ता ही जा रहा है. मगर उनके मन में एक बड़ा सवाल रहता है कि कंपनी की परफॉर्मेंस उसके शेयर की कीमतों पर कैसे असर डालती है. हालांकि, ये सिर्फ एक शुरुआती पहलू है, क्योंकि वैश्विक और स्थानीय घटनाएं, राजनीतिक तनाव, इंटरनेशनल स्टॉक मार्केट और युद्ध जैसी स्थितियां भी शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण बनती हैं. ऐसे में 5 प्वॉइट में समझते हैं कि जियो-पॉलिटिकल इवेंट कैसे स्टॉक प्राइस को प्रभावित करते हैं. इसके बाद निवेशक के रूप में आपका पैसा कभी नहीं डूबेगा, क्योंकि खबर केवल सूचना नहीं होती है, वो शक्ति होती है, जो आपको विपरित सिचुएशन से निपटने में मदद करती है.

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1. व्यापार युद्धों का प्रभाव (Impact of trade wars)

जब एक देश का तनाव दूसरे देश से होता है, तो वो एक-दूसरे के आयात पर शुल्क या प्रतिबंध लगाते हैं. अक्सर ये प्रतिबंध अपनी नीतियों को मनवाने के लिए लगाए जाते हैं. इसकी को व्यापार युद्ध यानी ट्रेड वॉर कहा जाता है. उदाहरण के लिए अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और अमेरिका-रूस ट्रेड वॉर आदि. भले ही इनमें भारत की भूमिका नहीं है, लेकिन इसके असर से वो अछूता नहीं रह सकता है, जिसका अप्रत्यक्ष रूप से इंडियन कंपनियों और फिर उनके स्टॉक प्राइस पर प्रभाव पड़ता है.

आइए ये सब कैसे होता है इसे समझते हैं. दरअसल, व्यापार में सबकुछ एक चेन की कड़ियों होता है. अगर एक कड़ी प्रभावित होती है, जो स्वाभिक रूप से उसका असर अन्य पर पड़ेगा. हर भारतीय कंपनी को फिनिश्ड गुड (तैयार उत्पादों) के लिए कच्चे माल की जरूरत होती है. ट्रेड वॉर के चलते उसको हाई टैरिफ का भुगतान करना पड़ता है. ऐसे में उसके लिए कच्चे माल का आयात शुल्क बढ़ जाएगा. जब कच्चा माल ही महंगा मिलेगा, तो स्वाभिक रूप से तैयार उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे. 

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मुश्किल तो तब और बढ़ जाती है जब कंपनी इन फिनिश्ड गुड्स को बाहर बेचती हो ती भी उनसे हाई टैरिफ लिया जाता है. ऐसे में कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है, इसलिए निवेशकों को कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन के बारे में चिंता हो सकती है, जिससे उसके शेयर की कीमत में गिरावट आ सकती है. ऐसी सूरत में निवेशक उस कंपनी के स्टॉक को खरीदने में कम दिलचस्पी दिखाएंगे. ये भी हो सकता है कि वो अपने पास मौजूद शेयरों को भी बेच दें.  

2. राजनीतिक अस्थिरता पर प्रभाव (Impact on political instability)

राजनीतिक अस्थिरता और अशांति (फिर चाहे अपने देश में हो गया फिर अन्य किसी देश में) को भी शेयर मार्केट पसंद नहीं करता है. नई सरकार क्या नीतियां लाती है, उसको लेकर निवेशकों के मन में भी अनिश्चितता का भाव रहता है. उदाहरण के लिए, अगर नई सरकार कॉर्पोरेट टैक्सों को बढ़ा दे या फिर नियमों को शख्त कर दे, तो कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है. ये संकेत बिकवाली का कारण बन सकते हैं, क्योंकि निवेशकों में अपना पैसा डूबने से बचाने की होड़ मच जाती है. इसका असर कंपनी के स्टॉक की कीमतों पर भी पर गिरावट के रूप में पड़ता है. 

3. मुद्रा में उतार-चढ़ाव (Currency fluctuations)

जियो-पॉलिटिकल इवेंट्स अक्सर करेंसी एक्सचेंज रेट्स (Currency Exchange Rates) में उतार-चढ़ाव का कारण बनती हैं, जो भारतीय कंपनियों को काफी प्रभावित कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, किसी संघर्ष या फिर राजनीतिक तनाव की वजह से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो आयातित कच्चे माल पर निर्भर कंपनियों को अधिक कीमत पर कच्चा माल खरीदना पड़ता है. इससे इन कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन में कमी आती है. यही वजह है कि करेंस में उतार-चढ़ाव के कारण कम लाभ की आशंका से निवेशक स्टॉक्स को बेच सकते हैं, जिससे शेयर की कीमतें गिर सकती हैं. 

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4. वैश्विक तेल की कीमतें (Global oil prices)

भू-राजनीतिक घटनाएं वैश्विक तेल की कीमतों को भी प्रभावित करती हैं. ये तेल की कीमतों को बढ़ा भी सकती हैं. बढ़ती हुईं तेल की कीमतें भारतीय उद्योगों में माल के ट्रांसपोर्टेशन और प्रोडक्शन की लागत बढ़ा सकती है. यह कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन को कम करता है, जिससे निवेशक कंपनी के शेयर खरीदने में रूचि नहीं दिखाते हैं और फिर शेयरों की कीमतें गिरती चली जाती हैं.

5. इन्वेस्टर सेंटीमेंट एंड मार्केट रिएक्शंस

जियो-पॉलिटिकल घटनाएं को लेकर निवेशक क्या सोचते हैं, यही इन्वेस्टर सेंटीमेंट कहलाता है. अगर किसी जियो-पॉलिटिकल घटना जैसे युद्ध या फिर राजनीतिक अस्थिर की वजह से निवेशक को ये लगने लगे कि उसके पास जो शेयर हैं, उनको लंबे समय तक रखने के बजाय बेचने में ही भलाई है, तो वो उनको बेच देगा. अगर ऐसा कई निवेशक करने लगें तो शेयर की कीमतों में गिरावट आ जाती है.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जियो-पॉलिटिकल घटनाएं स्टॉक प्राइसों पर गहरा प्रभाव डालती हैं. समझदार निवेशक वही है, जो जियो-पॉलिटिकल घटनाएं को अच्छे से समझता है. ऐसे निवेशकों का पैसा शेयर मार्केट में कभी नहीं डूबता है.

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