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महारानी के अंतिम संस्कार के बीच लीसेस्टर में हिंदू-मुस्लिमों में भिड़ंत क्यों...

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लीसेस्टर में हिंदू-मुस्लिमों में झड़प की शुरुआत 28 अगस्त को दुबई में भारत-पाकिस्तान मैच के बाद शुरू हुई. इसने विगत दिनों हिंसक रूप ले लिया.

Updated on: 19 Sep 2022, 04:26 PM

highlights

  • दुबई में भारत-पाकिस्तान मैच के बाद ही फैल गया था तनाव
  • 28 अगस्त से हिंदू-मुस्लिम छिटपुट हिंसक संघर्ष में उलझे रहे
  • शनिवार दोनों गुटों के बीच बड़े पैमाने पर हुई हिंसक झड़प

नई दिल्ली:

लंदन में एक तरफ महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) के अंतिम संस्कार को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा, तो इंग्लैंड के एक शहर लीसेस्टर की पुलिस दूसरी तरह की शांति व्यवस्था बरकरार रखने के लिए जूझ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लीसेस्टर में बड़े पैमाने पर हिंदू-मुस्लिमों के गुटों में हिंसक भिड़ंत (Riots) से शहर की कानून-व्यवस्था को बरकरार रखने में पुलिस प्रशासन को मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह आ पहुंचा है कि स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए सड़कों पर अतिरिक्त पुलिस बल और सुरक्षा संसाधन उतारने पड़े हैं. पुलिस, स्थानीय एमपी और दोनों समुदायों के धार्मिक नेता शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं, लेकिन गंभीर अव्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जा पा रहा है. भारतीय समयानुसार रविवार दोपहर लीसेस्टर (Leicester) पुलिस ने ट्वीट में बताया, 'हिंसा की साजिश रचने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, तो एक शख्स को धारदार हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया है'. पुलिस ने शांति बनाए रखने का आह्वान करते हुए चेतावनी जारी की है, 'शहर में हिंसा और अव्यवस्था को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा'. 

शहर में हिंदू-मुस्लिम संघर्ष क्यों भड़का
लीसेस्टर शहर के पूर्वी हिस्से में 28 अगस्त से ही बार-बार हंगामा हो रहा है, जिस दिन दुबई में एशिया कप टी20 के दौरान भारत और पाकिस्तान ने अपना ग्रुप मैच खेला था. शनिवार को हुई बड़े पैमाने पर अव्यवस्था 28 अगस्त के बाद हो रहे हंगामे की बड़ी घटना बन गई. गौरतलब है कि भारत ने अपने ग्रुप मैच में पाकिस्तान को 2 गेंद रहते 5 विकेट से हरा दिया था. मैच खत्म होने के बाद एक समूह को ग्रीन लेन रोड की तरफ बढ़ते हुए देखा गया, जहां एक मंदिर समेत मुसलमानों के व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं. द गार्डियन अखबार ने 42 साल की धार्मिक नेता रुखसाना हुसैन के हवाले से लिखा, 'भीड़ जय श्री राम के नारे लगा रही थी'. इसके बाद एक कथित वीडियो में बेलग्रेव रोड पर कांच की बोतलें फेंकते दिखाया गया. वीडियो के मुताबिक यह काम हिंदुओं की भीड़ कर रही थी. अखबार ने माजिद फ्रीमैन के हवाले से लिखा, 'हिंदुओं की भीड़ मस्जिद के पास पहुंच चुकी थी और इस दौरान उकसाने वाली बातों का प्रयोग करते हुए इक्का-दुक्का लोगों को पीट रही थी. इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप मुस्लिम समुदाय के लोग बाहर निकल आए. उनका कहना था कि हमें पुलिस पर भरोसा नहीं है और अपने समुदाय की हिफाजत हम खुद ही करेंगे'. इसी रिपोर्ट में लिखा गया कि लीसेस्टर में जन्म से रह रही और हिंदू संगठन की अध्यक्ष 31 वर्षीय दृष्टि माई ने इस 'अव्यवस्था को अभूतपूर्व' करार दिया. द गार्डियन ने दृष्टि के बयान को हूबहू छापते हुए लिखा, 'सिर्फ हिंदु समुदाय को ही निशाना बनाया जाता है. पहली पीढ़ी के अप्रवासी खुद को डरा हुआ मानते हैं और फिर हमला करते हैं'. दृष्टि का आरोप है कि पुलिस धार्मिक स्थानों, संपत्ति और लोगों की सुरक्षा में नाकाम रही. फिर दृष्टि ने बोला, 'हमारे पास भी आत्मसुरक्षा का अधिकार है'. बाद में लीसेस्टर पुलिस ने अपडेट जारी करते हुए कहा, 'मेल्टन रोड पर स्थित एक धार्मिक झंडे को उतार फेंकते शख्स का वीडियो तेजी से सर्कुलेट हो रहा है, जिसकी जांच की जा रही है'. इस वीडियो में केसरिया झंडे को मंदिर से उतारता एक व्यक्ति दिखाई दे रहा है. 

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खेलों के बाद हुड़दंग इंग्लैंड के लिए नया नहीं
फुटबॉल मैचों के बाद नशे के आलम में सड़कों पर हिंसा और दंगा करते प्रशंसकों को लेकर इंग्लैंड कुख्यात रहा है. हाल के दौर की बात करें तो जुलाई 2021 में वैंबले ऐसे ही एक हंगामे का गवाह बना था. यूरोपीय चैंपियनशिप के लिए इंग्लैंड और इटली के बीच मैच खेला जा रहा था. मैच के दौरान ही बेटिकट प्रशंसकों की भीड़ स्टेडियम में घुस आई और जमकर हुड़दंग किया. इस घटना को युनाइटेड किंग्डम की बीते एक दशक की 'बद्तर हालात' वाला बताया गया था. भारत-पाकिस्तान के मैचों की स्थिति अलग होती है, क्योंकि दोनों के ही प्रशंसक सांप्रदायिक नजरिये से मैच देखने आते हैं. दोनों ही देशों के प्रशंसकों के संबंध अच्छे नहीं हैं, जबकि दोनों टीम स्पोर्ट्स स्प्रिट के साथ मैच खेलती है. यही वजह है कि भारत-पाकिस्तान का प्रत्येक मैच बेहद तनावपूर्ण होता है, क्योंकि दोनों ही देशों में मैच का परिणाम आने के बाद हिंसा और हुड़दंग की आशंका रहती है. हालांकि हिंदू-मुस्लिमों की प्रवासी आबादी के बीच हिंसा इस लिहाज से असामान्य कही जाएगी. बीबीसी ने लीसेस्टर के मुस्लिम संगठनों के संघ के सुलेमान नाग्दी के हवाले से लिखा, '28 अगस्त को भारत-पाकिस्तान मैच के बाद दोनों सुमदाय में तनाव देखा जा रहा था. भारत-पाकिस्तान का मैच प्रशंसकों को उकसता तो है, लेकिन 28 अगस्त के मैच के बाद जो हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ था'.

लीसेस्टर में सामुदायिक नेताओं की राय क्या है
बीबीसी रिपोर्ट में सुलेमान नाग्दी तुरंत शांति बहाली का आह्वान करते हुए स्थिति को 'बेहद खतरनाक' करार देते हैं. उनके प्रकाशित बयान के मुताबिक, 'कुछ बेहद असंतुष्ट युवक हंगामा कर रहे हैं. यह सब तुरंत खत्म होना चाहिए. इसके लिए अभिभावकों और घर के अन्य बड़े-बुजुर्गों को आगे आना होगा और बच्चों को समझाना होगा.' बीबीसी की इसी रिपोर्ट में लीसेस्टर के हिंदू-जैन मंदिरों का प्रतिनिधित्व करने वाले संजीव पटेल शनिवार रात की घटना को भीषण दुखदायी और सदमे वाली करार देते हैं. वह कहते हैं, 'लोगों को परस्पर बातचीत कर अपनी-अपनी शिकायतें तुरंत दूर करना चाहिए. कई दशकों से हम शांति और सौहार्द्र के साथ रहते आ रहे है, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से समझ आ रहा था कि जिन बातों को लेकर नाखुशी जाहिर की जा रही है उन पर तुरंत बातचीत करना जरूरी है. नाखुशी जाहिर करने के लिए हिंसा का सहारा लेना किसी लिहाज से उचित नहीं है.' बीबीसी की रिपोर्ट में पटेल के हवाले से लिखा गया, 'हम भयभीत हैं और शनिवार समेत बीते दो हफ्तो से जो हो रहा है उस पर खेद व्यक्त करते हैं. हिंदू जैन समुदाय के साथ-साथ मुस्लिम भाईयो और बहनों समेत धार्मिक नेताओं से कहते आ रहे हैं कि मन-चित्त को शांत रखें.' पटेल सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार को लेकर लोगों को सावधान करते हुए कहते हैं, 'हिंसा किसी भी मसले का समाधान नहीं है. यह समय शांति, धैर्य और परस्पर मेलजोल बढ़ाने का है.'

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लीसेस्टर के जनसांख्यिकीय आंकड़े
2011 की जनगणना पर आधारित लीसेस्टर, लीसेस्टरशायर और रुटलैंड के जनसाख्यिकीय आंकड़ों पर यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैड से तुलना के आधार पर देखें तो लीसेस्टर, लीसेस्टरशायर और रुटलैंड में हिंदू-मुस्लिम, सिखों की आबादी बहुत है. रिपोर्ट के मुताबिक हिंदु और मुस्लिम आबादी कमोबेश एक समान है. यहां मुस्लिम 7.4 फीसदी और हिंदू 7.2 प्रतिशत हैं, जबकि सिख 2.4 फीसदी है. लीसेस्टर की 55 प्रतिशत आबादी ईसाई है.  लीसेस्टर, लीसेस्टरशायर और रुटलैंड पर रिपोर्ट कहती है हिंदुओं-मुस्लिमों की बहुसंख्यक आबादी युवा है, जबकि ईसाईयों में उम्रदराज लोगों की बहुतायत है. इस लिहाज से देखें तो लीसेस्टर के सामाजिक समीकरणों में हिंदु और मुस्लिम युवा जल्द आक्रोष में आ गलत कदम उठा रहे हैं.