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Gujarat Election: हार-जीत से इतर चुनाव परिणाम कर सकते हैं केजरीवाल की एक मनोकामना पूरी... जानें

यह जानना रोचक रहेगा कि भारतीय जनता पार्टी शासित गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) लड़ कर किस तरह आप राष्ट्रीय पार्टी का लक्ष्य हासिल कर सकती है.

Updated on: 04 Dec 2022, 07:05 PM

highlights

  • गुजरात में राज्य पार्टी का दर्जा मिलते ही आप हो जाएगी राष्ट्रीय पार्टी
  • संभवतः इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी
  • राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे के लिए चुनाव आयोग की कई शर्तें पूरी करती है आप

नई दिल्ली:

गुजरात के विधानसभा चुनावी समर 2022 (Gujarat Assembly Election 2022) में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने चुनाव अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हार-जीत का परिणाम तो 8 दिसंबर को आएगा, लेकिन आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) गुजरात चुनाव से अपनी एक मनोकामना जरूर पूरी कर सकते हैं. उनका उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनावों (2024 Loksabha Elections) तक आप को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करना है. ऐसे में गुजरात चुनाव परिणाम केजरीवाल की अखिल भारतीय महत्वाकांक्षा को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. 2012 में लांचिंग के बाद आप ने 2014 लोकसभा चुनाव में देश भर में 400 से अधिक उम्मीदवार उतारे थे. इसी लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल वाराणसी में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सामने मैदान में थे, लेकिन तीन लाख से अधिक वोटों से उनके खाते में हार आई. केजरीवाल द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद समग्र लोकसभा चुनाव परिणाम भी कतई पक्ष में नहीं आए और आप को पंजाब (Punjab) की सिर्फ चार सीटों पर जीत से संतोष करना पड़ा. आप ने फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर और पटियाला लोकसभा सीट पर चुनाव जीतकर अपनी ही पार्टी के कई नेताओं को चौंका दिया था. इसके विपरीत 2019 के लोकसभा चुनाव में आप ने चुनिंदा सीटों पर ध्यान केंद्रित किया और नौ राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की 40 सीटों पर दांव खेला. हालांकि एक बार फिर आप के खाते में निराशा आई और वह पंजाब की एक सीट संगरूर से चुनाव जीत सकी. इस कड़ी में गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election) से पहले अरविंद केजरीवाल ने जमीनी हकीकत को स्वीकारते हुए कहा था कि भले ही जीत की संभावना न भी हो, लेकिन पूरी ताकत से प्रयास तो करना ही चाहिए. यही नहीं, आप अपने अस्तित्व में आने और दिल्ली विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त सफलता हासिल करने के बाद पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है. अब वह इस बार गुजरात में पूरी दम-खम के साथ ताल ठोंक रही है. दिल्ली के बाद आप ने पंजाब में विधानसभा चुनाव जीत भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बनाने में सफलता हासिल की. ऐसे में यह जानना रोचक रहेगा कि भारतीय जनता पार्टी शासित गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) लड़ कर किस तरह आप राष्ट्रीय पार्टी का लक्ष्य हासिल कर सकती है. 

हमारे देश में कितनी तरह के राजनीतिक दल हैं?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. ऐसे में भारतीय नागरिकों का कोई भी संघ या निकाय एक राजनीतिक दल बना सकता है. बस उस राजनीतिक पार्टी का केंद्रीय चुनाव आयोग में पंजीकृत होना जरूरी है. केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल 'मान्यता प्राप्त' होते हैं या 'गैर-मान्यता प्राप्त'. एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल चुनाव परिणामों के आधार पर एक राष्ट्रीय पार्टी हो सकती है या एक राज्य का क्षेत्रीय दल. राष्ट्रीय या राज्य केंद्रित क्षेत्रीय दल का दर्जा भी स्थायी नहीं होता है. यदि निर्वाचन आयोग के कुछ मानदंड पूरे नहीं होते हैं, तो इसे बदला भी जा सकता है.

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भारत में कुल कितनी राजनीतिक पार्टिया हैं?
केंद्रीय चुनाव आयोग के सितंबर 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में आठ राष्ट्रीय दल, 54 क्षेत्रीय दल और 2,796 पंजीकृत किंतु 'गैर-मान्यता प्राप्त' राजनीतिक दल हैं. आठ राष्ट्रीय पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस; बहुजन समाज पार्टी; राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी); अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस; और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) आती हैं. एनपीपी भारत की सबसे नई राष्ट्रीय पार्टी है, जिसे जून 2019 में यह दर्जा दिया गया.

केंद्रीय चुनाव आयोग में पंजीकरण के साथ शुरू होता है राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे का सफर
केंद्रीय चुनाव आयोग में एक पंजीकृत राजनीतिक दल ही समय के साथ एक क्षेत्रीय दल या राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकती है. हालांकि यह दर्जा चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 में निर्धारित शर्तों के तहत ही मिलता है. जब कोई राजनीतिक दल पंजीकृत हो जाता है, तो उस दल के उम्मीदवारों को निर्दलीय उम्मीदवारों की तुलना में चुनाव चिन्हों के आवंटन में वरीयता मिलती है. यदि किसी पार्टी को क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त है, तो वह राज्य या कई राज्यों में अपने उम्मीदवारों को आरक्षित चुनाव चिन्ह के आवंटन की हकदार होती है. यदि किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है, तो वह समग्र भारत में अपने उम्मीदवारों को आरक्षित चुनाव चिन्ह का आवंटन कर सकती है. मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल और राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने के लिए सिर्फ एक प्रस्तावक की दरकार होती है. वे दो सेट मतदाता सूची के भी हकदार होते हैं. यही नहीं, आम चुनाव के दौरान आकाशवाणी या दूरदर्शन पर मुफ्त प्रसारण यानी प्रचार की सुविधा भी उन्हें मिलती है. 

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कोई राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय पार्टी कैसे बन सकती है?
ऐसे कई नियम हैं जो किसी पार्टी को क्षेत्रीय दल और अंततः एक राष्ट्रीय पार्टी बना सकते हैं. किसी राजनीतिक दल को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता के लिए सबसे सरल नियमों में से एक यह है कि उसे चार या अधिक राज्यों में राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो. यदि किसी पार्टी को चार से कम राज्यों में मान्यता प्राप्त है, तो उसे क्षेत्रीय दल माना जाता है. चार राज्यों में क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के अलावा कोई राजनीतिक पार्टी फिर भी राष्ट्रीय पार्टी बन सकती है. बशर्ते यदि उसे पिछले लोकसभा चुनावों में चार सीटों पर जीत के साथ-साथ पिछले विधानसभा चुनावों में 6 प्रतिशत वोट मिले हों. इसके अलावा कम से कम तीन राज्यों से उसके सांसद चुन कर आए हैं और उसे पिछले आम चुनाव में 2 प्रतिशत लोकसभा सीटों पर जीत मिली हो. इस कड़ी में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए सबसे आसान नियम यही होगा कि वह चार राज्यों में क्षेत्रीय दल बन जाए.

आप की स्थिति क्या है?
वर्तमान में आप दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी पार्टी है. गोवा विधानसभा चुनाव में आप को कुल मतों के 6.8 प्रतिशत के साथ दो सीटों पर जीत मिली थी. अगस्त में ही केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने आप को गोवा में भी एक मान्यता प्राप्त पार्टी घोषित किया था. निर्वाचन आयोग की इस घोषणा के बाद केजरीवाल ने एक ट्वीट भी किया था, 'दिल्ली और पंजाब के बाद अब आप गोवा में भी एक राज्य मान्यता प्राप्त पार्टी है. अगर हमें एक और राज्य में मान्यता मिल जाती है, तो हमें आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी घोषित कर दिया जाएगा.'

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आप के लिए गुजरात महत्वपूर्ण क्यों है?
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए आप को एक और राज्य में क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता हासिल करने की जरूरत है और यह काम गुजरात विधानसभा चुनाव कर सकते हैं. आप ने इस विधानसभा चुनाव के लिए गुजरात में काफी समय और ऊर्जा लगाई है. ऐसे में वह अपनी जीत को लेकर आशान्वित है. फिर भी आप के लिए गुजरात में बहुमत प्राप्त करना कठिन होगा,  क्योंकि भाजपा का वहां लगभग तीन दशकों से निर्बाध शासन है. दूसरा गौर करने वाला पहलू यह है कि आप ने जिन-जिन राज्यों में सरकार बनाई, वहां कांग्रेस को हराकर बनाई. ऐसे में भले ही आप गुजरात में सरकार बनाने में विफल रहती है, लेकिन उसे कुल जमा नुकसान नहीं होने वाला. यदि उसे गुजरात में भी राज्य पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाता है, तो वह एक राष्ट्रीय पार्टी बन सकती है. इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप एकमात्र राजनीतिक दल है, जिसका एक से अधिक राज्यों में शासन है. ये तमाम तथ्य अरविंद केजरीवाल की एक दशक पुरानी आप की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को परवाज देते हैं. खासकर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले आप एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर सकती है.

आप का अब तक का सफर
2012 में अरविंद केजरीवाल ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिल कर आम आदमी पार्टी का गठन किया था. अगले ही साल आप चुनावी राजनीति में अपनी शुरुआत करने में कामयाब रही. आप ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 28 सीटें जीतीं. केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें कुछ हफ्तों में इस्तीफा देना पड़ा. 2015 में दिल्ली में फिर से चुनाव हुए और आप ने शानदार जीत दर्ज की. आप को 70 में से 67 सीटों पर 54 प्रतिशत के रिकॉर्ड वोट शेयर के साथ प्रचंड जीत मिली. 2020 में जनता ने आप को फिर से चुना और उसे 70 में से 62 सीटों पर विजय मिली. दिल्ली के अलावा आप ने कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन वह केवल पंजाब में सरकार बनाने में सक्षम हो सकी. पंजाब के 2017 के विधानसभा चुनावों में आप 20 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी, तो 2022 में आप ने 117 सदस्यीय विधान सभा में 92 सीटें जीत अपनी सरकार बनाई.

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विधानसभा चुनावों में आप का समग्र प्रदर्शन
आप ने 2017 के गुजरात चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन बुरी तरह विफल रही. 2017 में गोवा में भी यही कहानी रही. इन दो राज्यों के अलावा आप ने 2018 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक का विधानसभा चुनाव लड़ा. फिर 2019 में हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा में उतरी, लेकिन उसके खाते में इन राज्यों में एक सीट भी नहीं आई. इस साल की शुरुआत में आप ने आक्रामक तरीके से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव लड़े, लेकिन प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही. फिर पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के लिए भी जोर लगाया, लेकिन अंततः अपना ध्यान गुजरात पर केंद्रित कर लिया. ऐसे में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. वास्तव में हार-जीत के परिणामों से इतर यह वह तारीख है,जो राष्ट्रीय पार्टी के रूप में आप के भाग्य का भी फैसला करेगी.