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Gujarat Assembly Election: 2002 से बीजेपी की सीटें हर चुनाव में हुईं कम, कांग्रेस की बढ़ी

गुजरात में बीजेपी पिछले 27 सालों से सत्ता में है. यह अलग बात है कि 2002 के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सीटों की संख्या में लगातार कमी आई है. 2017 विधानसभा चुनाव को छोड़ दें, तो यही हाल वोट शेयर के मामले में भी रहा है.

Updated on: 12 Nov 2022, 07:01 PM

highlights

  • गुजरात ने 2002 से 2017 तक चार विधानसभा चुनाव देखे
  • बीजेपी ने इस दौरान 28 सीटों और 0.75 फीसदी वोट शेयर का नुकसान झेला
  • कांग्रेस इसी दौरान अपनी सीटों की संख्या में 26 का इजाफा करने में सफल रही

नई दिल्ली:

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Election 2022) की तारीखों की घोषणा होने से पहले आए चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बहुमत के साथ सरकार फिर बनने की भविष्यवाणी की है. हालांकि बीजेपी आलाकमान को पता है कि चुनावी समर की डगर तमाम चुनौतियों से भरी हैं. गुजरात में बीजेपी पिछले 27 सालों से सत्ता में है. यह अलग बात है कि 2002 के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सीटों की संख्या में लगातार कमी आई है. 2017 विधानसभा चुनाव को छोड़ दें, तो यही हाल वोट शेयर के मामले में भी रहा है. दूसरी तरफ अगर 2002 को छोड़ दें तो राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) की सीटों में 1998 से लगातार इजाफा हो रहा है. यही नहीं, 2007 को छोड़ दें तो 1995 से कांग्रेस का वोट शेयर भी बढ़ा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 182 सीटों में से बीजेपी के खाते में 99 आई थी, जो 1995 के बाद बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन था. पिछली बार बहुमत के लिए जरूरी 92 सीटों में से सिर्फ सात ही अधिक बीजेपी के खाते में आई थीं.

बीते 27 सालों में बीजेपी का प्रदर्शन
गुजरात विधानसभा चुनाव 1995 में बीजेपी ने पहली बार जीत हासिल कर सरकार बनाई थी. सितंबर 1996 से 18 महीने के राष्ट्रपति शासन से पहले गुजरात ने केशुभाई पटेल और सुरेश मेहता के रूप में दो मुख्यमंत्री देखे. बीजेपी के बागी शंकरसिंह बघेला ने पार्टी में फूट करा अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाई. फिर उन्होंने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई और अक्टूबर 1996 से एक साल तक मुख्यमंत्री रहे. अक्टूबर 1997 में दिलीपभाई पारिख ने उनके बाद सीएम की कुर्सी संभाली और मार्च 1998 के विधानसभा चुनाव तक सीएम रहे. 1998 में बीजेपी ने केशुभाई पटेल के सीएम के रूप में सत्ता में फिर वापसी की. केशुभाई पटेल का अक्टूबर 2001 में स्थान नरेंद्र मोदी ने लिया. इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने लगातार तीनों विधानसभा चुनाव जीते. 

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1995 का विधानसभा चुनाव
1995 में सत्ता में आने के वक्त बीजेपी ने 182 सीटों में से 121 पर जीत हासिल की थी और 42.51 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 32.86 फीसदी मतों के साथ 45 सीट जीत सकी थी. 

1998 विधानसभा चुनाव
1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में थोड़ी गिरावट आई और वह 117 सीटों पर विजय हासिल कर सकी. हालांकि उसका वोट शेयर 1995 के 42.51 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 44.81 फीसदी हो गया. कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ और वह 1995 की 45 के बजाय 53 सीटों पर जीत का परचम फहरा सकी. कांग्रेस का वोट शेयर भी 1995 के 32.86 फीसद से बढ़कर 34.85 हो गया. 

2002 विधानसभा चुनाव
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी ने 127 सीटों पर कब्जा किया. यह अभी तक किसी भी पार्टी द्वारा जीती गईं सबसे अधिक सीटें थीं. गोधरा कांड और फिर हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद हुए चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़कर 49.8 फीसदी हो गया. यह अभी तक किसी पार्टी द्वारा हासिल किया गया सबसे बड़ा वोट शेयर है. इस चुनाव में कांग्रेस दो सीटों के नुकसान पर 51 की संख्या ही पार कर सकी. हालांकि 1998 के 34.85 फीसद की तुलना में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़कर 39.3 फीसदी हो गया. 

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2007 विधानसभा चुनाव
यह विधानसभा चुनाव भी नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी ने लड़ा और 117 सीटें जीतने में सफल रही. 2002 चुनाव की तुलना में बीजेपी को इस बार 10 सीटें कम मिली. 2002 के 49.8 फीसद की तुलना में वोट शेयर भी मामूली स्तर पर गिरकर 49.1 प्रतिशत पर आ गया. बीजेपी की तुलना में कांग्रेस की सीटों में इस बार भी इजाफा हुआ और वह 2002 की 51 की तुलना में 59 सीटों पर जीत का परचम फहराने में कामयाब रही. कांग्रेस का वोट शेयर 2002 के 39.3 फीसद की तुलना में मामूली रूप से गिरकर 38 फीसदी पर आ गया. 

2012 विधानसभा चुनाव
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बीजेपी ने यह आखिरी विधानसभा चुनाव लड़ा था. 2007 की तुलना में इस बार चुनाव में भी बीजेपी की सीटों और वोट शेयर में गिरावट आई. इस चुनाव में बीजेपी 115 सीटों पर जीती और उसका वोट शेयर भी 2007 के 49.1 फीसद की तुलना में इस बार 47.85 प्रतिशत रहा. 2012 में भी कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार आया और वह 2007 की 59 की सीटों की तुलना में 61 सीटों पर जीती. उसका वोट शेयर भी 2007 के 38 फीसदी के सापेक्ष सुधर कर 38.93 प्रतिशत पर आ गया.

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2017 विधानसभा चुनाव
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए यह पहला गुजरात विधानसभा चुनाव था. बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 'मिशन 150' लांच किया. बीजेपी ने यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. गुजरात से आने वाले अमित शाह ने इसके साथ ही 182 सीटों की तीन-चौथाई सीट जीतने का लक्ष्य रखा. उनका मानना था कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो बीजेपी 2002 के चुनाव में 127 सीट जीतने में सफल रही थी. ऐसे में अब जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, तो बीजेपी 150 सीटें तो जीत ही सकती है. हालांकि विजय रुपाणी सरकार के खिलाफ हार्दिक पटेल का पाटीदार आंदोलन और उसके साथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार अभियान बीजेपी को उसके सबसे कमतर प्रदर्शन पर ले आया. इस चुनाव में राहुल गांधी बेरोजगारी और आर्थिक विकास की गिरती दर को मुद्दा बना बीजेपी के 'विकास के गुजरात मॉडल' की हवा निकालने में काफी हद तक सफल रहे. इसी चुनाव में राहुल गांधी ने पहली बार गुजरात के एक मंदिर से दूसरे मंदिर की परिक्रमा की. वह बीजेपी के हिंदुत्व मॉडल की काट के लिए लिए 'जनेऊधारी ब्राह्मण' का सॉफ्ट हिंदुत्व मॉडल लेकर आए. इन सभी मुद्दों ने बीजेपी को 99 सीटों तक ही सीमित कर दिया. हालांकि बीजेपी के वोट शेयर में मामूली इजाफा हुआ और वह 1.2 की वृद्धि के साथ 49.05 प्रतिशत पर जा पहुंचा. कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में 1995 के बाद सबसे ज्यादा 77 सीटों पर कब्जा किया. यही नहीं, बीते 22 सालों में वह अपना वोट शेयर भी सबसे उच्चतम स्कोर पर लाने में सफल रही. 2012 में 38.93 फीसद के मुकाबले इस बार कांग्रेस के पक्ष में 41.44 फीसद मतदाताओं ने अपना वोट डाला.

2002 से 2017 का सफर
गुजरात ने 2002 से 2017 तक चार विधानसभा चुनाव देखे और बीजेपी ने इस दौरान 28 सीटों और 0.75 फीसदी वोट शेयर का नुकसान झेला. दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी सीटों की संख्या में 26 का इजाफा करने में सफल रही. हालांकि 2002 के 39.3 प्रतिशत की तुलना में कांग्रेस का वोट शेयर 2002 में 38 प्रतिशत पर आ गया, जिसमें 2012 (38.93 फीसद) और 2017 (41.44 फीसद) में फिर उछाल आया. इस तरह कांग्रेस ने 2002 से 2017 के बीच अपने वोट शेयर में 2.14 की बढ़त देखी. अब 2022 विधानसभा चुनाव में गुजरात में दो चरणों क्रमशः 1 और 8 दिसंबर को मतदान होना है. ऐसे में 2007 से सीटों और वोट शेयर में आ रही गिरावट सत्तारूढ़ बजेपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.