Exit Polls आखिर कैसे किया जाता है और क्या हैं देश में इसके लिए नियम-कायदे... जानें
आज देश में एग्जिट पोल कई संगठनों द्वारा किए जाते हैं, जो अक्सर मीडिया संगठनों के साथ गठजोड़ में कराए जाते हैं. एग्जिट पोल का सर्वेक्षण आमने-सामने या ऑनलाइन किया जा सकता है.
highlights
- गुजरात में दूसरे चरण का मतदान खत्म होते ही दिखाए गए एग्जिट पोल
- देश में एग्जिट पोल दिखाने या प्रकाशन के लिए हैं कई नियम-कायदे
- 1957 के दूसरे आमचुनाव के दौरान हुआ था इस तरह का पहला सर्वे
नई दिल्ली:
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Elections 2022) के दूसरे चरण के लिए सोमवार शाम को मतदान खत्म होते ही विभिन्न न्यूज चैनलों पर एग्जिट पोल (Exit Polls) छा गए. भारत (India) में किसी चुनाव के एग्जिट पोल के परिणामों को अंतिम वोट डाले जाने तक प्रकाशित करने या दिखाने की अनुमति नहीं है. हालांकि एग्जिट पोल को लेकर राजनीतिक तौर पर जागरूक लोगों में बहुत ज्यादा जिज्ञासा रहती है. एग्जिट पोल कभी-कभी चुनाव परिणामों की सटीक भविष्यवाणी करते हैं. वास्तव में एग्जिट पोल क्या हैं? इन्हें कैसे किया जाता है? इन्हें नियंत्रित करने वाले नियम क्या हैं? एक अच्छे एग्जिट पोल के लिए क्या जरूरी है? आइए हम समझाते हैं...
एग्जिट पोल क्या होते हैं?
एग्जिट पोल के लिए किसी चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर पोलिंग बूथ से बाहर आने वाले मतदाताओं से पूछा जाता है कि वे किस राजनीतिक दल का समर्थन कर रहे हैं. एग्जिट पोल वास्तव में ओपिनियन पोल से अलग होता है. ओपिनियन पोल चुनाव से पहले होता है. एक एग्जिट पोल से यह संकेत मिलता है कि चुनाव में हवा किस तरफ बह रही है. साथ ही उन मुद्दों, व्यक्तित्वों पर भी चर्चा होती है, जो मतदाताओं को प्रभावित करते हैं. इसमें मतदाताओं की राजनीतिक निष्ठा के बारे में भी पूछा जाता है. आज देश में एग्जिट पोल कई संगठनों द्वारा किए जाते हैं, जो अक्सर मीडिया संगठनों के साथ गठजोड़ में कराए जाते हैं. एग्जिट पोल का सर्वेक्षण आमने-सामने या ऑनलाइन किया जा सकता है.
एक्जिट पोल को क्या अच्छा या बुरा बनाता है
एक अच्छे सटीक ओपिनियन या एग्जिट पोल के लिए नमूनों का आकार बड़ी भूमिका निभाता है. नमूनों यानी सर्वेक्षण में शामिल लोगों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, पूछे जा रहे प्रश्न जितने विविध और गहराई वाले और पूवार्गह से ग्रस्त नहीं होंगे, तो वे सटीक परिणाम दिखा सकते हैं. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के निदेशक संजय कुमार के मुताबिक एक विविध प्रश्नावली के बगैर वोट शेयर अनुमानों तक पहुंचने के लिए आंकड़ों को न तो सुसंगत रूप से एकत्र किया जा सकता है और न ही व्यवस्थित रूप से उसका विश्लेषण किया जा सकता है. राजनीतिक दल अक्सर आरोप लगाते हैं कि ये पोल प्रतिद्वंद्वी पार्टी द्वारा प्रेरित या वित्तपोषित होते हैं. आलोचकों का यह भी कहना है कि एग्जिट पोल पर प्रश्नों के चयन, शब्दों और समय का भी असर पड़ता है. साथ ही सर्वेक्षण में शामिल लोगों की प्रकृति से भी प्रभावित हो सकते हैं।
भारत में एग्जिट पोल का इतिहास
संजय कुमार के मुताबिक 1957 में दूसरे लोकसभा चुनाव के दौरान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने इस तरह का सर्वेक्षण कराया था.
भारत में एग्जिट पोल से जुड़े नियम-कायदे
एग्जिट पोल को जारी करने की अनुमति कब दी जानी चाहिए इस मसले को विभिन्न तरीकों से तीन बार सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया जा चुका है. फिलहाल एग्जिट पोल वोटिंग शुरू होने से पहले और आखिरी चरण का मतदान खत्म होने तक नहीं दिखाए जा सकते. गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचित किया कि 12 नवंबर को सुबह 8 बजे से 5 दिसंबर को शाम 5.30 बजे के बीच कोई भी एग्जिट पोल प्रकाशित करने पर प्रतिबंध रहेगा. हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान हुआ, जबकि गुजरात में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान हुआ. दोनों राज्यों के नतीजे 8 दिसंबर को आ रहे हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें ये 5 बड़ी बातें
-
Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण 2024 किन राशि वालों के लिए होगा लकी
-
Bhavishya Puran Predictions: भविष्य पुराण के अनुसार साल 2024 की बड़ी भविष्यवाणियां