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साइरस मिस्त्री की मौत, देश में फिर बढ़ी जानलेवा सड़क हादसों की चिंता

महाराष्ट्र के पालघर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सड़क हादसे में टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत (Cyrus Mistry car crash tragedy) हो गई. इस त्रासदी ने फिर भारतीय सड़कों पर हर साल होने वाली मौतों की उच्च संख्या को उजागर कर दिया है

Updated on: 05 Sep 2022, 12:27 PM

highlights

  • भारत की सड़कों पर हर साल लगभग 1.5 लाख मौतें होती हैं.
  • इनमें से एक तिहाई राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसों के कारण होती है.
  • 2020 में सड़क दुर्घटना के आंकड़े लगभग 3.5 लाख तक गिर गए.

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के पालघर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) पर रविवार को एक सड़क हादसे में टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत (Cyrus Mistry car crash tragedy) हो गई. इस त्रासदी ने एक बार फिर भारतीय सड़कों पर हर साल होने वाली मौतों की उच्च संख्या (Road accident deaths) को उजागर कर दिया है. आइए, जानते हैं कि देश में बीते पांच वर्षों में सड़क हादसों और उनसे होनेवाली मौतों के आंकड़ों में कितना बदलाव हुआ है? साथ ही ये आंकड़े सड़क सुरक्षा (Road safety) को लेकर क्या संकेत देते हैं?

घातक होती जा रही सड़कें

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत की सड़कों पर हर साल लगभग 1.5 लाख मौतें होती हैं. इनमें से एक तिहाई राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हादसों के कारण होती है. आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में जहां सड़क दुर्घटनाएं साल 2017 में 4,45,730 से घटकर 2021 में 4,03,116 हो गईं, वहीं इसी अवधि में इन हादसों में हुई मौतों की संख्या 1,50,093 से बढ़कर 1,55,622 हो गई.

ऐसा ही नजारा नेशनल हाईवे पर देखने को मिल रहा है. साल 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं की संख्या 1,30,942 थी और उनमें 50,859 लोगों की मौत हुई थी. वहीं साल 2021 में राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई दुर्घटनाओं की संख्या घटकर 1,22,204 हो गई और उनमें हुई मौतों की संख्या बढ़कर 53,615 हो गई.

लॉकडाउन का बेहतर असर

आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 के कोरोना महामारी वर्ष जिसमें लंबी अवधि के लॉकडाउन देखे गए को छोड़कर साल 2017 और 2021 के बीच की अवधि के दौरान दुर्घटनाओं और मौतों के आंकड़े लगातार क्रमशः 4.4 लाख और 1.5 लाख के आसपास रहे हैं. साल 2020 में सड़क दुर्घटना के आंकड़े लगभग 3.5 लाख तक गिर गए, जबकि मृत्यु घटकर 1.33 लाख हो गई थी. राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी दुर्घटनाओं और मौतों ने 2020 में 1,06,933 दुर्घटनाओं के साथ 45,275 मौतों के साथ गिरावट दर्ज की. अन्य सभी वर्षों में इस अवधि में लगभग 1.28 लाख दुर्घटनाएं हुईं और लगभग 50,000 मौतें हुईं. 

प्रति 100 किलोमीटर में मौत का आंकड़ा

अपने देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई हर साल बढ़ती जा रही है. साल 2018 से एनसीआरबी ने भी प्रति 100 किलोमीटर सड़कों पर होने वाली मौतों पर डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है. इस आंकड़े के मुताबिक, 2018 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रति 100 किलोमीटर पर होने वाली मौतों की संख्या 44 थी. 2021 में यह आंकड़ा थोड़ा कम होकर 40 पर आ गया था.

हादसे जानलेवा क्यों हो जाते हैं

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल दर साल सड़क दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या किसी दिए गए दिन में औसतन शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच और किसी दिए गए वर्ष में जनवरी और दिसंबर के महीनों में दर्ज की जाती है. सूत्रों ने कहा कि इसका मुख्य कारण इन अवधियों में सड़कों पर खराब दृश्यता है. हर साल सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं लापरवाही से वाहन चलाने और तेज रफ्तार के कारण होती हैं.

एनसीआरबी की नवीनतम रिपोर्ट में 42,000 मौतों के लिए खतरनाक और लापरवाह ड्राइविंग को जिम्मेदार ठहराया गया था, जबकि तेज गति से 87,000 मौतें हुईं, जो सभी मौतों में से आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार थीं. पिछले वर्षों की तरह दोपहिया वाहनों में सबसे अधिक मौतें (44.5 फीसदी) हुईं, जबकि 2021 में दुर्घटनाओं में बसों की वजह से तीन फीसदी मौतें दर्ज की गईं.

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सबसे ज्यादा सड़क हादसे वाले राज्य

साल 2020 से 2021 तक यातायात दुर्घटना के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि तमिलनाडु (46,443 से 57,090 तक) में दर्ज की गई. इसके बाद मध्य प्रदेश (43,360 से 49,493), उत्तर प्रदेश (30,593 से 36,509), केरल (27,998 से 33,051 तक) और महाराष्ट्र (24,908 से 30,086) का स्थान है. इसके साथ ही देश में कई राज्यों में सड़क हादसों का अनुपात कम हुआ है.