इमरान खान, पूर्व प्रधानमंत्री, पाकिस्तान (Photo Credit: News Nation)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने के बाद वह लगातार विवादों में घिरे हैं. इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) पर अब पाकिस्तान के चुनाव आयोग की नजर है. आरोप है कि पीटीाई को प्रतिबंधित स्रोतों से धन प्राप्त हुआ. और अब उन पर कानूनी कार्रवाई होगी. पाकिस्तान के चुनाव आयोग (Election Commission of Pakistan) ने पीटीआई को प्रतिबंधित स्रोतों से धन प्राप्त होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें पार्टी से यह बताने के लिए कहा गया कि उसके फंड को फ्रीज क्यों नहीं किया जाना चाहिए.
किसी पार्टी को जब कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है?
ईसीपी राजनीतिक दलों के आदेश, 2002 के तहत एक पार्टी को कारण बताओ नोटिस जारी करता है, और उसे खुद को समझाने और अपना मामला पेश करने का मौका देता है. इस कदम के जरिए पार्टी को अपनी संपत्ति कुर्क करने से पहले सफाई देने का मौका मिलता है. ईसीपी के समक्ष अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए पार्टी के पास आमतौर पर 7-14 दिन होते हैं. यदि पार्टी ने इस बात का सबूत दिया है कि उसने अवैध कार्य नहीं किया है, तो उसके पास उन दस्तावेजों को चुनाव आयोग के सामने पेश करने का मौका है.
यदि पार्टी दस्तावेजों के माध्यम से चुनाव आयोग के समक्ष अपने को सही होने पर सहमत कर लेती है कि उसे निषिद्ध धन प्राप्त नहीं हुआ है, तो ईसीपी अपने फैसले को उलट सकता है. लेकिन अगर ईसीपी आश्वस्त नहीं है, तो वह राजनीतिक दलों के आदेश, 2002 के अनुच्छेद 6 के तहत निषिद्ध धन को जब्त करने का आदेश देगा.
PILDAT के सीईओ अहमद बिलाल महबूब के अनुसार, ECP के आदेश ने संघीय सरकार को PPO, 2002 के अध्याय III को लागू करके विदेशी स्रोतों द्वारा वित्त पोषण के आरोपों को अगले चरण में ले जाने के लिए आधार प्रदान किया है.
यह भी पढ़ें: तिरंगे का कितना होता है आकार, जानें राष्ट्रध्वज को बनाने और लगाने के नियम
संघीय सरकार, यदि वह ईसीपी आदेश में उपलब्ध कराए गए सबूतों से संतुष्ट है, तो उसे यह घोषणा करनी होगी कि पीटीआई पीपीओ 2002 में परिभाषित एक 'विदेशी सहायता प्राप्त राजनीतिक दल' है और घोषणा को 15 दिन में उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करना होगा. अंतिम अधिकार शीर्ष अदालत के पास है कि वह पार्टी के विघटन की घोषणा को स्वीकार करे या अस्वीकार करे. यदि सर्वोच्च न्यायालय घोषणा को मंजूरी दे देता है, तो पार्टी भंग कर दी जाती है और राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में इसके सदस्य निर्वासित हो जाते हैं.